Chaitra Purnima 2024 Date: चैत्र मास की पूर्णिमा कब है? जानें स्नान-दान का शुभ समय, पूजा विधि और अपने सवाल का जवाब

Chaitra Purnima 2024 Date: चैत्र पूर्णिमा 23 अप्रैल को मनाई जाएगी. यह दिन भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है. इसे चैती पूनम के नाम से भी जाना जाता है. पूर्णिमा तिथि को मंत्र सिद्धि के लिए बिल्कुल शुभ समय के रूप में देखा जाता है.

By Radheshyam Kushwaha | April 20, 2024 1:42 PM
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Chaitra Purnima 2024 Date: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है. क्योंकि यह पूर्णिमा तिथि हिंदू नववर्ष की पहली पूर्णिमा होगी, इसे चैती पूनम के नाम से भी जाना जाता है, इस साल चैत्र पूर्णिमा 23 अप्रैल को मनाई जाएगी. वहीं, इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा का विधान है. धार्मिक मान्यता है कि अगर पूर्णिमा तिथि पर किसी भी प्रकार की धार्मिक और आध्यात्मिक विधियां की जाए, तो इसका शुभ परिणाम तुरंत देखने को मिलता हैं. चैत्र पूर्णिमा के दिन चंद्र देव अपने पूर्ण आकार में होते हैं, इस दिन शुभ फलों की प्राप्ति के लिए व्रत भी रखा जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं चैत्र पूर्णिमा की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में…

चैत्र पूर्णिमा 2024 डेट और शुभ मुहूर्त

चैत्र मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 23 अप्रैल 2024 की सुबह 3 बजकर 25 मिनट पर हो जाएगी. वहीं चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 24 अप्रैल 2024 की सुबह 5 बजकर 18 मिनट पर होगी. चैत्र पूर्णिमा पर स्नान-दान का मुहूर्त 23 अप्रैल की सुबह 4 बजकर 20 मिनट से लेकर 5 बजकर 04 मिनट तक है. वहीं अगर आप चैत्र पूर्णिमा का व्रत करते हैं तो इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करें और कथा जरूर पढ़ें. सत्यनारायण की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 23 अप्रैल को सुबह 10 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. पूर्णिमा व्रत का पारण शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है.

चैत्र पूर्णिमा की पूजा विधि

  • चैत्र पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर सभी काम करके शुभ मुहूर्त में स्नान कर लेना चाहिए.
  • अब चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापति करें.
  • इसके बाद दीपक जलाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधना करें.
  • अब आरती कर फल, खीर, मिठाई का भोग लगाएं और प्रसाद का वितरण करें.
  • अंत में ब्राह्मण या गरीबों को श्रद्धा के अनुसार दान करें.

चैत्र माह की पूर्णिमा का महत्व

  • पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा की जाती है.
  • इस दिन तीर्थ स्नान, दान, व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान हैं.
  • चैत्र पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है.
  • इस दिन किए गए विष्णु पूजन से देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं.
  • माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
  • जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.

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पूर्णिमा पर किस देवता की पूजा करनी चाहिए?
पूर्णिमा व्रत पूजा में भगवान शिव, भगवान विष्णु या देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस दिन दीपक, धूप जलाते हैं और फूल और फल चढ़ाते हैं. चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा करना चाहिए. चंद्रमा को अर्घ्य देने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है.

चैत्र पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए?
चैत्र पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त हो जाएं और स्नान कर लें, इसके बाद एक लकड़ी चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उसपर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें. फिर उनके सामने दीपक जलाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें.

पूर्णिमा के दिन कौन सा काम नहीं करना चाहिए?
पूर्णिमा व्रत दौरान मंत्रों का जाप करने, भोग लगाने, ब्रह्मचर्य बनाए रखने और गंगा नदी में पवित्र स्नान करना चाहिए. हालांकि, व्यक्ति को तामसिक भोजन, शराब का सेवन, बाल और नाखून काटना, वाद-विवाद, शुभ कार्य, जुआ खेलना और अपनी मां का अपमान करने से बचना चाहिए.

पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं?
पूर्णिमा के दिन शराब या मांसाहारी भोजन के सेवन करने से बचना चाहिए, इस दिन प्याज लहसुन और शराब का सेवन करने से बचना चाहिए, इस दिन दूसरों के हाथ का बना हुआ खाना खाने की बजाय अपना खाना खुद बनाकर खाना चाहिए. पूर्णिमा व्रत के दौरान झूठ बोलना, धोखा देना या जुआ खेलना जैसे किसी भी अनैतिक व्यवहार में भाग लेने से बचना चाहिए.

पूर्णिमा की रात को क्या करना चाहिए?
पूर्णिमा की रात चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद चंद्रमा की रोशनी में माता के चरण स्पर्श करना चाहिए. धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन पूजा-पाठ करने पर सुख-समृद्धि बनी रहती है और करियर में तरक्की के योग बनते हैं. इसके साथ ही इस दिन माता के हाथ से चावल लेकर अपने धन के स्थान पर जैसे अलमारी या तिजोरी या पर्स में रखने से बरकत आती है.

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