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Dev Uthani Ekadashi and Tulsi Vivah 2020 : आज शाम को शालीग्राम के साथ तुलसी जी लेंगी सात फेरे, जानिए तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…

Dev uthani Ekadashi and Tulsi Vivah 2020 wishes, images, quotes, Puja Vidhi, marriage muhurat, Katha in hindi : देव उठावनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी, कार्तिक शुक्ल पक्ष की ये एकादशी पूरे साल के एकादशी व्रत में सर्वोत्तम मानी जाती है. आइए जानते हैं कि एकादशी व्रत और तुलसी विवाह 2020 के लिए कैसे रखें व्रत, पूजा विधि और कथा क्या है... Dev uthani Ekadashi and Tulsi Vivah 2020: this is the Muhurta of Devuthan Ekadashi read here tulsi vivah katha, Puja and Vrat Vidhi

लाइव अपडेट

तुलसी विवाह क​था

नारद पुराण में बताया गया है कि एक समय प्राचीन काल में दैत्यराज जलंधर का तीनों लोक में अत्याचार बढ़ गया था.उसके अत्याचार से ऋषि-मुनि, देवता गण और मनुष्य बेहद परेशान और दुखी थे. जलंधर बड़ा ही वीर और पराक्रमी था, इसका सबसे बड़ा कारण था उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रता धर्म. इस कारण से वह पराजित नहीं होता था. एक बार देवता उसके अत्याचारों से त्रस्त होकर भगवान विष्णु की शरण में रक्षा के लिए गए. तब भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग करने की उपाय सोची. उन्होंने माया से जलंधर का रूप धारण कर लिया और वृंदा को स्पर्श कर दिया। वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग होते ही जलंधर देवताओं के साथ युद्ध में मारा गया.

मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए

एकादशी के पावन दिन मांस- मंदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन ऐसा करने से जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस दिन व्रत करना चाहिए. अगर आप व्रत नहीं करते हैं तो एकादशी के दिन सात्विक भोजन का ही सेवन करें.

क्या है देवउठनी एकादशी का महत्व?

कहा जाता है कि इन चार महीनो में देव शयन के कारण समस्त मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं. जब देव (भगवान विष्णु ) जागते हैं, तभी कोई मांगलिक कार्य संपन्न हो पाता है. देव जागरण या उत्थान होने के कारण इसको देवोत्थान एकादशी कहते हैं. इस दिन उपवास रखने का विशेष महत्व है. कहते हैं इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

क्या है देवउठनी एकादशी का मान्यता

इसी दिन भगवान विष्णु का शालिग्राम के रूप में तुलसी के साथ विवाह करवाने की भी परंपरा है. धर्म ग्रंथों के जानकार काशी के पं. गणेश मिश्र बताते हैं कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहाने के बाद शंख और घंटानाद सहित मंत्र बोलते हुए भगवान विष्णु को जगाया जाता है. फिर उनकी पूजा की जाती है. शाम को घरों और मंदिरों में दीये जलाए जाते हैं और गोधूलि वेला यानी सूर्यास्त के समय भगवान शालिग्राम और तुलसी विवाह करवाया जाता है.

तुलसी को माना जाता है माता लक्ष्मी का अवतार

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता तुलसी ने भगवान विष्णु को नाराज होकर श्राम दे दिया था कि तुम काला पत्थर बन जाओ. इसी श्राप की मुक्ति के लिए भगवान ने शालीग्राम पत्थर के रूप में अवतार लिया और तुलसी से विवाह किया. तुलसी को माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है.

तुलसी-शालिग्राम विवाह

कार्तिक माह की एकादशी की शाम को घर की महिलाएं भगवान विष्णु के रूप शालिग्राम और विष्णुप्रिया तुलसी का विवाह संपन्न करवाती हैं. विवाह परंपरा के अनुसार घर के आंगन में गन्ने से मंडप बनाकर तुलसी से शालिग्राम के फेरे किए जाते हैं. इसके बाद सामान्य विवाह की तरह विवाह गीत, भजन व तुलसी नामाष्टक सहित विष्णुसहस्त्रनाम के पाठ किए जाने का विधान है. शास्त्रों के अनुसार तुलसी-शालिग्राम विवाह कराने से पुण्य की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है.

एकादशी तिथि और तुलसी विवाह समय-

  • एकादशी तिथि प्रारंभ - 25 नवंबर 2020, बुधवार को सुबह 2.42 बजे से

  • एकादशी तिथि समाप्त - 26 नवंबर 2020, गुरुवार को सुबह 5.10 बजे

  • द्वादशी तिथि प्रारंभ - 26 नवंबर 2020, गुरुवार को सुबह 5.10 बजे से

  • द्वादशी तिथि समाप्त - 27 नवंबर 2020, शुक्रवार को सुबह 7.46 बजे

पूजा करने के दौरान इस मंत्र का करें जाप

तुलसी विवाह के दिन 108 बार 'ॐ भगवते वासुदेवायः नमः' का मंत्रोच्चार करना चाहिए. इससे भी दाम्प्त्य जीवन में आने वाली परेशानियों से छुटकारा मिलता है और जीवन सुखमय बना रहता है. साथ ही अगर आपसी वाद-विवाद है तो उससे निजात मिलती है.

