आज बसंत पंचमी पर महाकुंभ का तीसरा अमृत स्नान, यहां देखें शुभ मुहूर्त

Basant Panchami 2025 3rd Amrit Snan: महाकुंभ में बसंत पंचमी के दिन होने वाला तीसरा अमृत स्नान अत्यधिक महत्वपूर्ण है. 144 वर्षों के बाद आया यह अद्वितीय अवसर माँ सरस्वती की कृपा प्राप्त करने का एक सुनहरा मौका है. यह स्नान 3 फरवरी को होगा, जिसका शुभ मुहूर्त प्रातः 5:23 से 6:16 तक निर्धारित किया गया है. इस दिन त्रिवेणी संगम में स्नान करने से ज्ञान, विद्या, बुद्धि और भक्ति की प्राप्ति होती है. महाकुंभ के इस विशेष अवसर पर देशभर से श्रद्धालु यहाँ आ रहे हैं.

By Shaurya Punj | February 3, 2025 6:03 AM

Basant Panchami 2025 3rd Amrit Snan: प्रयागराज में महाकुंभ उत्सव का आयोजन जारी है, जिसमें देशभर से साधु-संतों और श्रद्धालुओं का निरंतर आगमन हो रहा है. श्रद्धालु और संतजन त्रिवेणी संगम में पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. महाकुंभ का पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति के दिन हुआ था, जबकि दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या के अवसर पर संपन्न हुआ. अब अगला अमृत स्नान आज वसंत पंचमी के दिन होगा. आइए जानते हैं कि वसंत पंचमी पर अमृत स्नान का शुभ मुहूर्त क्या है.

महाकुंभ के तीसरे अमृत स्नान का शुभ समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष बसंत पंचमी की तिथि 2 फरवरी को सुबह 9 बजकर 14 मिनट पर प्रारंभ हुई और 3 फरवरी को सुबह 6 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी. इस संदर्भ में, महाकुंभ का तीसरा अमृत स्नान का ब्रह्म मुहूर्त 5 बजकर 23 मिनट से 6 बजकर 16 मिनट तक निर्धारित किया गया है. इस अवधि में पवित्र संगम में स्नान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. इसके बाद भी श्रद्धालु पवित्र संगम में स्नान कर सकते हैं.

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बसंत पंचमी पर महाकुंभ स्नान का महत्व

महाकुंभ का प्रत्येक स्नान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है, और बसंत पंचमी के दिन इसे विशेष रूप से पुण्यकारी समझा जाता है. इस दिन का मुख्य आकर्षण यह है कि यह दिन ज्ञान, कला और संगीत की देवी मां सरस्वती के व्रत से संबंधित है. मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा के साथ स्नान करता है, वह अपने जीवन में अपार सफलता और पुण्य प्राप्त करता है.

वसंत पंचमी के अवसर पर विशेष रूप से विद्यार्थी और कलाकार मां सरस्वती की पूजा करते हैं, ताकि वे ज्ञान और कला में प्रगति कर सकें. यह पवित्र पर्व आध्यात्मिक समृद्धि का प्रतीक है, और महाकुंभ के अमृत स्नान के साथ इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है.

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