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Tulsi Vivah/Dev Uthani Ekadashi 2020: आज व्रत करने के 10 फायदे, तुलसी पूजा भूल कर भी न करें ऐसे लोग, ध्यान में रखें ये बातें

Dev Uthani Ekadashi 2020, Tulsi Vivah 2020 Date And Time,Puja Vidhi, Vrat, Katha, Dev Uthavani 2020, Devutthana Ekadashi 2020: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास मैं देव उठ जाते हैं ऐसे में इस दौरान मंगल कार्य आरंभ हो जाता है. शुभ विवाह मुहूर्त व अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाने लगते हैं. इस बार बुधवार, 25 नवंबर देव उठनी ग्यारस या हरि प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी पड़ रही है. इस दौरान तुलसी विवाह की भी परंपरा है. ऐसे में आइए जानते हैं कि देवउठनी एकादशी का व्रत किन के लिए होता है फायदेमंद, जानें विधि विधान से व्रत करने के 10 फायदे...

Dev Uthani Ekadashi 2020, Tulsi Vivah 2020 Date And Time,Puja Vidhi, Vrat, Katha, Dev Uthavani 2020, Devutthana Ekadashi 2020: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास मैं देव उठ जाते हैं ऐसे में इस दौरान मंगल कार्य आरंभ हो जाता है. शुभ विवाह मुहूर्त व अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाने लगते हैं. इस बार बुधवार, 25 नवंबर देव उठनी ग्यारस या हरि प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी पड़ रही है. इस दौरान तुलसी विवाह की भी परंपरा है. ऐसे में आइए जानते हैं कि देवउठनी एकादशी का व्रत किन के लिए होता है फायदेमंद, जानें विधि विधान से व्रत करने के 10 फायदे…

दरअसल, षाढ़ के शुक्ल पक्ष की दिव्य देवशयनी एकादशी या आषाढ़ी एकादशी से भगवान विष्णु का शयन काल आरंभ हो जाता है. अर्थात इसी दौरान श्री विष्णु गहरी निद्रा में चले जाते है और लगभग 4 माह बाद अर्थात कार्तिक मास के दौरान देवोत्थान एकादशी में उठते हैं.

धार्मिक ग्रंथों की माने तो इस एकादशी पर भगवान विष्णु ने माता तुलसी के साथ विवाह किया था. इसलिए इस दौरान तुलसी विवाह की भी परंपरा है. इस दौरान किए जाने वाला मंगल कार्य बेहद शुभ माना जाता हैं.

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आइए जानते हैं व्रत करने के 10 लाभ के बारे में

  • इस दिन से विवाह, धार्मिक अनुष्ठान या अन्य मांगलिक कार्य किए जाते हैं.

  • ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी व्रत को रखने वाले श्रद्धालुओं के सारे कष्ट दूर होते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.

  • इस मामले के जानकार पंडितों की मानें तो इस दिन निर्जल या फलाहार व्रत रखना चाहिए. यदि व्रत नहीं रख पा रहे हैं तो लहसुन, मांस-मदिरा आदि का सेवन भूल कर भी नहीं करना चाहिए.

  • देवउठनी एकादशी व्रत के साथ-साथ इस दिन शालिग्राम के साथ मां तुलसी का आध्यात्मिक विवाह किया जाना चाहिए. इससे भगवान प्रसन्न होते हैं.

  • व्रत के दौरान भगवान विष्णु का और मां तुलसी वह अपने इष्ट देव का उपासना करना चाहिए. साथ ही साथ ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का मंत्र जाप करना चाहिए.

  • ऐसी मान्यता है कि तुलसीदल अकाल मृत्यु से बचाता है. ऐसे में देवउठनी एकादशी के दिन व्रत करने से पितृ दोष समाप्त होता है.

  • जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है, उन्हें इस दिन फलाहार या निर्जला व्रत रखना चाहिए. ऐसा करने से मानसिक तनाव दूर होता है और घर में सुख शांति आती है व चंद्र भी सही होता है.

  • व्रत के दौरान देवउठनी एकादशी की कथा को सुनना और बोलना चाहिए. इससे पुण्य की प्राप्ति होती है.

  • ऐसी मान्यता है कि देवोत्थान एकादशी का व्रत करने से हजार अश्वमेघ व 100 राज सूर्य यज्ञ के बराबर फल की प्राप्ति होती है.

  • पितरों के लिए यह उपवास जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से पितृ नरक से. नरक के दुखों से उन्हें छुटकारा मिलता है.

  • इस दिन व्रत करने से. भाग्योदय होता है. ऐसे में विधि पूर्वक देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करना चाहिए.

  • जो इस व्रत को करता है वह संकटों में कभी नहीं घिरता बल्कि धन, समृद्धि और वैभव उसके कदम चुमती है.

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तुलसी पूजा करने समय इन बातों का रखना चाहिए ख्याल

– तुलसी पूजन को लेकर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुछ विशेष नियम बताए गए हैं. जिसका ध्यान रखने से खराब किस्मत चमक जाती है. और गलती से अच्छी किस्मत भी खराब हो जाती है.

– तुलसी के पत्ते हमेशा सुबह के समय ही तोड़ने चाहिए.

– रविवार के दिन तुलसी के पौधे के पास दीपक नहीं जलाना चाहिए.

– भगवान विष्णु और उनके सभी अवतारों को तुलसीदल अर्पित करना चाहिए.

– चंद्र ग्रहण के दौरान अन्न में तुलसी के पत्ते जरूर रखना चाहिए. ऐसा करने से ग्रहण का प्रभाव समाप्त हो जाता है.

– जो लोग भगवान श्रीकृष्ण पूजा करते है उन्हें घर में तुलसी का पौधा जरुर लगाना और पूजना चाहिए. इसी से श्री हरी विष्णु प्रसन्न होते हैं.

– तुलसी के पौधे को दक्षिण दिशा में नहीं लगाना चाहिए. इससे अशुभ फल की प्राप्ति होती है.

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भूल कर भी नहीं करनी चाहिए ऐसे लोगों को तुलसी पूजा

  • जो मद्यपान करते हैं उन्हें तुलसी पूजा नहीं करना चाहिए भगवान विष्णु के भक्तों के लिए मद्यपान वर्जित होता है.

  • घर में शराब का सेवन करने वालों को तुलसी का पौधा नहीं रखना चाहिए. इससे लाभ की बजाय हानि होता है.

  • तुलसी को हमेशा उत्तर दिशा में लगाना चाहिए. क्योंकि उत्तर बुध की दिशा मानी जाती है.

  • जिस स्त्री का मासिक धर्म चल रहा है उसे तुलसी पूजा नहीं करनी चाहिए. ऐसी मान्यता है कि जब द्रोपदी को वस्त्र हरण हुआ तो उस समय उनका मासिक धर्म चल रहा था. यही वजह है कि वे अपने कक्ष में ना रहकर दूसरे कक्ष में एक वस्त्र में रही थीं.

  • तुलसी को एक पवित्र पौधा माना जाता है. इसे पतिव्रता स्त्री ही कर सकती है. जिस स्त्री का कई पुरुषों से संबंध होता है उन्हें भूल कर भी यह पूजा नहीं करनी चाहिए.

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Posted By: Sumit Kumar Verma

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