पवन प्रत्यय, मुजफ्फरपुर
ऐसा माना जाता है और कई पौराणिक संदर्भ में यह दिखता है कि लोक संस्कृति का विस्तार और प्रभाव आसपास के इलाकों पर अधिक पड़ता है. लेकिन, लोक आस्था के महान पर्व छठ का विस्तार माइथोलॉजी में एक और अध्याय जोड़ने पर बल देता है. उत्तर बिहार के पश्चिम चंपारण के कई प्रखंड उत्तर प्रदेश और नेपाल से सटे हैं. वहीं, सीतामढ़ी व मधुबनी जिले भी पड़ोसी देश नेपाल के पास हैं. बिहार के छठ की धार्मिक छटा यूपी और नेपाल में भी देखने को मिलती है. पुलिस जिला बगहा का मधुबनी प्रखंड उत्तर प्रदेश के पडरौना से सटा है. सबसे खास बात यह है कि मधुबनी के लोग पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए पडरौना जाते हैं.
यानी छठ की खरीदारी यूपी में और पूजा बिहार में. मधुबनी प्रखंड प्रमुख के प्रतिनिधि विजय सिंह चंदेल बताते हैं कि यहां से पडरौना की दूरी महज सात किलोमीटर है. चूंकि, मधुबनी में बाजार का विस्तार नहीं है, इसलिए इलाके के लोग छठ से संबंधित तमाम खरीदारी पडरौना में ही करते हैं. फलों से लेकर अन्य पूजन सामग्री का बाजार इस इलाके में सज जाता है. फलों का कारोबार करनेवाले संतोष बताते हैं कि बेलवा चुंगी का बाजार छठ के मौके पर बिहार के खरीदारों से गुलजार रहता है. यूपी से सटे बांसी में फलों का कारोबार करनेवाले भोला कहते हैं कि अधिक मात्रा में फलों की खरीदारी करनेवाले पडराैना ही चले जाते हैं.
सौ काशी, एक बांसी की प्रसिद्ध तुकबंदी और पौराणिक मान्यता के कारण प्रसिद्ध बांसी में छठ के दिन इस घाट पर श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ होती है. बांसी नदी के दोनों छोर पर लोग पूजा करते हैं. यानी एक तरफ यूपी के श्रद्धालु, तो दूसरी तरह बिहार के श्रद्धालु. गंडक के दियारा इलाके के चार प्रखंड हैं, जो उत्तर प्रदेश के कुशीनगर से सटे हैं. यहां के दो प्रखंडों पिपरासी और ठकराहा के लोग गंडक नदी में छठ पर्व मनाते हैं. वहीं, दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले से ही सटे बिहार के मधुबनी और भितहा प्रखंड हैं. यहां के लोग बांसी नदी तथा गंडक नदी के दोनों ओर छठ पर्व मनाते हैं. गंडक नदी नेपाल से सटी है. यह नेपाल के साथ ही दो राज्यों बिहार और उत्तर प्रदेश को भी जोड़ती है.
नेपाल के नवलपरासी जिले की नदी पर बना 800 मीटर का पुल भारत से जुड़ता है. वाल्मिकीनगर ग्राम पंचायत के लवकुश घाट के ठीक दूसरी ओर नेपाल का गंडक बराज घाट है, जहां लोग पूजा-अर्चना करते हैं. थारू बहुल इलाका लक्ष्मीपुर रमपुरवा के काफी लोगों की शादियां नेपाल के नवलपरासी में हुई हैं. थारू समुदाय की अपनी लोक-संस्कृति है, इसके बावजूद, छठ पर्व को इस समुदाय के लोग भी पूरी आस्था के साथ मनाते हैं.