Basant Panchami 2025: मां सरस्वती का जन्म हुआ था. इस को श्री पंचमी और सरस्वती पंचमी से भी जाना जाता है,बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना करने से बुद्धि, विद्या, कला, और ज्ञान का वरदान प्राप्त होता है, बसंत पंचमी के दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहना शुभ मानते है और पिले और सफेद फूलों से मां सरस्वती की पूजा,वंदना करते हैं.ऐसा माना जाता है की बसंत पंचमी के बाद से बसंत ऋतु का आगमन हो जाता हैं.
क्यों मनाई जाती है सरस्वती पूजा के दिन बसंत पंचमी
पौराणिक कथा के अनुसार, जब ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना कर रहे थे, तो उन्होंने सबसे पहले जीवों और मनुष्यों की रचना की लेकिन, वातावरण इतना शांत था कि सब कुछ विरांग सा लग रहा था,तब ब्रह्मा ने भगवान विष्णु की अनुमति से अपने कमंडल से पृथ्वी पर थोड़ा-सा जल छिड़का, जिससे हाथ में वीणा धारण किए हुए देवी सरस्वती प्रकट हुई,तब ब्रह्माजी ने सरस्वती से कहा कि इस संसार में सभी लोग मूक है, ये सभी लोग बस चल रहे हैं, इन्हें समय और चीजों का ज्ञान नहीं है,इनमें आपसी संवाद नहीं है, ये लोग आपस में बातचीत नहीं कर पाते हैं. इस पर देवी सरस्वती ने पूछा की प्रभु मेरे लिए क्या आज्ञा है? ब्रह्माजी ने कहा देवी आपको अपनी वीणा की मदद से इन्हें ध्वनि प्रदान करें, जिसे ये लोग आपस में बातचीत कर सकें,और अपनी भाव और एक दूसरे की तकलीफ को समझ सकें, इसके बाद मां सरस्वती ने सभी को आवाज प्रदान की. तब से इस तिथि पर बसंत पंचमी का पर्व और सरस्वती पूजा मनाया जाने लगा.
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मां सरस्वती की पूजा विधि कैसे करें
मां सरस्वती की पूजा देवी और असुर दोनों ही करते हैं,इस दिन सभी लोग अपने घर, स्कूल, कॉलेज, कार्यस्थल पर मां सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं ,और उसने ज्ञान का वरदान मांगते हैं,इसके अलावा मां के चरणों में गुलाबी रंग का गुलाल चढ़ाएं और सफेद फूलो की माला अर्पित करें, उन्हें श्वेत रंग के वस्त्र भी अर्पित करें,और साथ ही एक पुस्तक ,कॉपी, पेन ,कमल का पुष्प भी अर्पित करना चाहिए और सफेद मिठाई का भोग जरूर लगाए.