Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि पर शुक्र प्रदोष व्रत का संयोग, जानें कब कर सकेंगे प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा

महाशिवरात्रि और प्रदोष व्रत आज ही है. ऐसे में शिव भक्तों के मन में एक संशय है कि महाशिवरात्रि और शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा अलग-अलग करना होगा या एक साथ. आइए जानते है-

By Radheshyam Kushwaha | March 8, 2024 10:09 AM

Mahashivratri 2024: आज महाशिवरात्रि का पर्व है. महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव को समर्पित है. आज सभी शिव मंदिरों में शिवलिंग की पूजा करने के लिए लंबी कतारें लगी है. हर जगह शिव भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर रहे है. आज का दिन सबसे उत्तम है. क्योंकि महाशिवरात्रि और प्रदोष व्रत आज ही है. ऐसे में शिव भक्तों के मन में एक संशय है कि महाशिवरात्रि और शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा अलग-अलग करना होगा या एक साथ. प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होती है. आज महाशिवरात्रि पूजा चार पहर में करने का विधान है. आज भगवान शिव की पूजा पहले पहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घी और चौथे में शहद से की जाती है. आइए जानते है महाशिवरात्रि और प्रदोष व्रत की पूजा कब और कैसे करना चाहिए…

महाशिवरात्रि की पूजा मुहूर्त

महाशिवरात्रि और प्रदोष दोनों ही व्रत भगवान शिव को समर्पित हैं. आज के अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 08 पीएम से 12 बजकर 56 मिनट तक है, इसके आलावा आप विजय मुहूर्त में पूजा कर सकते है. विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 17 मिनट तक है.

शुक्र प्रदोष व्रत 2024 पूजा मुहूर्त

आज शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 52 मिनट तक है. वहीं निशिता काल पूजा मुहूर्त रात में 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक है.

प्रदोष और महाशिवरात्रि का महत्व

प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार आता है. साल में कुछ प्रदोष व्रत 24 बार आते है. प्रदोष व्रत करने से सभी दोष मिट जाते हैं. आज शुक्र प्रदोष व्रत है. शुक्र प्रदोष व्रत पूजा करने से सुख, समृद्धि की प्राप्ति होती है. धन और यश बढ़ता है. वहीं महाशिवरात्रि का व्रत शिव भक्तों के सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला है. धार्मिक मान्यता है कि शिव की कृपा से दुख, पाप, दोष सब दूर हो जाते हैं.

महाशिवरात्रि पूजा विधि

महाशिवरात्रि के दिन सुबह स्नान कर निवृत्त हो जाएं.
इसके बाद भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करें और व्रत का संकल्प लें.
पूजा करते समय याद रखें कि आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए.
चारों प्रहर की पूजा में शिवपंचाक्षर मंत्र यानी ऊं नम: शिवाय का जाप करें.
महादेव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमल गट्टे, फल, फूल, मिठाई, मीठा पान, इत्र आदि अर्पित करें.
फिर ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें.
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प्रदोष व्रत पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान भोलेनाथ का सच्चे मन से ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें.
प्रदोष व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा शाम को करने का विधान है.
शिवलिंग का विधिपूर्वक शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक करें.
इसके बाद देशी घी का दीपक जलाएं.
शिवलिंग पर कनेर के फूल, बेलपत्र और भांग अर्पित करें.
भगवान शिव की आरती करें और भगवान शिव के प्रिय मंत्रों का जाप करें.
भगवान को फल और मिठाई का भोग लगाएं.

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