Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष काल में यमलोक से धरती पर आते हैं पितर, जानें पिंडदान और तर्पण का महत्व

Pitru Paksha 2023: इस साल पितृपक्ष 29 सितंबर से शुरू हो रहा है. पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से हो जाती है और इसका समापन आश्विन मास की अमावस्या तिथि को होता है. इस दौरान लोग अपने पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण पिंडदान श्राद्ध कर्म करते हैं.

By Radheshyam Kushwaha | September 8, 2023 10:23 AM
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पितृपक्ष काल में यमलोक से धरती पर आते हैं पितर

वेद प्रकाश शस्त्री ने बताया कि पितृपक्ष काल में प्रतिदिन महालय श्राद्ध करना चाहिए. मान्यता है कि पितृपक्ष में पितर यमलोक से धरती पर अपने वंशजों के घर रहने आते हैं. इस काल में एक दिन श्राद्ध करने पर पितर वर्षभर तृप्त रहते हैं. शास्त्र में यह भी कहा गया है कि पितृपक्ष में अपने सब पितरों के लिए श्राद्ध करने से उनकी वासना, इच्छा शांत होती है और आगे जाने के लिए ऊर्जा मिलती है.

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पितृपक्ष में श्राद्ध करने का महत्व

पितरों के लिए श्राद्ध नहीं करने पर उनकी अतृप्त इच्छाओं के रहने से परिवारवालों को कष्ट हो सकता है. श्राद्ध से पितरों का रक्षण होता है, उनको आगे की गति मिलती है और अपना जीवन भी सहज होता है. पितृपक्ष में पितरों का महालय श्राद्ध करने से वे वर्षभर तृप्त रहते हैं.

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पितृपक्ष 2023 महत्वपूर्ण तिथियां

शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष की अवधि में पितर के देहांत की तिथि के अनुसार, श्राद्ध, तर्पण एवं पिंडदान कर्म किया जाता है. लेकिन पितृपक्ष के दौरान भरणी श्राद्ध, नवमी श्राद्ध और सर्वपितृ अमावस्या को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है.

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भरणी श्राद्ध

इस वर्ष भरणी श्राद्ध कर्म 2 अक्टूबर को चतुर्थी श्रद्धा के साथ किया जाएगा. पंचांग के अनुसार, भरणी नक्षत्र सुबह से शाम 06 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. इस दौरान तर्पण अथवा श्राद्ध कर्म को श्रेष्ठ माना जाता है. भरणी श्राद्ध करने से मृत व्यक्ति की आत्मा को प्रेतयोनि से मुक्ति मिलती है. यह श्राद्ध प्रत्येक पितृपक्ष में करें.

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नवमी श्राद्ध

नवमी श्राद्ध को मातृ श्रद्ध के नाम से भी जाना जाता है. इस साल नवमी श्राद्ध सात अक्टूबर के दिन किया जाएगा. इस तिथि पर परिवार में मातृ पितर अर्थात मां, दादी, नानी को समर्पित पिंडदान व श्राद्ध कर्म किया जाता है. इस दिन श्राद्ध कर्म करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है.

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सर्व पितृ अमावस्या या अमावस्या श्राद्ध

पंचांग के अनुसार सर्व पितृ अमावस्या इस वर्ष 14 अक्टूबर को है. इस विशेष दिन पर जो लोग अपने पितरों के निधन की तिथि नहीं जानते हैं, वह इस दिन श्राद्ध कर्म, पिंडदान व तर्पण इत्यादि कर सकते हैं. सर्व पितृ अमावस्या के दिन स्नान-दान को भी विशेष महत्व दिया गया है.

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