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घर के निर्माण से पहले ऐसे करें भूमि पूजा, जानिए वास्तु शास्त्र के अनुसार शुभ दिशा और विधि

Bhoomi Pujan According To Vastu: घर के निर्माण की प्रक्रिया में भूमि पूजा करना एक आवश्यक संस्कार है. यह पूजा भगवान और माता पृथ्वी से आशीर्वाद प्राप्त करने के उद्देश्य से की जाती है, ताकि निर्माण कार्य सफल हो और किसी भी प्रकार की बाधा या समस्या उत्पन्न न हो. जानिए भूमि पूजा करने का उचित तरीका, जैसा कि वास्तु शास्त्र में वर्णित है.

Bhoomi Pujan: घर बनाने की शुरुआत में भूमि पूजा करना एक महत्वपूर्ण संस्कार है. यह पूजा भगवान और माता पृथ्वी से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए की जाती है, ताकि निर्माण कार्य शुभ हो और किसी भी तरह की रुकावट या समस्या न आए. जानिए भूमि पूजा करने का सही तरीका, जैसा कि वास्तु शास्त्र में बताया गया है.

भूमि पूजा के लिए सही दिशा

भूमि पूजा के लिए सबसे उपयुक्त दिशा उत्तर या पूर्व मानी जाती है.इन दिशाओं को शुभ माना जाता है और यह निर्माण स्थल पर सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद लाती है.

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नींव का ध्यान रखें

नींव की गहराई इतनी होनी चाहिए कि वह भवन की स्थिरता और मजबूती को सुनिश्चित कर सके. इसके लिए मिट्टी के प्रकार और निर्माण का भार महत्वपूर्ण होता है, इसलिए सही माप जानने के लिए संरचनात्मक इंजीनियर से सलाह लें. इसके अलावा, नींव के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का प्रयोग करें ताकि भवन मजबूत और दीर्घकालिक हो. सामान्यतः, कंक्रीट और स्टील की सरंचना का प्रयोग किया जाता है, लेकिन पारंपरिक सामग्री जैसे ईंट या पत्थर का भी उपयोग किया जा सकता है.

भूमि पूजा विधि

भूमि पूजा के लिए एक शुभ दिन और समय का चुनाव करें. सुनिश्चित करें कि भूमि साफ और स्वच्छ हो, और पूजा स्थल उत्तर-पूर्व कोने में हो, अगर संभव हो तो. निर्माण कार्य को वास्तु शास्त्र के अनुसार सही दिशा में रखा जाए. घर का प्रवेश द्वार उत्तर या पूर्व दिशा में हो, जबकि मुख्य कमरे को दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में रखें.

भगवान गणेश की पूजा

भूमि पूजा की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से करें, जो विघ्नहर्ता के रूप में प्रसिद्ध हैं. भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र को उत्तर-पूर्व कोने में रखें और उनकी पूजा करें, साथ ही मिठाई का भोग अर्पित करें.आप माता लक्ष्मी या भगवान विष्णु की मूर्तियां भी रख सकते हैं, ताकि घर में समृद्धि और सुरक्षा बनी रहे.

कलश पूजा

एक कलश में आम की पत्तियां और नारियल रखकर उसे स्थापित करें. यह कलश पूजा के दौरान विशेष महत्व रखता है और कल्याण का प्रतीक माना जाता है. कलश पूजा में फूल, चावल और पवित्र जल (गंगा जल) अर्पित करें.

खुदाई शुरू करने से पहले ध्यान रखें

भूमि पूजा के बाद ही नींव की खुदाई शुरू करें. खुदाई करते समय भूमि का सम्मान रखें और उसे सौम्यता से खोदें, ताकि पृथ्वी को कोई आघात न पहुंचे.

अर्पण और प्रसाद

पूजा के दौरान चावल, फूल, फल और मिठाई जैसी पारंपरिक सामग्री अर्पित करें. यह अर्पण भूमि और देवता को सम्मान देने के लिए होते हैं, ताकि उनका आशीर्वाद प्राप्त हो और निर्माण कार्य सफलता पूर्वक पूरा हो.

भूमि पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यह निर्माण कार्य को शुभ और सुखमय बनाता है. इसलिए, इन विधियों का पालन करें और अपने घर के निर्माण को शुभ बनाएं.

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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