DevShayani Ekadashi 2020: आज देवशयनी एकादशी है. देवशयनी एकादशी आषाढ़ माह (ashadi ekadashi) के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadashi) तिथि को कहा जाता है. इस दिन व्रत रखा जाता है. देवशयनी एकादशी भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और भगवान शिव (Lord Shiva) के भक्तों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है. देवशयनी एकादशी पर भक्त उपवास रखकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी (Goddess Laxmi) की पूजा करते हैं, रात भर भजन और प्रार्थना करते हैं, आनंदमय जीवन के लिए आशीर्वाद मांगते हैं. कुछ लोग जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति पाने की प्रार्थना भी करते हैं.
यह वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण एकादशी होती है क्योंकि इस दिन से भगवान विष्णु पांच माह के लिए पाताल लोक में राजा बली के यहां योगनिद्रा में निवास करते हैं. इस बार आश्विन माह का अधिकमास होने के कारण श्रीहरि विष्णु का शयनकाल पांच माह का होगा. शयनकाल में जाने से पूर्व की यह यह अंतिम एकादशी होती है, जिस पर भगवान अपने भक्तों को सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद देकर जाते हैं. इस एकादशी का व्रत करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है और मनुष्य मृत्यु के पश्चात बैकुंठ लोक को जाता है.
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन, भगवान विष्णु गहरी नींद में चले जाते हैं या प्रबोधिनी एकादशी या कार्तिक एकादशी के चार महीने बाद जागते हैं. इस अवधि के दौरान, भगवान शिव को पृथ्वी पर गतिविधियों को देखने के लिए माना जाता है. इसबार एकादशी तिथि 30 जून को शाम 7:49 बजे से शुरू होकर 01 जुलाई को शाम 5:29 बजे समाप्त होगी.
आज देवशयनी एकादशी है. इस एकादशी का व्रत करने से एक दिन पहले दशमी तिथि के दिन से व्रती को संयमों का पालन करना चाहिए. दशमी तिथि के दिन रात्रि भोजन का त्याग करे. रात में दातुन करके ककड़ी का सेवन करें, ताकि मुंह में अन्न का कोई कण बाकी ना रहे. एकादशी तिथि को सूर्योदय पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करे और पूजा स्थान को भी शुद्ध कर लें. अब एकादशी व्रत का संकल्प लेकर दिनभर निराहार रहते हुए भगवान विष्णु के भजन, भक्ति करते रहना चाहिए.
सायंकाल के समय पूजा स्थान पर एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करे. पीले पुष्पों से भगवान का श्रृंगार करें. इसके बाद शुद्ध घी से बने मिष्ठान्न का नैवेद्य लगाएं. विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें. इसके बाद पीले रंग के रेशमी गद्दों पर भगवान को शयन करवाएं.
भगवान को शयन करवाते समय इस मंत्र का जाप करें
सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्।
विबुद्दे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।
– एकादशी तिथि प्रारंभ 30 जून को सायं 7.50 बजे से
– एकादशी तिथि पूर्ण 1 जुलाई को सायं 5.31 बजे तक
– एकादशी का पारणा 2 जुलाई को सुबह 5.46 से 8.28 बजे तक