Buddha Purnima 2020: बैशाख पूर्णिमा को ही क्यों मनाई जाती है भगवान बुद्ध की जयंती

Buddha Purnima 2020 Date: बुद्ध पूर्णिमा इस साल 07 मई को मनाई जाएगी. बैशाख मास की पूर्णिमा के भगवान बुद्ध की जयंती मनाई जाती है. भगवान बुद्ध ने ही बौद्ध धर्म की स्थापना की थी. बौद्ध धर्म में परंपराओं, धारणाओं और प्रथाओं का श्रेय भगवान बुद्ध को दिया जाता है. गौतम बुद्ध ने अपने प्रवचनों में जीवन में सुख-शांति बनाए रखने के सूत्र बताए हैं. इन सूत्रों को अपनाने से हमारी की बाधाएं खत्म हो सकती हैं.

By Radheshyam Kushwaha | May 6, 2020 6:42 PM

Buddha Purnima 2020 Date: बुद्ध पूर्णिमा इस साल 07 मई को मनाई जाएगी. बैशाख मास की पूर्णिमा के भगवान बुद्ध की जयंती मनाई जाती है. भगवान बुद्ध ने ही बौद्ध धर्म की स्थापना की थी. बौद्ध धर्म में परंपराओं, धारणाओं और प्रथाओं का श्रेय भगवान बुद्ध को दिया जाता है. गौतम बुद्ध ने अपने प्रवचनों में जीवन में सुख-शांति बनाए रखने के सूत्र बताए हैं. इन सूत्रों को अपनाने से हमारी की बाधाएं खत्म हो सकती हैं. भगवान बुद्ध ने कहा है कि यदि कोई व्यक्ति बुरी सोच के साथ बोलता या काम करता है, तो उसे कष्ट ही मिलता है. यदि कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों के साथ बोलता या काम करता है, तो उसकी परछाई की तरह ख़ुशी उसका साथ कभी नहीं छोड़ती. हजारों खोखले शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो हर किसी की जीवन में शांति ला सकें.

किसी जंगली जानवर की अपेक्षा एक कपटी और दुष्ट मित्र से अधिक डरना चाहिए, जानवर तो बस आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है, पर एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुकसान पहुंचा सकता है. आपके पास जो कुछ भी है उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए, और ना ही दूसरों से ईर्ष्या कीजिये. जो दूसरों से ईर्ष्या करता है उसे मन की शांति कभी नहीं मिलती. भगवान बुद्ध ने कहा है कि शक की आदत से भयावह कुछ भी नहीं है. शक लोगों को अलग करता है. यह एक ऐसा ज़हर है जो मित्रता ख़त्म करता है और अच्छे रिश्तों को तोड़ता है. यह एक कांटा है जो चोटिल करता है, एक तलवार है जो वध करती है.

सत्य के मार्ग पे चलते हुए कोई दो ही गलतियां कर सकता है. पूरा रास्ता ना तय करना, और इसकी शुरआत ही ना करना. अतीत पर ध्यान केन्द्रित मत करो, भविष्य का सपना भी मत देखो, वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करो. भगवान बुद्ध ने कहा हैं कि हम चलकर ही अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं. ठीक इसी प्रकार जब तक हम अच्छी बातों का पालन नहीं करेंगे, उन पर चलेंगे नहीं, तब तक हम पर प्रवचनों का कोई असर नहीं होगा. अपने शरीर को स्वस्थ रखना भी एक कर्तव्य है, अन्यथा आप अपनी मन और सोच को अच्छा और साफ़ नहीं रख पाएंगे.

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