Chaitra Navratri 6 Day: चैत्र नवरात्रि के छठे दिन करें माता कात्यायनी की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि और आरती

Chaitra Navratri 6 Day: नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करनी चाहिए. कात्यायनी मां शेर पर सवार चार भुजाएं वाली हैं, इनके बायें हाथ में कमल, तलवार व दाहिनें हाथों में स्वास्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा लिए हुए हैं.

By Radheshyam Kushwaha | April 13, 2024 5:41 PM

Chaitra Navratri 6 Day: नवरात्रि के छठे दिन माता के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है. नवरात्रि के छठवें दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी की पूजा-अराधना के लिए होता है. चैत्र नवरात्रि के छठे दिन 14 अप्रैल 2024 दिन रविवार को माता कात्यायनी की पूजा की जाएगी. मां दुर्गा के इस स्वरूप का अवतार कात्यायन ऋषि की पुत्री के रूप में हुआ था, इसलिए इन्हें माता कात्यायनी कहा जाता है. मां कात्यायनी को शहद और पीले रंग का भोग अत्यंत प्रिय है.

कैसा है मां का स्वरूप

कात्यायनी मां का शरीर सोने की तरह चमकीला है. कात्यायनी मां शेर पर सवार चार भुजाएं वाली हैं, इनके बायें हाथ में कमल, तलवार व दाहिनें हाथों में स्वास्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा लिए हुए हैं. माता कात्यायनी की चार भुजाएं अस्त्र-शस्त्र से सुशोभित हैं. माता कात्यायनी की पूजा में पीले रंग के वस्त्र पहनने की मान्यता है. धार्मिक मान्यता है कि मां कात्यायनी को शहद और पीले रंग का भोग अत्यंत प्रिय है. माता कात्यायानी को शहद का भोग लगाने से प्रसन्न होती हैं.

क्यों पड़ा मां का नाम कात्यायनी

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कात्यायनी ने महिषासुर का वध किया था. महिषासुर का संहार करने के कारण इन्हें दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी महिसासुरमर्दिनी कहा जाता है. पुराणों के अनुसार, कात्यायन ऋषि के घर उनकी बेटी के रुप में जन्म लेने के कारण ही मां दुर्गा के इस स्वरुप का नाम कात्यायनी पड़ा.

मां कात्यायनी की पूजा विधि

नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करें. सुबह नहाने के बाद पीले रंग का वस्त्र धारण करें. मंदिर या पूजा की जगह को गंगाजल से शुद्ध कर लें. पूजा प्रारंभ करने से पहले मां को स्मरण करें और हाथ में फूल लेकर संकल्प लें. मां को फूल अर्पित करें. इसके बाद कुमकुम, अक्षत, फूल आदि और सोलह श्रृंगार चढ़ाएं. फिर मां कात्यायनी को प्रिय भोग शहद-मिठाई इत्यादि का भोग लगाएं. देसी घी का दीपक जलाएं और माता की आरती करें.

रविवार का चौघड़िया

  • प्रात: 06:00 बजे से 7:30 तक उद्वेग
  • प्रात: 07:30 बजे से 09:00 तक चर
  • प्रात: 09:00 बजे से 10:30 बजे तक लाभ
  • प्रात: 10:30 बजे से 12 बजे तक अमृत
  • दोपहर 12 बजे से 1:30 बजे तक काल
  • दोप. 1:30 बजे से 3 बजे तक शुभ
  • दोप. 3 बजे से 4:30 बजे तक रोग
  • शाम 4:30 बजे से 6 बजे तक उद्वेग

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अच्छे वर-वधू के लिए करें ये उपाय
मां कात्यायनी की पूजा करने से रोग-शोक, कष्ट और भय दूर हो जाते हैं. इसके साथ ही इनकी पूजा से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं. जिन लोगों की शादी में देर हो रही है, उन्हें शीघ्र विवाह या प्रेम संबंधी मामलों के लिए चैत्र नवरात्रि के छठे दिन शाम को मां कात्यायनी को हल्दी की तीन गांठ चढ़ाएं. सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए पीले फूल चढ़ाते हुए ‘ॐ कात्यायनी महामये महायोगिन्यधीश्वरी। नंद गोप सुतं देहि पतिं में कुरुते नम:।।’ मंत्र का 108 बार जाप करें. ऐसा करने पर विवाह के योग बनेगा.

मां कात्यायनी मंत्र
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।। ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।

मां कात्यायनी की आरती
जय जय अम्बे जय कात्यायनी। जय जग माता जग की महारानी॥
बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहावर दाती नाम पुकारा॥
कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है॥
हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी। कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥
हर जगह उत्सव होते रहते। हर मन्दिर में भगत है कहते॥
कत्यानी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की॥
झूठे मोह से छुडाने वाली। अपना नाम जपाने वाली॥
बृहस्पतिवार को पूजा करिए। ध्यान कात्यानी का धरिये॥
हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी॥
जो भी माँ को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥

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