बसंत पंचमी 2025 पर पंचामृत का है महत्व, यहां से जानें
Basant Panchmi 2025 panchamrit importance: बसंत पंचमी के पावन पर्व पर पंचामृत का भोग तैयार करें. भारत में किसी भी पूजा या त्योहार के अवसर पर पंचामृत का भोग अवश्य लगाया जाता है, इसलिए यदि आप अपने घर में इसे बनाते हैं, तो यह और भी अधिक शुभता लाता है. पंचामृत का निर्माण पांच अमृत समान सामग्रियों से होता है, जिसमें दही, गंगाजल, मखाना आदि का अद्भुत मेल शामिल है.
Basant Panchmi 2025 Panchamrit mahatv: पंचामृत को कोई भी पूजा विधि में प्रसाद के तौर पर एक अमृत प्रके तौर समान रखा जाता है,जिसे पूजा मे भगवान के भोग को पूर्ण माना जाता है,धर्मशास्त्र के अनुसार ऐसी मान्यता है कि पंचामृत अमृत के समान होता है. क्योंकि यह पांच तत्वों से बना एक पदार्थ है जो कि स्वच्छ और शुद्ध माना जाता है. जिससे हम अभिषेक करके पूजन विधि का शुभारंभ करते हैं.
जाने पंचामृत बनाने का मंत्र
पयोदधि घृतं चैव मधु च शर्करायुतम् पञ्चामृतं मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्
अर्थ::दूध, दही, घी, मधु, और शर्करा-युक्त पञ्चामृत है देवी स्वरूप मां शारदा आपके स्नान ध्यान के लिए मे ये पांच तत्वों से बना पंचामृत आपको अर्पित करता हु, कृपया इसे मेरी श्रद्धा भाव को वरदान देते हुए ग्रहण करें.
आपके बच्चे का नहीं लग रहा है पढ़ाई में मन, तो आज सरस्वती पूजा के दिन करें ये उपाय
बसंत पंचमी पर पंचामृत का महत्व क्यों होता है,जानें यहां
सरस्वती मां को चढ़ने वाले पंचामृत में भी एक शुभ संकेत होता है. जैसे पंचामृत मे दूध, दही, शहद ,घी और गंगाजल में मिलाकर तैयार किया जाता है.
- दूध – जब बछड़ा गाय के पास न हो तब तक गाय दूध नहीं देती है.बछड़ा मर जाए तो उसका प्रारूप खड़ा किए बिना दूध नहीं देती.दूध मोह माया का प्रतीक होता है.
- शहद – मधुमक्खी एक एक कण-कण को भरने के लिए शहद को इकट्ठा करती है.इसे लोभ का प्रतीक माना जाता है.
- दही – इसका तासीर गर्म होता है जो कि क्रोध का प्रतीक होता है.
- घी – यह समृद्धि के साथ आने वाला है, जो अहंकार स्वरूप का प्रतीक माना जाता है.
- गंगाजल – मुक्ति और मोक्ष का प्राप्ति का प्रतीक होता है.गंगाजल मे मोह, ममता ,माया ,लोभ, क्रोध और अहंकार को एक कर समेटकर शांत करता है.पंचामृत का अर्थ हुआ अपने मोह, लोभ, क्रोध और अहंकार को समेटकर देवी को समर्पित करके उनके श्री चरणों में शरणागत हो जाना चाहिए.