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आज मनाई जा रही है बसंत पंचमी, यहां से जानें सरस्वती पूजा विधि, मंत्र और मुहूर्त से जुड़ी हर अपडेट

Basant Panchami 2025: माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का शुभ पर्व मनाया जाता है. इस दिन देवी सरस्वती की आराधना की जाती है. इसी दिन से बसंत ऋतु का आगमन होता है.

Basant Panchami 2025: आज देशभर में बसंत पंचमी का उत्सव अत्यंत धूमधाम से मनाया जा रहा है. यह पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन विशेष रूप से मां सरस्वती की पूजा की जाती है. इस वर्ष इस दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है क्योंकि इस दिन एक शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती का जन्म हुआ था. यहां से जानें सरस्वती पूजा विधि, मंत्र और मुहूर्त से जुड़ी हर अपडेट

काशी क्षेत्र के पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त

  • माघ शुक्ल पंचमी की शुरुआत: 2 फरवरी को सुबह 11:53 बजे
  • माघ शुक्ल पंचमी का समापन: 3 फरवरी को सुबह 9:39 बजे
  • 3 फरवरी को सूर्योदय: सुबह 6:40 बजे

नोट: काशी क्षेत्र के पुरोहित 3 फरवरी को बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा मनाने की सलाह दे रहे हैं. उनका कहना है कि 2 फरवरी को पंचमी तिथि सूर्योदय के बाद आएगी और सूर्योदय के समय चतुर्थी है, इसलिए माघ शुक्ल पंचमी, जिसे बसंत पंचमी कहा जाता है, 3 फरवरी को मनाई जाएगी, न कि 2 फरवरी को.

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बसंत पंचमी की पूजा का महत्व

धार्मिक परंपराओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा करने से ज्ञान और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन पीले वस्त्र पहनना और पीले रंग का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है, क्योंकि पीला रंग देवी को अत्यंत प्रिय है. इस अवसर पर विद्यालयों और महाविद्यालयों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.

सरस्वती मां की पूजा विधि

सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें. एक वेदी पर मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें और देसी घी का दीपक जलाएं. रोली और कुमकुम से तिलक करें. पीले फूलों की माला, कच्ची हल्दी, केसर, शहद और बूंदी के लड्डू, बेसन की बर्फी, मूंग दाल की बर्फी आदि का अर्पण

मां सरस्वती पूजा मंत्र

  • ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः..
  • ॐ शारदा माता ईश्वरी मैं नित सुमरि तोय हाथ जोड़ अरजी करूं विद्या वर दे मोय..
  • ॐ अर्हं मुख कमल वासिनी पापात्म क्षयम् कारी वद वद वाग्वादिनी सरस्वती ऐं ह्रीं नमः स्वाहा..

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