Dev Uthani Ekadashi 2024: अगले सप्ताह मनाई जाएगी देवउठनी एकादशी, इस दिन भूलकर भी न करें ये काम

Dev Uthani Ekadashi 2024: हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार देवोत्थान, देव उठनी या देव प्रबोधिनी एकादशी को अत्यंत पवित्र तिथि माना गया है. यह तिथि विशेष रूप से शुभ है, इसलिए इस दिन तन, मन और धन की पवित्रता बनाए रखने का प्रयास करना आवश्यक है. आपके मन, कर्म और वचन में यदि थोड़ी सी भी अशुद्धि हो, तो यह जीवनभर के लिए समस्याओं का कारण बन सकती है.

By Shaurya Punj | November 8, 2024 8:15 AM

Dev Uthani Ekadashi 2024: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी का व्रत करने का महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है. साथ ही, प्रिय वस्तुओं का भोग भी अर्पित किया जाता है.

सभी एकादशी तिथियों में देवउठनी एकादशी को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से पूजा करने से भक्त को भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और घर में सुख-समृद्धि का निवास होता है. क्या आप जानते हैं कि देवउठनी एकादशी का पर्व क्यों मनाया जाता है?

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देवउठनी एकादशी की तिथि और मुहूर्त

इस वर्ष कार्तिक मास की एकादशी 11 नवंबर को शाम 6:46 बजे से प्रारंभ होकर 12 नवंबर को शाम 04:04 बजे तक रहेगी. इस प्रकार, 12 नवंबर को उदय तिथि के कारण देवउठनी एकादशी का व्रत इसी दिन आयोजित किया जाएगा. इसका पारण 13 नवंबर को सुबह 6:42 बजे से 8:51 बजे के बीच किया जाएगा.

देवउठनी एकादशी के दिन कुछ कार्य वर्जित हैं, आइए जानें

दातून करना: एकादशी के दिन दातून या मंजन करने की मनाही है. इस निषेध के पीछे शास्त्रों में कोई स्पष्ट कारण नहीं मिलता है.

जुआ खेलना: जुआ खेलना एक सामाजिक बुराई मानी जाती है. इस दिन जो व्यक्ति जुआ खेलता है, उसका परिवार और कुटुंब भी नष्ट हो जाता है. जहां जुआ खेला जाता है, वहां अधर्म का साम्राज्य होता है और अनेक बुराइयां उत्पन्न होती हैं. इसलिए यह केवल आज ही नहीं, बल्कि हमेशा से वर्जित है.

रात में जागना: एकादशी की रात भगवान विष्णु की भक्ति में जागरण करना चाहिए. इस रात सोना वर्जित है. भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के पास बैठकर भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करने से भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है.

पान खाना: एकादशी के दिन पान का सेवन भी निषिद्ध है. पान खाने से मन में रजोगुण की वृद्धि होती है. इसलिए इस दिन पान का सेवन न करके व्यक्ति को सात्विक आचार-विचार अपनाते हुए प्रभु की भक्ति में मन लगाना चाहिए.

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