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Chaitra Navratri 2024: क्या जानते है कैसे हुई थी नवरात्रि की शुरुआत, जानें सबसे पहले किसने रखा था 9 दिनों का व्रत

Chaitra Navratri 2024: मां दुर्गा स्वयं शक्ति स्वरूपा हैं. नवरात्रि में भक्त आध्यात्मिक बल, सुख-समृद्धि की कामना के साथ मां दुर्गा की उपासना करते हैं.

By Radheshyam Kushwaha | April 2, 2024 1:41 PM
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Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. शक्ति स्वरूपा माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के नौ दिन भक्त माता की उपासना करते हैं. मां दुर्गा को अम्बा, चंडी, काली, चंद्रिका, दुर्गा के अलावा महिषासुरमर्दिनी नाम से भी जाना जाता है. इसके साथ ही नवरात्रि के पहला दिन शैलपुत्री, दूसरा दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरा दिन चंद्रघंटा, चौथा दिन कूष्मांडा, पांचवां दिन स्कंदमाता, छठा दिन कात्यायनी, सातवां दिन कालरात्रि, आठवां दिन महागौरी और नौवां दिन सिद्धिदात्री की पूजन की जाती है. नवरात्रि में माता की आराधना करने का विधान सदियों पूराना है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले नवरात्रि में 9 दिनों तक व्रत किसने रखा था. नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई थी और सबसे पहले किसने नवरात्रि के व्रत रखा था.

नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई थी?

मां दुर्गा स्वयं शक्ति स्वरूपा हैं. नवरात्रि में भक्त आध्यात्मिक बल, सुख-समृद्धि की कामना के साथ मां दुर्गा की उपासना करते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता के नवरात्रि की शुरुआत त्रेतायुग में भगवान श्रीराम से हुई थी. श्रीराम ने रावण से युद्ध करने से पूर्व माता से आध्यात्मिक बल और विजय की कामना की थी. वाल्मीकि रामायण में बताया गया है कि भगवान श्रीराम ने किष्किंधा के पास ऋष्यमूक पर्वत पर चढ़ाई से पहले माता दुर्गा की उपासना की थी. शास्त्रों के अनुसार नौ दिनों तक माता की उपासना करने का सुझाव ब्रह्मा जी ने विष्णु के अवतार भगवान श्रीराम को दिया था.

भगवान श्री राम को कैसे मिला माता का आशीर्वाद

बह्मा जी ने चंडी पाठ के साथ ही राम जी को यह भी बताया कि, पूजा सफल तभी होगी जब चंडी पूजन और हवन के बाद 108 नील कमल भी अर्पित किये जाएंगे. ये नील कमल अतिदुर्लभ माने जाते हैं. प्रभु श्री राम ने अपनी सेना की मदद से ये 108 नील कमल जुटाने में सफल हुए, लेकिन जब रावण को ये बात पता लगी तो उसने अपनी मायावी शक्ति से एक नील कमल गायब कर दिया. चंडी पूजन के अंत में भगवान राम ने जब कमल के पुष्प चढ़ाए तो एक कमल कम था. ये देखकर प्रभु श्रीराम चिंतित हो गए.

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जब प्रभु श्रीराम ने माता को आंख अर्पित करने का लिया फैसला

फिर भगवान श्रीराम ने कमल की जगह अपनी एक आंख माता को अर्पित करने का फैसला लिया. अपने नयन अर्पित करने के लिए जैसे ही उन्होंने तीर उठाया तभी माता चंडी प्रकट हुईं. माता चंडी उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर विजय का आशीर्वाद दिया. प्रतिपदा से लेकर नवमी तक माता चंडी को प्रसन्न करने के लिए श्री राम ने अन्न जल भी ग्रहण नहीं किए थे. नौ दिनों तक माता दुर्गा के स्वरूप चंडी देवी की पूजा करने के बाद भगवान राम को रावण पर विजय प्राप्त हुई. तभी से नवरात्रि की शुरुआत हुई, और भगवान राम नवरात्रि के 9 दिनों तक व्रत रखने वाले पहले राजा और पहले व्यक्ति थे.

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