17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Buddha Purnima 2024 : ऐसे ही कोई नहीं हो जाता सिद्धार्थ से भगवान गौतम बुद्ध

वैशाख महीने की पूर्णिमा तिथि को भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. इस वर्ष यह तिथि गुरुवार, 23 मई को पड़ रही है. इस तिथि का विशेष महत्व है...

Buddha Purnima 2024 : वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा विशाखा नक्षत्र में स्थित रहता है. विशाखा का अर्थ विशिष्ट शाखाओं का विस्तार भी है. जब चिंतन की शाखाओं का विस्तार विशिष्टता के साथ होता है तभी उसे श्रेष्ठ माना जाता है. भगवान बुद्ध ने समस्त मनुष्य जाति को देवता बनने के लिए सरलतम मार्ग दिखलाया है. वह बलपूर्वक नहीं, बल्कि हृदय परिवर्तन के जरिये मनुष्य के रूपांतरण के पक्षधर रहे हैं.

सलिल पांडेय, मिर्जापुर
भारतीय धर्मग्रंथों तथा मनीषियों के उपदेशों में स्पष्ट कहा गया है कि मनुष्य परमानंद का अंश होने के नाते सर्वाधिक भाग्यशाली प्राणी है. केवल मनुष्य के पास वह क्षमता है कि वह चाहे तो देवता बन जाये, चाहे मनुष्य ही बना रहे या पशु बन जाये. इन तीनों प्रकार की स्थिति बहुत सहजता से प्राप्त की जा सकती है. देवता बनने के लिए सरलतम मार्ग यह है कि मनुष्य देवता की तरह लोक-कल्याण का काम करे. मंदिरों में स्थित देवता को चाहे अलंकार से सुसज्जित किया जाये या सादगी से रखा जाये, चाहे छप्पन भोग लगाया जाये या कुछ भी न चढ़ाया जाये, फिर भी मंदिर के विग्रह पर कोई असर नहीं पड़ता. विग्रह के समक्ष रखी गयी वस्तुओं को भगवान स्पर्श तक नहीं करते. मंदिरों में स्थापित भगवान से यही प्रेरणा मिलती है कि उन पर भौतिक पदार्थों का कोई असर नहीं पड़ता.

Also Read : Buddha Purnima 2024: घर परिवार में सुख शांति के लिए बुद्ध पूर्णिमा के दिन करें इन चीजों की खरीदारी और उपाय

गोस्वामी तुलसीदास ने ‘ईश्वर अंश जीव अविनाशी, चेतन सहज सरल सुखराशि’ चौपाई में सहजता और सरलता के भाव को ईश्वर का अंश माना है. धर्मग्रंथों में जब भी अवतारों का जिक्र आता है तब उनके अवतार के पीछे लोक-कल्याण के उद्देश्यों का जिक्र होता है.
अब रही बात मनुष्य ही बने रहने की, तो उसमें स्वहित में डूबे रहने का भाव परिलक्षित होता है. मनुष्य अपने कर्मों से जो कुछ अर्जित करता है, उसका खुद और खुद के परिवार तक उपभोग में लगा रहता है जबकि अधिकांशत: पशु जब आहार ग्रहण करता है तब अपने बच्चे को भी खाने नहीं देता है. इस तरह मनुष्य के खुद अपने हाथ में है कि वह क्या बन सकता है.

