पटना : होली पर्व में जितने रंगों का प्रयोग होता है उतनी ही तरिकों से इसे पूरे देश में मनाया जाता है. होली पूरे देश में जहां अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है वहीं बंगाल की होली अन्य प्रांतों से अलग अंदाज में मनाए जाने का पुराना रिवाज है.
बंगाल में होने वाले इस दोल जात्रा के दिन महिलाएं सजधजकर पारंपरिक परिधान पहनकर शंखनाद के साथ राधा कृष्ण की पूजा करती हैं. दोल जात्रा के दिन महिलाएं सुबह सड़कों पर गाजे बाजे के साथ भजन कीर्तन करते हुए निकलती हैं.
दोल मतलब झूला होता है, जिसपर राधा कृष्ण की मूर्ति इस दिन रखी जाती है और महिलाएं भक्ति रस में डूबकर इनकी पूजा करती हैं.अबीर व रंगों की होली आपस मे खेल इस दिन के उमंग को और अधिक बढ़ाया जाता है. इस दोल जात्रा में वैष्णव संत चैतन्य महाप्रभु के द्वारा रचित कृष्ण की भक्ति के संगीत ज्यादा सुने जाते हैं.बंगाल में होली के अवसर पर दोल जात्रा पूरे राज्य को एक धार्मिक माहौल में रंगता है जो बेहद आकर्षण का केंद्र होता है.