Chhath Puja in Periods: छठ पूजा पर आ रही पीरियड्स डेट, जानें क्या दे सकते हैं सूर्यदेव को अर्घ्य

Chhath Puja 2024 in Periods: छठ पूजा में गहरी श्रद्धा के साथ-साथ स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है. महिलाएं इस व्रत को सभी नियमों और विधियों के अनुसार पूरा करती हैं. इस पूजा के दौरान व्रति 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं. छठ पूजा को तपस्या के समान माना जाता है. ऐसे में यदि किसी महिला का मासिक धर्म शुरू हो जाए, तो उसे क्या करना चाहिए? क्या मासिक धर्म के दौरान छठ पूजा करना संभव है, और क्या सूर्य देव को जल अर्पित किया जा सकता है?

By Shaurya Punj | November 4, 2024 1:42 PM
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Chhath Puja 2024 in Periods: भारत त्योहारों का एक समृद्ध केंद्र है, जहां प्रत्येक पर्व विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है. उत्तर भारत में छठ पूजा एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो बिहार से शुरू होकर झारखंड, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के साथ-साथ विदेशों में भी प्रसिद्ध हो चुका है. यह पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है. छठ पूजा के दौरान महिलाएं भगवान सूर्य और छठी माई से अपने परिवार की समृद्धि और संतान की दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं.

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छठ पूजा 2024 की शुभ तिथि

पूजा पाठ के दौरान महिलाओं के लिए पूजा के समय कई प्रकार के नियमों का पालन करना आवश्यक होता है. इनमें से एक नियम यह है कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पूजा-पाठ करने की अनुमति नहीं होती. इसके अतिरिक्त, इन दिनों महिलाओं का मंदिर में जाना भी निषेध होता है.

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छठ पूजा के दौरान पीरियड में क्या करें?

यदि किसी महिला ने छठ व्रत का पालन करना आरंभ किया है, तो इसे हर वर्ष करना चाहिए. यदि छठ पूजा के समय पीरियड्स आ जाते हैं, तो कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है. यह मान्यता है कि पूजा में शारीरिक और मानसिक शुद्धता आवश्यक होती है, तभी छठी मइया प्रसन्न होती हैं.

यदि पीरियड्स शुरू हो गए हैं, तो आप निर्जला व्रत को जारी रख सकती हैं, लेकिन पूजा की सामग्री को छूने से बचें. पहले, दूसरे या तीसरे दिन अर्घ्य देने से बचें और इसके बजाय घर के किसी अन्य सदस्य से अर्घ्य दिलवाने का प्रयास करें.

पीरियड्स के दौरान पूजा पाठ में होती है मनाही

महिलाओं के पीरियड्स के समय पूजा-पाठ करने की मनाही का कारण प्राचीन परंपराओं में निहित है. यह माना जाता है कि इस अवधि में महिलाओं के शरीर में विशेष प्रकार की ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिसे भगवान भी सहन नहीं कर सकते. उदाहरण के लिए, जब कोई महिला इस दौरान तुलसी में जल अर्पित करती है, तो तुलसी सूख जाती है. इसी प्रकार, यह विश्वास है कि भगवान इस ऊर्जा को सहन नहीं कर पाते, इसलिए पीरियड्स के समय पूजा-पाठ से दूर रहने की सलाह दी जाती है.

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