लोक-कल्याण के लिए सब कुछ त्याग दिया

इस दृष्टि से ईसा से 563 वर्ष पूर्व अखंड भारत के नेपाल के राजकुल में जन्मे गौतम बुद्ध ने लोक-कल्याण के लिए न सिर्फ राजमहल, बल्कि पत्नी एवं संतान तक को त्याग दिया. ऐसा नहीं कि वे निष्ठुर थे. उनकी सोच बहुत विराट थी. सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध होने के बाद वे अपनी पत्नी यशोधरा तथा पुत्र राहुल को भी उस उन्नत स्थिति तक ले जाने के लिए आये, जिस उन्नत अवस्था के लिए उन्होंने कठिन तपस्या की. पहले तो पत्नी नाराज जरूर हुई, लेकिन जब उनके अंतर्मन को झांका तो वहां उसे मानवता का सागर दिखाई पड़ने लगा था.
दरअसल, गौतम बुद्ध बलपूर्वक नहीं, बल्कि हृदय परिवर्तन के जरिये मनुष्य के रूपांतरण के पक्षधर रहे हैं. जो काम देवर्षि नारद ने रत्नाकर डाकू का किया और उसके अंतर्जगत में स्नेह-प्रेम की वीणा की ध्वनि पैदा की एवं ऋषि वाल्मीकि बना दिया, उसी तरह का काम गौतम बुद्ध ने अंगुलिमाल का किया. हिंसक प्रवृत्तियों को छोड़कर स्वेच्छा से अंगुलिमाल बौद्ध भिक्षु बन गया.

पूर्णिमा तिथि पर सोलहों कलाओं से परिपूर्ण होता है चंद्रमा

गौतम बुद्ध के जन्म-तिथि पर गौर करें, तो वैशाख महीने की पूर्णिमा तिथि को उनका जन्म हुआ. वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा विशाखा नक्षत्र में स्थित रहता है. विशाखा का अर्थ विशिष्ट शाखाओं का विस्तार भी है. जब चिंतन की शाखाओं का विस्तार विशिष्टता के साथ होता है तभी उसे श्रेष्ठ माना जाता है. वैसे भी पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा सोलहों कलाओं के साथ हाजिर होता है. इसीलिए खारे समुद्र में ज्वार आता है. वह भी खारापन छोड़ चंद्रमा के अमृत किरणों के लिए मचलने लगता है.

पूर्णिमा तिथियों पर पड़ने वाले पर्व-त्योहार

वर्ष भर की पूर्णिमा तिथियों पर गौर करें, तो चैत्र में हनुमान जयंती, वैशाख में बुद्ध जयंती, ज्येष्ठ में कबीर जयंती, आषाढ़ में गुरु-पूर्णिमा, सावन में रक्षाबंधन, भादो में महालया का प्रारंभ, आश्विन में शरद-पूर्णिमा, कार्तिक में गुरुनानक जयंती, पौष में शाकंभरी जयंती, माघ में रविदास जयंती तथा फाल्गुन में भक्त प्रह्लाद की रक्षा में होलिका-दहन का पर्व होता है. गौतम बुद्ध भगवान विष्णु के नवें अवतार के रूप में पूज्य हैं.

Also Read : Buddha Purnima 2024: भगवान बुद्ध की जयंती का पर्व

लोक-कल्याण के लिए गौतम बुद्ध ने क्या त्याग किया था?

गौतम बुद्ध ने राजमहल, पत्नी और संतान तक का त्याग किया ताकि वह लोक-कल्याण के लिए जीवन समर्पित कर सकें और मानवता की सेवा कर सकें.

बुद्ध पूर्णिमा किस तिथि को मनाई जाती है?

बुद्ध पूर्णिमा वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है, जब चंद्रमा विशाखा नक्षत्र में स्थित होता है.

भगवान बुद्ध का मानवता के प्रति क्या दृष्टिकोण था?

भगवान बुद्ध बलपूर्वक परिवर्तन में विश्वास नहीं करते थे. वह हृदय परिवर्तन के जरिये मनुष्य का रूपांतरण करना चाहते थे और सरलतम मार्ग दिखलाते थे.

भगवान बुद्ध के जन्म के बारे में विशेष क्या है?

भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को हुआ था, जब चंद्रमा सोलहों कलाओं से परिपूर्ण रहता है। इसी दिन बुद्ध जयंती मनाई जाती है.

बुद्ध पूर्णिमा के दिन और कौन से पर्व मनाए जाते हैं?

बुद्ध पूर्णिमा के अलावा वर्ष भर की पूर्णिमा तिथियों पर कई महत्वपूर्ण पर्व जैसे हनुमान जयंती, कबीर जयंती, गुरु पूर्णिमा और शरद पूर्णिमा आदि मनाए जाते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें