18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

डेढ़ लाख वर्ष पुराना है देव का सूर्य मंदिर

औरंगाबाद जिले के कुछ लोग इसे विश्वकर्मा मंदिर के तौर पर भी जानते हैं. मंदिर निर्माण को लेकर कई किदवंतियां हैं. कोई इसका निर्माण काल त्रेतायुग मानता है, तो कोई द्वापर काल से इसका संबंध जोड़ता है.

जब छठ की महिमा की बात होती है, तो सूर्य नगरी देव स्थित भगवान सूर्य के मंदिर की चर्चा जरूर होती है. कहा जाता है कि डेढ़ लाख से भी ज्यादा वर्षों से यहां का सूर्य मंदिर और इसके समीप स्थित पवित्र सूर्यकुंड तालाब आस्था के केंद्र हैं. जहां तक मंदिर निर्माण की बात है, तो यह आज भी एक अनसुलझी पहेली है. वैसे यह विश्व का इकलौता पश्चिमाभिमुख सूर्य मंदिर है, जिसकी स्थापत्य कला बेजोड़ है. यह कोणार्क के मंदिर से मिलता-जुलता है. देव सूर्य मंदिर करीब 100 फीट ऊंचा है.

Also Read: Chhath Mata ki Aarti: ‘जय छठी मईया… इस आरती के बिना अधूरी मानी जाती है छठ माता की पूजा

यह काले और भूरे पत्थरों की नायाब शिल्पकारी से बना है. मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण त्रेता युग में भगवान विश्वकर्मा ने स्वयं किया था. मंदिर के बाहर लगे शिलालेख के अनुसार, त्रेता युग के 12 लाख 16 हजार वर्ष बीत जाने के बाद इला पुत्र पुरुरवा ऐल ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. शिलालेख से यह भी पता चलता है कि 2023 में इस पौराणिक मंदिर के निर्माण काल के एक लाख 50 हजार 22 वर्ष पूरे हो चुके हैं. वैसे, औरंगाबाद जिले के कुछ लोग इसे विश्वकर्मा मंदिर के तौर पर भी जानते हैं. मंदिर निर्माण को लेकर कई किदवंतियां हैं. कोई इसका निर्माण काल त्रेतायुग मानता है, तो कोई द्वापर काल से इसका संबंध जोड़ता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें