बसंत पंचमी पर इस शुभ योग में करें सरस्वती मां की पूजा
Basant Panchami 2025: बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के रूप में भी जाना जाता है। यह केवल ज्ञान और कला की देवी सरस्वती की आराधना का पर्व नहीं है, बल्कि यह प्रकृति से संबंधित एक विशेष उत्सव भी है। इस दिन शुभ योग का निर्माण हो रहा है, यहां से जानें
Basant Panchami 2025: हिंदू धर्म में माघ महीने को त्योहारों का महीना माना जाता है, क्योंकि इस महीने में कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे सकट चौथ, षटतिला एकादशी, मौनी अमावस्या और गुप्त नवरात्रि.इनमें से वसंत पंचमी भी एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो मां सरस्वती की पूजा के लिए समर्पित है. इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था, और उनकी उपासना से जीवन में खुशियाँ और ज्ञान की वृद्धि होती है.
वसंत पंचमी कब है?
इस साल वसंत पंचमी माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को 2फरवरी 2025 को सुबह 11:43 बजे से शुरू होगी और 3 फरवरी को दोपहर 1:36 बजे तक चलेगी. उदया तिथि के अनुसार 3फरवरी को ही वसंत पंचमी मनाई जाएगी.
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सरस्वती पूजा का मुहूर्त
इस दिन पूजा का शुभ समय सुबह 7:09 बजे से लेकर दोपहर 12:35 बजे तक रहेगा. इस समय में आप देवी सरस्वती की पूजा कर सकते हैं.
शुभ योग
पंचांग के अनुसार इस दिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र और शिव व सिद्ध योग का संयोग बनेगा.सूर्य मकर राशि में रहेगा और अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 से 12:56 तक होगा. अमृतकाल रात 8:24 से 9:53 तक रहेगा.
सरस्वती पूजा की सामग्री
वसंत पंचमी की पूजा के लिए आपको कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होगी:
मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र, गणेश जी की मूर्ति, पीला वस्त्र, फूल, गुलाल, और चंदन
सुपारी, पान के पत्ते, अगरबत्ती, आम के पत्ते, मिठाई जैसे मालपुआ, खीर, बेसन के लड्डू
कपूर, दीपक, हल्दी, तुलसी पत्ता, रक्षा सूत्र, और गंगाजल
पूजा विधि
- सबसे पहले पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उस पर पीला साफ वस्त्र बिछाएं.
- अब मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित करें.
- देवी को पीले रंग के वस्त्र, फूल, चंदन, हल्दी, और रोली अर्पित करें.
- मिठाई का भोग लगाएं और दीपक जलाएं.
- मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करें.
- अंत में आरती करके प्रसाद बांटें.
वसंत पंचमी का यह दिन विद्यार्थियों के लिए खास होता है क्योंकि इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से उनके ज्ञान और कला कौशल में वृद्धि होती है.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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