Chhath Puja Vrat 2023: महापर्व का धार्मिक अनुष्ठान 17 नवंबर से नहाय-खाय से शुरू हो रहा है. 18 नवंबर को खरना है. वहीं 19 नवंबर को अस्ताचलगामी को अर्घ दिया जाएगा. 20 नवबर को उदयगामी सूर्य को अर्घ दिया जाएगा. लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर बाजार में चहल-पहल बढ़ने लगी है. हर तरफ अस्थायी दुकानें सज रही हैं. छठ के मौके पर आम की लकड़ी और बांस के सूप के साथ-साथ पीतल के सूप की भी मांग बढ़ जाती है. छठ में मिट्टी के चूल्हे का खास महत्व होता है. इसी चूल्हे पर आम की लकड़ी और गोइठा से छठी मैया का मुख्य प्रसाद बनाया जाता है. महापर्व छठ पूजा को लेकर बाजार में खरीदारी शुरू हो गयी है. आइए जानते है छठ पूजा से जुड़ी पूरी जानकारी
छठ पूजा के लिए कुछ ख़ास सामग्री की ज़रूरत होती है जो इस उत्सव को पूर्ण बनाती है. प्रसाद रखने के लिए बांस की दो बड़ी टोकरियां, सूर्य को अर्घ्य देने के लिए बांस या पीतल से बने बर्तन, दूध और गंगाजल के अर्घ्य के लिए एक गिलास, लोटा और थाली सेट, पानी वाला नारियल, पांच पत्तेदार गन्ने के तने, चावल, बारह दीपक या दीये, रोशनी, कुमकुम और अगरबत्ती, सिन्दूर, एक केले का पत्ता, केला, सेब, सिंघाड़ा, हल्दी, मूली और अदरक के पौधे, शकरकंद और सुथनी, सुपारी, शहद और मिठाई, गुड़, गेहूं और चावल का आटा, गंगाजल और दूध ठेकुआ.
छठ का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय खाय से शुरू होता है. पंचमी को खरना, षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और सप्तमी को उगते सूर्य को जल अर्पित कर व्रत संपन्न किया जाता है. चार दिनों तक चलने वाला इस पर्व में सूर्य और छठी मैय्या की पूजा की जाती है. छठ पूजा व्रत बेहद कठिन माना जाता है, क्योंकि इस व्रत को 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए रखा जाता है. यह व्रत संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए किया जाता है. छठ पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है. इस पर्व में सूर्य देव को अर्घ्य देने का सबसे ज्यादा महत्व माना गया है.
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छठ पूजा का यह महापर्व चार दिन तक चलता है, इसका पहला दिन नहाय-खाय होता है. नहाय-खाय 17 नवंबर दिन शुक्रवार को है, इस दिन सूर्योदय 06 बजकर 45 मिनट होगा. वहीं, सूर्यास्त शाम 05 बजकर 27 मिनट पर होगा. ज्योतिषाचार्य के अनुसार छठ पूजा की नहाय खाय परंपरा में व्रती नदी में स्नान के बाद नए वस्त्र धारण कर शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं, इस दिन व्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं.
छठ पूजा व्रत शुरू करने से पहले खरना किया जाता है. खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है, इस साल खरना 18 नवंबर को है. इस दिन का सूर्योदय सुबह 06 बजकर 46 मिनट और सूर्यास्त शाम 05 बजकर 26 मिनट पर होगा. खरना के दिन व्रती एक समय मीठा भोजन करते हैं. इस दिन गु़ड़ से बनी चावल की खीर खाई जाती है. इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है. इस प्रसाद को खाने के बाद व्रत शुरू हो जाता है. इस दिन नमक नहीं खाया जाता है.
छठ पूजा पर सबसे महत्वपूर्ण दिन तीसरा होता है, इस दिन संध्या अर्घ्य का होता है. इस दिन व्रती घाट पर आकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को दिया जाएगा. इस दिन सूर्यास्त शाम 05 बजकर 26 मिनट पर होगा, इस दिन टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है, इसके बाद नदी या तालाब में कमर तक पानी में रहकर अर्घ्य दिया जाता है.
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चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है, इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण का होता है, इस साल 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इस दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर होगा, इसके बाद ही 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है. इस दिन सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं.