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देवशयनी एकादशी कब है, इस दिन से शुभ कार्यों पर लेगेगी रोक, जानें, तिथि, शुभ मुहूर्त और पारण करने का शुभ समय

Devshayani Ekadashi 2021 Date: हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व होता है. इस दिन चातुर्मास का आरंभ होता है. भगवान विष्णु इस तिथि से चार मास के लिए योग निद्रा में लीन में हो जाते हैं और अगले चार महीने तक सभी मांगलिक कार्य पर रोक लग जाती है. इसीलिए आषाढ़ मास की इस तिथि को देवशयनी एकादशी कहा जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2021 9:08 PM

Devshayani Ekadashi 2021 Date: हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व होता है. इस दिन चातुर्मास का आरंभ होता है. भगवान विष्णु इस तिथि से चार मास के लिए योग निद्रा में लीन में हो जाते हैं और अगले चार महीने तक सभी मांगलिक कार्य पर रोक लग जाती है. इसीलिए आषाढ़ मास की इस तिथि को देवशयनी एकादशी कहा जाता है. इस दिन व्रत रखने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती है. पंचांग के अनुसार देवशयनी एकादशी तिथि 19 जुलाई 2021 दिन सोमवार को आरंभ हो रही है. लेकिन एकादशी का व्रत 20 जुलाई 2021 दिन मंगलवार को रखा जाएगा. देवशयनी एकादशी व्रत का पारण यानि समापन 21 जुलाई 2021 दिन बुधवार के दिन द्वादशी की तिथि में किया जाएगा.

देवशयनी एकादशी व्रत का महत्व

मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर और अर्जुन को इस व्रत के बारे में विस्तार से बताया था. धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर ही एकादशी व्रत रखकर विधिवत धारण और पारण किया था. जिसके फलस्वरूप मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. एकादशी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है. इस व्रत को विधि पूर्वक पूर्ण करने से जीवन में सुख समृद्धि और शांति आती है. इसके साथ ही हर प्रकार की परेशनी दूर होती है.

जानें इस एकादशी का 4 नाम

  • आषाढ़ी एकादशी

  • पद्मा एकादशी

  • हरिशयनी एकादशी

  • देवशयनी एकादशी

देवशयनी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त

  • देवशयनी एकादशी तिथि प्रारम्भ 19 जुलाई 2021 की रात 09 बजकर 59 मिनट पर

  • देवशयनी एकादशी समाप्त 20 जुलाई 2021 की शाम 07 बजकर 17 मिनट पर

  • देवशयनी एकादशी व्रत पारण 21 जुलाई की सुबह 05 बजकर 36 मिनट से 08 बजकर 21 मिनट पर

चातुर्मास का आरंभ

देवशयनी एकादशी की तिथि से चातुर्मास का आरंभ होता है. चातुर्मास में देवताओं का शयनकाल आरंभ होता है. जिस कारण मांगलिक और शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. चातुमार्स का समापन देवउठनी एकादशी पर होता है. इस एकादशी की तिथि को भगवान विष्णु योग निद्रा से बाहर आते हैं. चातुर्मास के समाप्त होते ही मांगलिक और शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं. इस दिन से शादी विवाह और मुंडन आदि कार्य किए जाते हैं.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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