Chanakya Niti: चाणक्य ने कहा है कि गुणवान स्त्री और समझदार पति जीवन रुपी गाड़ी के दो पहिए हैं. जब ये दोनों मिलकर एक साथ चलते हैं तो जिंदगी का सफर सुखदमय बीतता है. जीवन में कभी किसी प्रकार की परेशानी नहीं आ सकती है. चाणक्य ने कहा हैं कि जो स्त्री धर्म, शास्त्र और वेदों की समझ रखती है, वह स्त्री कुल का नाम रोशन करती है. वहीं जो पुरुष मर्यादा, सदाचार और नैतिक मार्ग पर चलकर लक्ष्यों को प्राप्त करता है वह समाज में अनुकरणीय होता है. चाणक्य के अनुसार अच्छे गुणों से पूर्ण और स्वच्छ विचारों युक्त पति-पत्नी ही सुखद वैवाहिक जीवन का आनंद उठाने में सक्षम होते हैं, जिस पति- पत्नी में ये अवगुण होते हैं वो स्वयं का वैवाहिक जीवन तो खराब करते ही हैं, साथ ही साथ परिवार के अन्य लोगों के लिए भी मुसीबत खड़ी करते हैं. ऐसे दंपति का भविष्य अंधकारमय होने लगता है और जीवन दिशाहीन हो जाता है.
– झूठ बोलने की आदत: झूठ कभी नहीं बोलना चाहिए. ये ऐसा अवगुण है जो हर किसी को पीड़ा पहुंचाता है. स्वयं और दूसरों के लिए भी अच्छा नहीं होता है. झूठ किसी भी रिश्ते को बर्बाद कर देता है. पति और पत्नी का संबंध इतना पवित्र होता है कि इसमें झूठ का प्रवेश नहीं होना चाहिए.
– अधिक पैसे खर्च करने की आदत: व्यक्ति के लिए पैसे का संतुलन बनाए रखना काफी अहम होता है. इंसान के जीवन में सफलता के लिए जरूरी है कि उसे आय और व्यय के संतुलन का पता हो. खर्च और कमाई की समझ नहीं रखने वाले इंसान बर्बाद हो जाते हैं. ऐसे व्यक्ति हर मौके पर खुद को अकेले पाते हैं और एक समय के बाद बर्बाद हो जाते हैं.
– क्रोध करना: क्रोध ऐसा अवगुण है जो व्यक्ति की बुद्धि का नाश कर देता है. बात बात पर क्रोध करने वाले पति-पत्नी मानसिक रूप से तनाव में रहते हैं. व्यक्ति के अच्छे गुणों को नष्ट कर देता है. क्रोध से वैवाहिक जीवन में कलह की शुरूआत होती है जिससे परिवार की शांति भंग होती है. वह अपने आसपास होने वाली अच्छी चीजों का आनंद नहीं उठा पाते हैं.
– संकट के समय धैर्य खो देना: पति और पत्नी की असली परीक्षा संकट के समय ही होती है. संकट की घड़ी में अलग हो जाने से समस्या खत्म नहीं होती बल्कि आने वाले नए संकट की ये शुरूआत होती है. संकट के समय दोनों को एक दूसरे की शक्ति बनना चाहिए. संकट के समय धैर्य खो देने से समस्या में वृद्धि होती है.
-गोपनीयता भंग करना: पति और पत्नी को कभी भी आपस की बातों को अन्य लोगों के साथ साझा नहीं करना चाहिए. आज के समय में ये गलती नहीं करनी चाहिए. एक दूसरे के सम्मान में सुखद वैवाहिक जीवन का रहस्य छिपा हुआ है. मजबूत रिश्ते के लिए एक दूसरे की भावनाओं का पूरा ध्यान रखें. अच्छे पति और पत्नी वहीं कहलाते हैं जो एक दूसरे के अच्छे कामों की सराहना करें.
-संस्कार और मर्यादा का त्याग करना: पति और पत्नी को किसी भी सूरत में अपनी मर्यादा और संस्कारों का त्याग नहीं करना चाहिए. ध्यान रहे रिश्तों को निभाने की जिम्मेदारी दोनों की समान है. जब ये दोनों गुणों को लोप होने लगता है तो घर का वातावरण कलह और आशांति से भर जाता है. इसलिए कोई कम या अधिक नहीं है. सभी जिम्मेदारियां तभी पूर्ण की जा सकती है जब संस्कार और मर्यादा का पालन किया जाए. ये मनुष्य को श्रेष्ठ बनाने वाले ऐसे गुण हैं, जिनकी वजह से वह सम्मान प्राप्त करता है.