यहां जानें पूजा की सामग्री और विधि

देवउठनी एकादशी पर पूजा के स्थान को गन्नों से सजाते हैं. इन गन्नों से बने मंडप के नीचे भगवान विष्णु की मूर्ति रखी जाती है. साथ ही पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर भगवान विष्णु को जगाने की कोशिश की जाती है. इस दौरान पूजा में मूली, शकरकंदी, आंवला, सिंघाड़ा, सीताफल, बेर, अमरूद, फूल, चंदन, मौली धागा और सिंदूर और अन्य मौसमी फल चढ़ाए जाते हैं.

आज पूरे दिन भगवान शालीग्राम और तुलसी की होती है पूजा

पहले तुलसी विवाह पर्व पर पूरे दिन भगवान शालीग्राम और तुलसी की पूजा की जाती थी. परिवार सहित अलग-अलग वैष्णव मंदिरों में दर्शन के लिए जाते थे. तुलसी के 11, 21, 51 या 101 गमले दान किए जाते थे और आसपास के घरों में तुलसी विवाह में शामिल होते थे. इसके बाद पूरी रात जागरण होता था.

तुलसी विवाह की पूजा विधि

एक चौकी पर तुलसी का पौधा और दूसरी चौकी पर शालिग्राम को स्थापित करें. इसके बाद बगल में एक जल भरा कलश रखें और उसके ऊपर आम के पांच पत्ते रखें. तुलसी के गमले में गेरू लगाएं और घी का दीपक जलाएं. फिर तुलसी और शालिग्राम पर गंगाजल का छिड़काव करें और रोली, चंदन का टीका लगाएं. तुलसी के गमले में ही गन्ने से मंडप बनाएं. अब तुलसी को सुहाग का प्रतीक लाल चुनरी ओढ़ा दें. गमले को साड़ी लपेट कर, चूड़ी चढ़ाएं और उनका दुल्हन की तरह श्रृंगार करें. इसके बाद शालिग्राम को चौकी समेत हाथ में लेकर तुलसी की सात बार परिक्रमा की जाती है. इसके बाद आरती करें. तुलसी विवाह संपन्न होने के बाद सभी लोगों को प्रसाद बांटे.

4 महीने पाताल में रहने के बाद आज क्षीर सागर लौटते हैं भगवान विष्णु

वामन पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी थी. उन्होंनें विशाल रूप लेकर दो पग में पृथ्वी, आकाश और स्वर्ग लोक ले लिया. तीसरा पैर बलि ने अपने सिर पर रखने को कहा. पैर रखते ही राजा बलि पाताल में चले गए. भगवान ने खुश होकर बलि को पाताल का राजा बना दिया और वर मांगने को कहा.

Dev Uthani Ekadashi 2020 Puja Timings : जानिये देवउठनी एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त

देवउठनी एकादशी बुधवार, 25 नवंबर को पड़ रही है-

एकादशी तिथि शुरू होती है: 25 नवंबर, 2020 दोपहर 02:42 बजे से

एकादशी तिथि समाप्त: 26 नवंबर, 2020 को शाम 05:10 बजे तक

Happy dev uthani ekadashi 2020

Dev Uthani Ekadashi And Tulsi Vivah 2020 : आज शाम को शालीग्राम के साथ तुलसी जी लेंगी सात फेरे, जानिए तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...
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देव उठानी एकादशी 2020 का शुभ मुहूर्त

देव उठानी एकादशी 2020 का शुभ मुहूर्त क्या है? एकादशी तिथि 24 नवंबर की मध्यरात्रि 02 बजकर 43 मिनट से शुरू हो चुकी है और ये 26 नवंबर की सुबह 05 बजकर 11 मिनट तक रहेगी. 26 नवंबर सुबह 10 बजे एकादशी व्रत रखने वाले भक्त पारण करेंगे.

देवोत्थान एकादशी : पूरे साल के एकादशी व्रत में सर्वोत्तम

देव उठानी एकादशी या देवोत्थान एकादशी (dev uthani ekadashi 2020), कार्तिक शुक्ल पक्ष की ये एकादशी पूरे साल के एकादशी व्रत में सर्वोत्तम मानी जाती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं. यही कारण है कि आज के ही दिन शादी ब्याह का उत्तम मुहूर्त (dev uthani ekadashi 2020 vivah muhurat) शुरू हो जाते हैं. इसके अलावा देशभर में आज और कल तुलसी विवाह को भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है.

तुलसी विवाह क्यों करते हैं

हमारे घर आंगन की पवित्र तुलसी जिन्हें मां लक्ष्मी का अवतार भी कहा जाता है, उनका विवाह शालीग्राम से हुआ था. शालीग्राम यानी श्री कृष्ण अवतार. तुलसी विवाह को पूरे व्रज सहित देशभर में मनाया जाता है. तुलसी विवाह एकादशी तिथि को मनाई जाती है या कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को किया जाता है. ये आप पर निर्भर है कि किस दिन तुलसी विवाह को घर में संपन्न करेंगे.

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