23.9 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Devshayani Ekadashi 2024: इस दिन है देवशयनी एकादशी, जानिए शुभ मुहूर्त व विधि विधान

Devshayani Ekadashi 2024: देवशयनी एकादशी से ही चातुर्मास की शुरुआत होती है और सारे मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं. जानें देवशयनी एकादशी 2024 की डेट, मुहूर्त और महत्व.

Devshayani Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है. हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों में एकादशी तिथि आती है और इस दिन व्रत रखने का विधान है. इन एकादशियों में से आषाढ़ शुक्ल एकादशी, जिसे देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, सर्वोपरि मानी जाती है.

देवशयनी एकादशी इस दिन

इस बार 17 जुलाई को पड़ने वाली देवशयनी एकादशी और भी खास है क्योंकि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, शुभ योग और शुक्ल योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है.

Budh Gochar 2024: बुध का कर्क राशि में गोचर, इन राशियों को मिलेगी खुशखबरी 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग की शय्या पर चार महीने के लिए योगनिद्रा में लीन हो जाते हैं. इस दौरान सृष्टि का संचालन भगवान शिव और माता लक्ष्मी संभालते हैं.

व्रत का शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारंभ: 16 जुलाई, 2024, रात 8:33 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 17 जुलाई, 2024, रात 9:02 बजे
निशीथ काल पूजा मुहूर्त: 17 जुलाई, 2024, रात 1:26 बजे से 2:55 बजे तक
पारण का समय: 18 जुलाई, 2024, सूर्योदय से प्रारंभ
पारण का उत्तम समय: 18 जुलाई, 2024, सुबह 6:14 बजे से 9:02 बजे तक

देवशयनी एकादशी का व्रत रखने के धार्मिक लाभ

आध्यात्मिक उन्नति: मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक ऊर्जा का विकास होता है.
मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होना: इस व्रत के पालन से मोक्ष की ओर अग्रसर होने में सहायता मिलती है.
ग्रह-दोषों का शमन: ग्रहों के प्रतिकूल प्रभाव कम होते हैं.
शारीरिक स्वास्थ्य लाभ: शरीर स्वस्थ रहता है और रोगों से मुक्ति मिलती है.
सांसारिक सुख: धन, वैभव और सुख-शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

देवशयनी एकादशी के व्रत पर विधि-विधान

व्रत से पहले की रात्रि: दसों इंद्रियों को नियंत्रित रखें, सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें.
व्रत का दिन: सूर्योदय से पहले उठें, स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु का ध्यान करें.
पूजा-अर्चना: भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें, फल, फूल और नैवेद्य अर्पित करें.
संयम: व्रत के दौरान क्रोध, लोभ, मोह जैसी भावनाओं से दूर रहें और दसों इंद्रियों को वश में रखें.
दान: जरूरतमंदों को दान अवश्य करें.
व्रत का पारण: अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें

जन्मकुंडली से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते है .

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें