Dattatreya Jayanti 2024: हिंदू धर्म में भगवान दत्तात्रेय का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है. श्रीमद्भागवत सहित कई धार्मिक ग्रंथों में इनका उल्लेख किया गया है. कुछ ग्रंथों में इन्हें ब्रह्मा, विष्णु और शिव का संयुक्त अवतार माना गया है, जबकि अन्य में केवल भगवान विष्णु का अवतार बताया गया है. भारत में भगवान दत्तात्रेय के कई मंदिर स्थित हैं. हर वर्ष अगह मास की पूर्णिमा को दत्तात्रेय जयंती का आयोजन किया जाता है. जानें इस वर्ष दत्तात्रेय जयंती कब है, साथ ही पूजा की विधि और अन्य संबंधित जानकारी.
कल है दत्तात्रेय जयंती
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि 14 दिसंबर को अपराह्न 4 बजकर 58 मिनट पर प्रारंभ होगी. इसका समापन 15 दिसंबर को दोपहर 2 बजकर 31 मिनट पर होगा. अतः दत्तात्रेय जयंती 14 दिसंबर को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने वाले भक्त गुरु और ईश्वर दोनों का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
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भगवान दत्त की पूजा करने की विधि
14 दिसंबर, शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और हाथ में जल-चावल लेकर व्रत और पूजा का संकल्प लें. शाम को एक स्वच्छ स्थान पर एक पटिया रखें और इसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा स्थापित करें.
सबसे पहले भगवान को कुंकुम से तिलक करें, फिर फूल और माला अर्पित करें. शुद्ध घी का दीपक जलाना न भूलें. हाथ में फूल लेकर नीचे लिखा मंत्र बोलें और इसे भगवान दत्तात्रेय को अर्पित करें-
ऊं अस्य श्री दत्तात्रेय स्तोत्र मंत्रस्य भगवान नारद ऋषि: अनुष्टुप छन्द:,
श्री दत्त परमात्मा देवता:, श्री दत्त प्रीत्यर्थे जपे विनोयोग:.
इसके बाद एक-एक करके गुलाल, अबीर, चंदन आदि चीजें भगवान दत्तात्रेय को चढ़ाएं. अपनी इच्छानुसार भोग लगाएं और आरती करें. यदि संभव हो तो नीचे लिखे मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें. मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें.
ऊं द्रां दत्तात्रेयाय नम: