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Chhath Puja 2022 : पलामू में देखते बनती है लोक आस्था के महापर्व छठ की छटा

पिछले दो वर्षों से छठ महापर्व को लेकर लोगों में उत्साह थोड़ा फीका पड़ गया था, लेकिन इस बार उत्साह चरम पर है. अन्य जगहों की तरह पलामू में भी दो बार छठ मनाया जाता है. चैत्र माह की षष्ठी तिथि को चैती छठ, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ मनाया जाता है.

By Guru Swarup Mishra | October 30, 2022 4:48 PM

Chhath Puja 2022 : लोक आस्था का महापर्व छठ पलामू की सांस्कृतिक विरासत है. पारंपरिक तरीके से वर्षों से मनाया जा रहा यह महापर्व यहां की संस्कृति में रचा बसा है. इसे लेकर यहां के लोगों में श्रद्धा देखते बनती है. यही कारण है कि पवित्रता के महान पर्व को लेकर लोगों को सालभर से इंतजार रहता है. वैश्विक महामारी कोरोना के कारण पिछले दो वर्षों से छठ महापर्व को लेकर लोगों में उत्साह थोड़ा फीका पड़ गया था, लेकिन इस बार उत्साह चरम पर है. अन्य जगहों की तरह पलामू में भी दो बार छठ मनाया जाता है. चैत्र माह की षष्ठी तिथि को चैती छठ, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ मनाया जाता है.

सूर्य उपासना का महापर्व छठ

सूर्य उपासना से जुड़ा यह पर्व काफी कठिन माना जाता है. इस पर्व के दौरान लोग काफी सजग रहते हैं. लोगों में ऐसा विश्वास है कि सूर्यदेव की प्रत्यक्ष पूजा होती है. इसलिए इसमें जरा सी भी त्रुटि होने पर इसका नकारात्मक असर देखा जाता है. पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह होता है. पर्व के दौरान पलामू की सभी नदियों के तट और जलाशयों को स्थानीय कमेटी के द्वारा न केवल सफाई की जाती है, बल्कि कई समाजसेवियों के द्वारा इसे आकर्षक तरीके से सजाया भी जाता है. सूर्य मंदिरों को भी भव्य रूप दिया जाता है. जगह-जगह पर गंगा आरती की व्यवस्था की जाती है.

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समाजसेवी भी रहते हैं सक्रिय

छठ व्रतियों को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो, इसका पूरा ख्याल रखा जाता है. छठ को लेकर पूरा मेदनीनगर शहर पूजन सामग्री व प्रसाद विक्रेताओं से भर जाता है. पलामू प्रमंडल के कोने-कोने से श्रद्धालुओं के पहुंचने से तिल रखने की भी जगह नहीं होती है. इस दौरान स्थानीय प्रशासन के द्वारा भी पूरी चौकसी बरती जाती है. पर्व के दौरान कई सामाजिक संगठन सक्रिय रहते हैं उनके द्वारा कहीं पर प्रसाद वितरण तो कहीं पर आम के लकड़ी का वितरण तो कहीं पर अन्य पूजन सामग्रियों का वितरण किया जाता है. पहले अर्घ्य देने जाने के दौरान अपने परिजनों के साथ पीले वस्त्रों को धारण कर व्रती जब घरों से निकलते हैं तो लोगों की निगाहें बरबस उनकी ओर टिक जाती हैं.

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रिपोर्ट : चंद्रशेखर सिंह, मेदिनीनगर, पलामू

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