Diwali 2024: हर वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली का उत्सव मनाया जाता है. इस अवसर पर सभी भक्त माता लक्ष्मी के साथ श्री गणेश की पूजा करते हैं. हालांकि, बहुत कम लोगों को यह जानकारी होती है कि माता लक्ष्मी के साथ गणेश की पूजा का कारण क्या है और रिद्धि-सिद्धि का महत्व क्या है. इसके साथ ही, दीपावली पूजा में शुभ-लाभ का उल्लेख क्यों किया जाता है.
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लक्ष्मी मां की पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी का आगमन हुआ था. एक अन्य परंपरा के अनुसार, इस दिन को मां लक्ष्मी का जन्म दिवस माना जाता है. कई स्थानों पर इसे देवी लक्ष्मी के जन्म दिवस के रूप में भी मनाने की परंपरा है. भारतीय कालगणना के अनुसार, 14 मनुओं का समय समाप्त होने और प्रलय के बाद पुनर्निर्माण तथा नई सृष्टि की शुरुआत दीपावली के दिन हुई थी. नवारंभ के कारण कार्तिक अमावस्या को कालरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. जीविद्यार्णव तंत्र में कालरात्रि को शक्ति रात्रि के रूप में संदर्भित किया गया है. कालरात्रि को शत्रुओं का विनाशक माना जाता है, साथ ही इसे शुभता और सुख-समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है.
दीवाली पर गणेश और लक्ष्मी माता की पूजा
भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा का महत्व अत्यधिक है. मां लक्ष्मी, जो धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं, के साथ गणेशजी की पूजा करना आवश्यक है. श्रीगणेश बुद्धि और विवेक के प्रतीक हैं, और बिना इन गुणों के धन-संपत्ति का अर्जन करना कठिन होता है. माता लक्ष्मी की कृपा से ही व्यक्ति को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है. मां लक्ष्मी का जन्म जल से हुआ था, और जल की प्रवाहशीलता लक्ष्मी के स्वभाव को दर्शाती है, जो कभी स्थिर नहीं रहतीं. लक्ष्मी को संभालने के लिए बुद्धि और विवेक की आवश्यकता होती है. इसलिए, दिवाली के अवसर पर लक्ष्मी के साथ गणेश की पूजा की जाती है, ताकि धन के साथ-साथ बुद्धि भी प्राप्त हो सके. कहा जाता है कि जब लक्ष्मी आती हैं, तो उनकी चमक में व्यक्ति अपना विवेक खो देता है, जिससे वह सही निर्णय नहीं ले पाता. इसीलिए, लक्ष्मीजी के साथ गणेशजी की पूजा का महत्व अत्यधिक है.
डिस्क्लेमर: यहां प्रस्तुत सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं. prabhatkhabar.com इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.