Buddha Purnima 2024: भगवान बुद्ध की जयंती का पर्व

इस साल बुद्ध पूर्णिमा 23 मई को मनाई जाएगी. मान्यता के अनुसार वैशाख पूर्णिमा को इस रूप में मनाया जाता है.

By Rinki Singh | May 21, 2024 12:57 PM
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Buddha Purnima 2024: पूरे देश में बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है, यह पर्व गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ बौद्धों द्वारा मनाया जाने वाला एक बड़ा त्योहार है. यह पर्व सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि और भी कई देशों जैसे श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया में भी मनाया जाता है. इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा 23 मई (गुरुवार) को मनाई जाएगी. गौतम बुद्ध का जन्म वैशाख माह की पूर्णिमा को हुआ, इसलिए वैशाख की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है.

पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है. बुद्ध पूर्णिमा का पर्व अहिंसा, धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है. भारत में लोग इस दिन बिहार के बोधगया जाकर पूजापाठ करते हैं और बोधिवृक्ष की पूजा करते हैं. इस दिन इसकी पूजा करने का विशेष धार्मिक महत्‍व है. ऐसा माना गया है कि यही भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी.

गौतम बुद्ध कौन थे

बौद्ध धर्म एक प्राचीन भारतीय धर्म है. बौद्ध धर्म का इतिहास गौतम बुद्ध से आरम्भ होता है. 2600 वर्ष पहले इसकी स्थापना भगवान बुद्ध ने की थी. गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व कपिलवस्तु के लुंबिनी नामक स्थान (वर्तमान नेपाल) में हुआ था. उनके पिता का नाम शुद्धोधन था, जो शाक्य गण के मुखिया थे. उनकी माता का नाम मायादेवी था, जिनकी मृत्यु गौतम बुद्ध के जन्म के सातवें दिन हो गई थी. इसके बाद उनका पालन पोषण उनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने किया था. भगवान बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था. निरंजना नदी के तट पर स्थित उरूवेला (बोधगया) में पीपल वृक्ष के नीचे वैशाख पूर्णिमा के दिन उन्हे ज्ञान की प्राप्ति हुई. इसके बाद उन्होंने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ में दिया. इस धर्म के लोग अधिकतर चीन, कोरिया, जापान, श्रीलंका, भारत आदि देशों में रहते हैं. बौद्ध धर्म की उत्पति ईसाई और इस्लाम धर्म से पहले हुई थी. इन्हे एशिया का ज्योति पुंज कहा जाता है. इनका 16 साल की उम्र में दंडपाणि शाक्य की कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ था. इनके पुत्र का नाम राहुल था.

सत्य की खोज के लिए त्याग दिया घर

सांसारिक समस्याओं से दुखी होकर सत्य की खोज लिए भगवान बुद्ध ने 29 साल की उम्र में गृह त्याग कर दिया.

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