Budh Pradosh Vrat 2024: कार्तिक माह का अंतिम प्रदोष व्रत आज, नोट कर लें शुभ मुहूर्त और महत्व

Budh Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण उपवास है, जिसे हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित है। आज 13 नवंबर 2024 को बुध प्रदोष व्रत रखा जाएगा, जानें इसका महत्व

By Shaurya Punj | November 13, 2024 8:02 AM

Budh Pradosh Vrat 2024:  भगवान शिव के अनुयायी प्रत्येक माह में दो बार प्रदोष व्रत का पालन करते हैं.यह व्रत माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर आयोजित किया जाता है और यह भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित है.इस वर्ष 13 नवंबर को प्रदोष व्रत का आयोजन किया जा रहा है.ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन उपवास और शिव परिवार की पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, जो जीवन में सुख और समृद्धि का संचार करती है.

बुध प्रदोष व्रत के लिए पूजा का समय

13 नवंबर को प्रदोष पूजा का समय शाम 5 बजकर 28 मिनट से 8 बजकर 7 मिनट तक निर्धारित किया गया है, जो कुल 2 घंटे 39 मिनट का है.इस दिन प्रदोष काल का समय भी इसी अवधि में है, अर्थात् 5 बजकर 28 मिनट से 8 बजकर 7 मिनट तक.

प्रदोष व्रत  पूजा सामग्री लिस्ट

चंदन, अक्षत, फल, फूल, बिल्वपत्र, जनेऊ, कलावा, कपूर, दीपक, अबीर, गुलाल आदि

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन प्रातः जल्दी उठें.स्नान आदि के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें.पूजा स्थल से पुराने फूलों को हटा कर मंदिर को साफ करें.शिवलिंग पर जल अर्पित करें.मंदिर में दीपक जलाएं.शिव-गौरी और गणेशजी की विधिपूर्वक पूजा करें.शिवजी की आरती करें और संध्या पूजा की तैयारी करें, यदि संभव हो तो शाम को पुनः स्नान करें.इसके बाद शिव मंदिर जाएं या घर पर भी शिवलिंग पर जल, बिल्वपत्र, मदार, फल, फूल, भांग और चंदन अर्पित करें.शिवजी के मंत्रों का जाप करें.इसके बाद शिवजी की आरती करें.अंत में पूजा के दौरान हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करें.

बुध प्रदोष व्रत का महत्व

मान्यता है कि त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत करने से प्रदोष काल में विधिपूर्वक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है.  इस दिन विशेष पूजा करने से आपको शुभ फल की प्राप्ति होती है और आपके घर में सुख-समृद्धि के अवसर बनते हैं. इसके अतिरिक्त, बुध की स्थिति आपकी कुंडली में और अधिक सुदृढ़ होती है और इसके सकारात्मक प्रभाव में वृद्धि होती है. आपकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं. बुध प्रदोष तिथि का व्रत शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति के लिए किया जाता है.

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