Chhath Puja 2023 Date: कब है छठ पूजा? जानिए नहाय-खाय, खरना और व्रत पूजा की सही तारीख
Chhath Puja 2023 Date: छठ पूजा मे षष्ठी माता और सूर्य देव की पूजा अराधना की जाती है. इस पर्व को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. छठ पूजा 17 नवंबर से शुरू होगी. इस साल छठ पूजा में विशेष संयोग बन रहा है.
Chhath Puja 2023 Date: बिहार-यूपी में छठ पूजा का विशेष महत्व होता है. छठ पूजा को महापर्व कहा जाता है. छठ पूजा पूरी तरह से प्रकृति को समर्पित होता है. इस पर्व में व्रती 36 घंटे निर्जला उपवास करती हैं, जबकि किसी अन्य पर्व में इतना लंबा उपवास नहीं रखा जाता है. छठ पूजा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. छठ पूजा का पर्व नहाय खाय के साथ प्रारम्भ होता है. यह पर्व चार दिन का होता है. छठ पूजा मे षष्ठी माता और सूर्य देव की पूजा अराधना की जाती है. इस पर्व को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. छठ पूजा 17 नवंबर से शुरू होगी. इस साल छठ पूजा में विशेष संयोग बन रहा है. 17 नवंबर को अमृतयोग और रवियोग के साथ छठ पूजा प्रारम्भ हो रही है. छठ पूजा संतान प्राप्ति या संतान के सुखमय जीवन के लिए किया जाता है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार की छठ पूजा पर शुभ योग का संयोग बन रहा है. क्योंकि रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है और पहला अर्घ्य रविवार को ही पड़ रहा है जो बेहद शुभ है.
कार्तिक मास की षष्ठी तिथि कब है?
पंचांग के अनुसार छठ पूजा पर सूर्योदय सुबह 06 बजकर 48 मिनट पर होगा और सूर्यास्त शाम 06 बजे होगा. वहीं षष्ठी तिथि 18 नवंबर 2023 को सुबह 09 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और 19 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी.
नहाय खाय के साथ छठ पूजा प्रारम्भ
चार दिनों तक चलने वाला छठ पूजा पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है. छठ पूजा की शुरुआत इस साल 17 नवंबर से हो रही है. इस दिन से घर में शुद्धता का ध्यान रखा जाता है. नहाय खाय में व्रती सहित परिवार के सभी सदस्य चावल के साथ कद्दू की सब्जी, चने की दाल, मूली आदि ग्रहण करते हैं. वहीं, 18 नवंबर को खरना है. इस दिन गुड़ और खीर का प्रसाद बना कर ग्रहण करते हैं.
खरना का प्रसाद ग्रहण कर रखा जाता है 36 घंटे का उपवास
व्रती गुड़ और खीर का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे निर्जला उपवास रखती हैं. इस प्रसाद को बनाने में मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है. इसके साथ ही 19 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसे संध्या अर्घ्य भी कहते हैं. चौथे दिन यानी 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दौरान व्रती सूर्य देव से अपनी संतान और परिवार के सुख शांति के लिए कामना करती हैं.
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छठ पूजा का मुख्य प्रसाद
छठ पूजा का मुख्य प्रसाद केला और नारियल होता है. इस पर्व का महाप्रसाद ठेकुवा को कहा जाता है. यह ठेकुवा आटा, गुड़ और शुद्ध घी से बनाया जाता है, जो कि काफी प्रसिद्ध है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, छठ पूजा को बहुत ही कठिन पर्व माना जाता है. इस पर्व में व्रती तीन दिनों तक निर्जला उपवास रखती हैं. छठ पूजा में माता छठ और भगवान सूर्य की उपासना की जाती है. मान्यता है कि जो भी जातक पूरे विधि विधान के साथ छठ पूजा करते हैं उसकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है.