Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य एक महान शिक्षक होने के साथ अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र और कूटनीति शास्त्र जैसे कई विषयों के विशेषज्ञ थे. इन्होंने आर्थिक संकट, वैवाहिक जीवन, नौकरीपेशा, व्यापार, मित्रता और दुश्मनी आदि विषयों पर बहुत ही गहराई से अध्ययन किया था. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में बताया है कि छात्र-छात्राओं को अपना अच्छा भविष्य बनाने के लिए कुछ चीजों का त्याग करना पड़ता है. चाणक्य ने सफलता पाने के लिए कई टिप्स दिये है. उन्होंन कहा है कि जो छात्र इन चीजों को नहीं छोड़ता है, वह विद्या जैसे महान धन का अर्जित नहीं कर सकता है.
चाणक्य ने अपनी नीतियों में बताया है कि विद्यार्थियों को अध्ययन के समय में कुछ सावधानिया रखनी चाहिए. चाणक्य के अनुसार किसी भी छात्र को देर तक नहीं सोना चाहिए. छात्र और संत एक समान होते है. संतों और छात्रों को एक जैसी नींद लेनी चाहिए, जिस तरह संत अपनी साधना को पूरा करने के लिए हमेशा उत्सुक रहते है, ठीक उसी तरह से विद्यार्थियों को भी अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए उत्सुक रहना चाहिए. छात्रों को हमेशा पौष्टिक भोजन खाना चाहिए. पौस्टिक खाना खाने से छात्रों के स्वास्थ्य के विकास के साथ-साथ बुद्धि का भी विकास होता है.
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आचार्य चाणक्य ने कहा है कि विद्यार्थियों को कामवासना से दूर रहना चाहिए. अगर वह अनैतिक चीजों के बारे में सोचता रहा तो विद्या ठीक से प्राप्त नहीं कर सकता है. उसका अध्यन करने में बिल्कुल ही मन नहीं लगेगा.
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मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु क्रोध होता है. क्रोध से व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है. क्रोध में रहने वाला व्यक्ति ठीक से पढ़ाई-लिखाई नहीं कर सकता है.
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लोभ इंसान को आगे ले जाने के बजाय पीछे ले जाता है. छात्र के लिए लालच पढ़ाई के लिए होना चाहिए, अन्यथा छात्र जीवन में लालच करना खराब परिणाम लाते हैं. छात्रों को लालच से दूर रहना चाहिए.
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चाणक्य ने बताया है कि छात्र को हमेशा संतुलित भोजन करना चाहिए. कुछ भी खा लेने से छात्र के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है, जिससे उसके अध्ययन में बाधा आ जाता है.
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छात्र जीवन में साधारण रहना चाहिए. छात्राओं को अधिक शृंगार नहीं करना चाहिए. साज-शृंगार में अगर ध्यान रहेगा तो अध्ययन में विघ्न आ जाएगा. छात्र का मन पढ़ाई में नहीं लगेगा और परिक्षा में अच्छे परिणाम प्राप्त नहीं कर पाएगा.
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चाणक्य ने कहा है कि ऐसा नहीं है कि छात्रों को हर समय अध्ययन करते रहना चाहिए, उसको मनोरंजन के लिए खेल-कूद का सहारा लेना चाहिए. छात्र को आवश्यकता से अधिक खेलकूद में नहीं लगना चाहिए. इससे बचना चाहिए.
Posted by: Radheshyam Kushwaha