Diwali 2024 Par Kitne Deepak Jalaye: दिवाली पर इतने दिए जलाना होता है शुभ
Diwali 2024 Par Kitne Deepak Jalaye: दीपावली के पर्व पर लोग अपने आवासों को रंग-बिरंगी लाइट्स और दीपों से सजाते हैं. इस अवसर पर यह जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि दीपावली के दौरान कितने दीये जलाए जाने चाहिए और कितने दीपक जलाना शुभ माना जाता है.
Diwali 2024 Par Kitne Deepak Jalaye: हिंदू धर्म में दिवाली का त्योहार अत्यंत उल्लास के साथ मनाया जाता है. इसे प्रकाश का उत्सव माना जाता है, जिसमें दीयों का प्रज्वलन विशेष महत्व रखता है. यह पर्व, जो रोशनी का प्रतीक है, वर्ष के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है और इसे देशभर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. दीपावली के पर्व पर लोग अपने आवासों को रंग-बिरंगी लड़ी और दीपों से सजाते हैं. इस अवसर पर यह जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि दीपावली के दौरान कितने दीये जलाए जाने चाहिए और कितने दीपक जलाना शुभ माना जाता है.
ज्योतिष के अनुसार, धनतेरस की संध्या पर मुख्य द्वार पर 13 दीप जलाने की परंपरा है, साथ ही घर के प्रत्येक कोने में भी 13 दीप जलाने चाहिए. इस प्रकार, कुल दीपों की संख्या 26 होनी चाहिए. ऐसा करने से माता लक्ष्मी का घर में आगमन होता है.
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नरक चतुर्दशी के अवसर पर 5 दीप जलाने की परंपरा है. इनमें से एक दीपक पूजा स्थल पर, दूसरा रसोई में, तीसरा जल के स्थान पर, चौथा पीपल या वट वृक्ष के नीचे और पांचवां दीपक घर के मुख्य द्वार पर जलाना चाहिए. मुख्य द्वार पर जलाए जाने वाले दीपक को चौमुखा होना चाहिए और उसमें चार लंबी बत्तियां लगानी चाहिए.
दिवाली के दिन दीप जलाने का महत्व
दिवाली महोत्सव के तीसरे दिन को दीपावली के नाम से जाना जाता है, जो इस पर्व का मुख्य दिन है. इस दिन विशेष रूप से लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक माह की अमावस्या को समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं, जिन्हें भगवान विष्णु की अर्धांगिनी और धन, वैभव, ऐश्वर्य तथा सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.
दिवाली के अवसर पर माता लक्ष्मी के स्वागत हेतु दीप जलाए जाते हैं, ताकि अमावस्या की रात के अंधकार में दीपों की रोशनी से वातावरण को आलोकित किया जा सके. दीपावली की रात पहले दीये को लक्ष्मी पूजा के समय जलाना चाहिए.
इसके बाद, दूसरा दीया तुलसी के पास, तीसरा दीया मुख्य दरवाजे के बाहर, चौथा दीया पीपल के पेड़ के नीचे, पांचवां दीया घर के निकट किसी मंदिर में, छठा दीया कचरे के स्थान पर, सातवां दीया बाथरूम के बाहर, आठवां दीया मुंडेर पर, और नौवां दीया दीवारों के चारों ओर जलाना चाहिए.