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Holi 2024: होलिका दहन के साथ रंगोत्सव शुरू, आज 04 घंटे 36 मिनट तक रहेगा ग्रहण काल

Chandra Grahan 2024: साल का पहला चंद्र ग्रहण आज लगने रहा है. इस दिन चंद्र ग्रहण लगभग 4 घंटे 36 मिनट तक रहेगा. होली खेलने के समय पर ही सौर्य मंडल में चंद्र ग्रहण का पूर्ण प्रभाव रहेगा.

Holi 2024: आज रंगों वाली होली है. हालांकि कुछ जगहों पर कल होली मनाई जाएगी. बता दें कि रविवार की रात धूमधाम से होलिका दहन किया गया. इसी के साथ होली यानी रंगोत्सव का आगाज हो गया. विभिन्न शहर के चौक-चौराहों पर लोग एकजुट होकर परंपरागत तरीके से होलिका दहन किया और एक-दूसरे को होली की बधाई दी. कई मुहल्लों में तो लोगों ने ढोलक बजा कर और होली के गीतों के साथ अगजा जलाया. इसके साथ ही चना का झंगरी व गेहूं की बाली को अगजा में पकाया. वहीं कई लोग होलिका दहन की तस्वीरे अपने मोबाइल के कैमरे में कैद करने जुटे रहे.

होलिका दहन के साथ रंगोत्सव शुरू

इस मौके पर पुलिस प्रशासन की भी सक्रिय भूमिका रही. सभी स्थानों पर सुरक्षा की व्यवस्था की गयी थी ताकि कोई अप्रिय घटना न हो, इस समारोह में सामूहिक रूप से गीत, नृत्य का आयोजन किया गया. खासकर युवाओं ने उत्साह और उमंग के साथ अगजा लगाया. होलिका दहन में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया. प्रत्येक मोहल्ले और चौक चौराहों पर विशेष रूप से इसकी तैयारी की गयी थी. तीन से चार दिन पहले से ही युवाओं ने जलावन संग्रहित कर लिया था. इस बार दो दिन होली मनाये जाने के कारण कहीं सोमवार, तो कहीं मंगलवार को होली मनायी जा रही है.

आज 04 घंटे 36 मिनट तक रहेगा ग्रहण काल

आज 25 मार्च है. आज रंगों वाली होली खेली जाएगी. रंगों की होली चंद्र ग्रहण के साए में खेली जाएगी. आज 10 बजकर 23 मिनट से दोपहर 3 बजकर 02 मिनट तक चंद्र ग्रहण काल रहेगा. इसके साथ ही इसका स्पर्श काल 12 बजकर 45 मिनट पर रहेगा. यह चंद्र ग्रहण भारत पर नजर नहीं आएगा, जिसके कारण सूतक काल मान्य नहीं होगा.

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पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का अत्यंत बलशाली राजा था, जो भगवान में बिल्कुल भी विश्वास नहीं रखता था. लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद श्री विष्णु का परम भक्त था. एक दिन हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद से तंग आकर उसे मारने के लिए अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद के साथ अग्नि में बैठने को कहा, परंतु होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त होने के बाद भी वह आग में जल गयी और भक्त प्रह्लाद बच गया. बुराई पर अच्छाई की इसी जीत के बाद ही होलिका दहन का यह त्योहार मनाया जाने लगा.

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