Chaitra Navratri 2021 Date, Kalash Sthapana Vidhi, Mantra, Shubh Muhurat, Samagri List: चैत्र नवरात्रि शुरू हो चुका है. नौ दिनों तक चलने वाले इस पावन त्योहार में मां दुर्गा की बड़े श्रद्धा भाव से आराधना की जाती है. नवरात्रि के प्रथम दिन की शुरुआत कलश स्थापना व हवन से की जाती.बहुत जगहों पर इसे घट स्थापना भी कहा जाता है. कलश एक साधारण जलपात्र नहीं है.ऐसा माना जाता कलश में सृष्टि के संचालक ब्रह्मा, विष्णु और शिव विद्यमान हैं. कलश की पूजा में ब्रह्मा, विष्णु और शिव की पूजा होती है. आइये जानते हैं कलश स्थापना और हवन से लेकर मां शैलपुत्री की पूजा तक की विधि…
मां दुर्गा जी की सुंदर प्रतिमा या फोटो, सिंदूर, केसर, कपूर, धूप, अबीर, चोटी, वस्त्र, का सामान (दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, आलता, बिंदी, मेंहदी, सुगंधित तेल), आम के पत्तें, फूल, पंचपल्लव, दूर्वा, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, आसन, चौकी, रोली, मौली, बेलपत्र, कमलगट्टा, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, मधु, घृत, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, नारियल, आसन, रेत, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, मिट्टी का कलश या पीतल का, हवन सामग्री, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, गेहूं का आटा, उड़द साबुत, मूंग साबुत, सरसों सफेद और पीली, और गंगाजल. माता को लाल रंग के गुड़हल के फूल भी अति प्रिय है, इसलिए इसे भी अवश्य रखें.
माता की चौकी जहां लगी हो उसके ठीक सामने लाल रंग का कपड़ा बिछाकर कलश स्थापना के लिए मिट्टी की वेदी बनायें. इसमे पहले से भीगे हुये जौ के दाने बिखेर दें, वेदी के बीच में एक अष्टदल कमल बनायें. अब कलश पर रोली से स्वास्तिक और त्रिशूल अंकित करें. फिर कलश के गले पर मौली लपेट दें. कलश के अन्दर गंगाजल भरे और उसके ऊपर पंच पल्लव लगाकर उस पर किसी मिट्टी के पात्र में चावल भरकर रख दें. इसके बाद सूखे नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर कलश के ऊपर रखें मिट्टी के कटोरे में रख दें, ध्यान रहे नारियल को सीधा खड़ा करके रखना है. इसके बाद हाथ में फूल और अक्षत लेकर सभी देवी-देवताओं का आह्वान करें.
सबसे पहले हवन के लिए एक बर्तन होना चाहिए जिसमे आहुति दी जा सके. यदि आपके पास ऐसा कोई बर्तन नहीं तो ईट से भी इसे बनाया जा सकता. हवन के लिए आम की लकडियां, बेल, नीम, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, पापल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन का लकड़ी, तिल, कपूर, लौंग, चावल, ब्राह्मी, मुलैठी, अश्वगंधा की जड़, बहेड़ा का फल, हर्रे तथा घी, शक्कर, जौ, गुगल, लोभान, इलायची एवं अन्य चीजों का बुरादा होना चाहिए.
सारे सामग्री इकट्टा कर लेने पर बारी बारी से सारे देवताओ को याद करते हुए आहुति दें. इसके बाद नीरियस के गोले में लाल कपड़ा या कलावा लपेट दें. फिर सुपारी, पान, बताशा, पूरी, खीर और अन्य प्रसाद को हवन कुंड के बीच में स्थापित कर दें. साथ ही पूर्ण आहुति के लिए मंत्र का उच्चारण करें –
ओम पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा.