Diwali 2024 in Vrindavan: वृन्दावन के विभिन्न आश्रय स्थलों में रहने वाली विधवा और परित्यक्त महिलाओं ने यमुना नदी के केशी घाट पर दीपदान करके दीपावली का उत्सव मनाया. ‘सुलभ होप फाउंडेशन’ की उपाध्यक्ष विनीता वर्मा ने कहा, “हिंदू समाज में कुछ कुरीतियों में से एक यह भी है कि विधवाओं को अशुभ माना जाता है और उन्हें निम्न दृष्टि से देखा जाता है.” उन्होंने आगे कहा, “इस कारण विधवाओं को उनके परिवारों से अलग कर दिया जाता था, जिससे वे वृन्दावन, वाराणसी और हरिद्वार जैसे तीर्थ स्थलों पर भिक्षाटन करके जीवन यापन करने के लिए मजबूर हो जाती थीं.”
इस अवसर पर ये लोग थे शामिल
वर्मा ने बताया कि मंगलवार को विभिन्न आश्रय स्थलों में निवास कर रही बेसहारा महिलाओं ने यमुना के किनारे रंग-बिरंगे दीपों का दीपदान किया और धूमधाम से प्रकाश पर्व का आयोजन किया. इस अवसर पर मुख्य रूप से मां शारदा आश्रम, तरास मंदिर, नेपाली आश्रम और पागल बाबा में रहने वाली विधवा महिलाएं शामिल थे. उन्होंने कृष्ण की भक्ति में मग्न होकर भजन गाए और नृत्य करते हुए अपनी खुशी व्यक्त की.
सफेद साड़ी पहने विधवाओं ने फूलों की पंखुड़ियों से रंग-बिरंगी रंगोली भी बनाई. पश्चिम बंगाल की मूल निवासी 70 वर्षीय छवि दासी के लिए यह उत्सव उन्हें उनकी युवावस्था की याद दिलाता है, जब वह सभी त्यौहारों को खुलकर मनाती थीं. 69 वर्षीय रतामी ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह फिर से दिवाली मनाएंगी.
पश्चिम बंगाल की पुष्पा अधिकारी (74) और अशोका रानी (60) भी खुश दिखाई दीं. इस समारोह का आयोजन एनजीओ सुलभ होप फाउंडेशन द्वारा किया गया था.