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Bhai Phota 2024: आज मनाया जा रहा है भाई फोटा, बंगाली समुदाय में है इसकी खास अहमियत

Bhai Phota 2024: भाई फोटा भाई-बहन के बीच एक गहरा संबंध, प्रेम और सद्भाव का प्रतीक है. पूरे बंगाल में इस उत्सव को खुशी और उल्लास के साथ मनाया जाता है. हालांकि, विभिन्न क्षेत्रों में इस पर्व को मनाने की परंपरा और नाम में भिन्नताएँ देखी जाती हैं. आइए जानते हैं कि इस वर्ष बंगाल में भाई फोटा कब मनाया जाएगा और इस दिन का क्या महत्व है.

Bhai Phota 2024: आज 3 नवंबर 2024 को बंगाली समुदाय में एक खास पर्व भाई फोटा मनाया जा रहा है. इसे भाई टीका या भाई दूज के नाम से भी जाना जाता है. पंचांग के अनुसार, भाई फोटा का उत्सव हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को मनाया जाता है.

भाई फोटा भाई-बहन के बीच अटूट संबंध, प्रेम और सद्भावना का प्रतीक है. पूरे बंगाल में इस पर्व को हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. हालांकि, विभिन्न स्थानों पर इस पर्व को मनाने की परंपरा और नाम में भिन्नता पाई जाती है. आइए जानते हैं कि इस वर्ष बंगाल में भाई फोटा कब है और इस दिन का क्या महत्व है.

Bhai Dooj 2024: आज मनाया जा रहा है भाई दूज का पर्व, नोट करें पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

भाई फोटा का मुहूर्त

भाई दूज के लिए द्वितीया तिथि 2 नवंबर को रात 8:21 बजे शुरू हो चुकी है और 3 नवंबर को रात 10:05 बजे समाप्त होगी. हालांकि, यह उत्सव मुख्य रूप से आज 3 नवंबर को मनाया जा रहा है, जो कि उदया तिथि के साथ संरेखित है, जिसे परंपरा के अनुसार प्राथमिकता दी जाती है.

बंगाल में भाई फोटा कैसे मनाया जाता है ?

भाई फोटा, जिसे भाई टीका के नाम से भी जाना जाता है, भाई दूज के दिन मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं. मंगल तिलक के नाम से मशहूर इस तिलक को भाई की लंबी और स्वस्थ जिंदगी की कामना के साथ लगाया जाता है. इसके बाद भाई अपनी बहनों को उपहार भी देते हैं. विवाहित बहनें या तो अपने ससुराल से तिलक लगाने आती हैं या फिर भाई अपनी बहनों से मिलने जाते हैं. इस दिन भाई और बहन दोनों व्रत रखते हैं और तिलक लगाने के बाद ही भोजन करते हैं. भाई फोटा पश्चिम बंगाल के प्रमुख त्योहारों में से एक है और इसे धूमधाम से मनाया जाता है.
भाई फोटा के उत्सव से जुड़ा धार्मिक महत्व यह है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यम की बहन यमी ने यमराज को अपने घर आमंत्रित किया था और उन्हें भोज देकर सम्मानित किया था. इसलिए इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है.

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