Chanakya Niti : चाणक्य को अपनी विद्वता के लिए जाना जाता है.आचार्य चाणक्य ने अपने निर्णय से और सूझ-बूझ से बड़े राजनीतिक उलटफेर किए थे.आज के दौर में जब इंसान अपने निजी जीवन में कई समस्याओं से उलझता है तो उसे अपनी समस्याओं से बाहर निकलने के लिए उचित सलाह की जरुरत होती है.उस समय आचार्य चाणक्य की वो सलाह फायदेमंद सिद्ध हो सकती है जिसका जिक्र उन्होंने अपनी चाणक्य नीति (Chanakya Niti ) में किया है.एक श्लोक के जरिए चाणक्य ने बताया है कि एक इंसान की मां,पिता , पत्नी और औलाद उसके जीवन पर कितना प्रभाव डालते हैं.
Chanakya Niti Shloka :
चाणक्य अपने श्लोक में कहते हैं-
ऋणकर्ता पिता शत्रुर्माता च व्यभिचारिणी।
भार्या रूपवती शत्रु: पुत्र: शत्रुरपण्डित:।।
भावार्थ :
चाणक्य ने इन चार कारणों का जिक्र करते हुए परिवार के इन सदस्यों को शत्रु समान बताया है-
कर्ज लेने वाला पिता – चाणक्य (Aacharya Chanakya ) कहते हैं कि जो पिता कर्ज लेता है वो पिता किसी दुश्मन से कम नहीं होता.चाणक्य कहते हैं कि पिता का यह फर्ज है कि वो अपने संतानों का पालन-पोषण सही तरीके से करे.पिता अगर कर्ज लेकर आगे चलकर अपने संतानों के सिर पटकता है तो वह पिता दुश्मन समान है.
मां का अपने संतानों में भेदभाव करना – चाणक्य (Chanakya ) कहते हैं कि वो मां जो अपने ही संतानों के बीच भेदभाव करे और सभी संतानों को एक समान नहीं देखे वो बच्चों के लिए घातक साबित होती है.वहीं यदि गैर पुरुष के साथ उसका संबंध हो तो वह अपने परिवार व संतान का भला कभी नही सोच सकती.
सुंदर दिखने वाली पत्नी- चाणक्य (Chanakya ) कहते हैं कि पत्नी की अति सुंदरता भी पति के लिए समस्या का कारण बन सकती है.यदि पति कमजोर हो और पत्नी अत्यंत रूपवती हो लेकिन पति का सम्मान नहीं करे और ना ही उससे प्रेम करे तो वो अपने पति के लिए समस्या का कारण बन सकती है.यह उसे उसके शत्रु के समान व्यवहार में बना सकता है.
बेवकूफ संतान होना- आचार्य चाणक्य ( Chanakya ) कहते हैं कि अगर किसी इंसान की औलाद बेवकूफ हो तो वह उसके लिए दुश्मन के ही समान है.वह जीवन भर अपने पिता के लिए समस्याएं पैदा करेगा.और अगर माता-पिता अपने संतानों के प्रति अपने कर्तव्य का पालन नहीं करे तो संतान आगे चलकर उसके लिए नुकसान ही पैदा करेंगे.