Dwadash Jyotirling: धरती पर कैसे प्रकट हुए ज्योतिर्लिंग? जानें बाबा वैद्यनाथ से लेकर काशी विश्वनाथ तक सभी ज्योतिर्लिंगों की खास बातें

शिव पुराण के अनुसार सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, घृष्णेश्वर समेत कुल 12 ज्योतिर्लिंग है.

By Radheshyam Kushwaha | February 28, 2024 3:59 PM

Dwadash Jyotirling: सनातन धर्म में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व है. भगवान शिव की उपासना सृष्टि के संहारक के रूप में की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों की उपासना करने से साधक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार शिवजी जहां-जहां स्वयं प्रकट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंग को ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है. शिव पुराण के अनुसार सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, घृष्णेश्वर समेत कुल 12 ज्योतिर्लिंग है. प्रत्येक ज्योतिर्लिंग का एक-एक उपलिंग भी है, जिनका विवरण शिवमहापुराण की ‘ज्ञानसंहिता’ के 38वें और ‘कोटिरुद्रसंहिता’ के प्रथम अध्याय में प्राप्त होता है. शिव पुराण के अनुसार, 12 ज्योतिर्लिंगों के न सिर्फ दर्शन करने पर शिव भक्त को विशेष फल की प्राप्ति होती है बल्कि इनका महज प्रतिदिन नाम लेने मात्र से जीवन के सभी दु:ख दूर हो जाते हैं.

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
सोमनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से पहला है. सोमनाथ मंदिर गुजरात के पश्चिमी तट पर स्थित है, इस प्रसिद्ध मंदिर को अतीत में छह बार ध्वस्त एवं निर्मित किया गया है. 1022 ई॰ में इसकी समृद्धि को महमूद गजनवी के हमले से सर्वाधिक नुकसान पहुंचा था, इसे आज भी भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है.

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
12 ज्योतिर्लिंगों में दूसरा ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुन है. ये मंदिर आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैल पर्वत पर स्थित है, इस मंदिर को दक्षिण का कैलाश कहा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि जो भक्त इस मंदिर में शिव पूजा करता है, उसे अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है.

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिन्हें शिव का सबसे पवित्र निवास माना जाता है. यह मध्य प्रदेश के प्राचीन शहर उज्जैन में स्थित है. यह मंदिर पवित्र शिप्रा नदी के किनारे स्थित है. धार्मिक मान्यता है कि लिंगम रूप में पीठासीन देवता, शिव स्वयंभू हैं, जो अन्य छवियों और लिंगमों के विपरीत अपने भीतर से शक्ति की धाराएं निकालते हैं, जिन्हें अनुष्ठानपूर्वक स्थापित किया जाता है और मंत्र-शक्ति के साथ निवेशित किया जाता है.

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
मध्य प्रदेश में दो ज्योतिर्लिंग हैं, दूसरा ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग , जो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से लगभग 140 किमी दक्षिण में स्थित है. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से लगभग 78 किमी की दूरी पर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है. यह एकमात्र मंदिर है जो नर्मदा नदी के उत्तर में स्थित है. यहां पर भगवान शिव नदी के दोनो तट पर स्थित हैं. महादेव को यहां पर ममलेश्वर व अमलेश्वर के रूप में पूजा जाता है.

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केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है. केदारनाथ भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. केदारनाथ मन्दिर उत्तरी भारत में पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है, जो समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है. केदारेश्वर के दर्शन-पूजन से सभी मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है.

भीमशंकर ज्योतिर्लिंग
भीमशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे से 110 किलोमीटर और नासिक से लगभग 120 मील दूर स्थित है. यहां के स्थानीय लोग इस मंदिर को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जानते हैं. भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों में से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग छटा ज्योतिर्लिंग माना गया है. भीमाशंकर मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 230 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं.

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में एक हैं, जिसे भगवान शिव को समर्पित स्वर्ण मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, इसका निर्माण वर्ष 1780 में मराठा सम्राट, इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा किया गया था. काशी के इस ज्योतिर्लिंग में शिव और पार्वती एक साथ विराजमान हैं. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में शुमार इस मंदिर को विश्वेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग
त्र्यम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग नासिक जिले में त्रयंबक गांव में हैं. यहां के निकटवर्ती ब्रह्म गिरि नामक पर्वत से गोदावरी नदी का उद्गम है, इस मंदिर के अंदर एक छोटे से गढ्ढे में तीन छोटे-छोटे लिंग है, जो ब्रह्मा, विष्णु और शिव इन तीनों देवों के प्रतीक माने जाते हैं. त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष को दूर करने की पूजा के के साथ त्रिपिंडी विधि और नारायण नागबलि की विशेष पूजा कराने का बहुत महत्व है.

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
देवघर का बैद्यनाथ धाम मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यहां स्थापित ज्योतिर्लिंग को मूल लिंग भी कहा जाता है. देवघर में शिव और शक्ति के एक साथ विराजमान होने के कारण सभी ज्योर्तिलिंगों से अलग बैद्यानाथ धाम की पहचान है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक बैद्यनाथ धाम ही ऐसा तीर्थ स्थल है जहां शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं. इन्हीं विशेषताओं के कारण इसे कामना लिंग के रूप में पूजा जाता है.

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका धाम से 17 किलोमीटर बाहरी क्षेत्र में स्थित है. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को भगवान शिव के 10 ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है. यह प्राचीन और प्रमुख मंदिर केवल भगवान शिव को समर्पित है. यहां पर शिवजी की श्रद्धा पूर्वक पूजा नागेश्वर के रूप में की जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिल जाती है.

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रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु में समुद्र तट पर स्थित इस मंदिर को रामायणकालीन माना जाता है. शिव पुराण में रामेश्वरम में दर्शन मात्र से ब्रह्म हत्या जैसे पाप दूर हो जाते हैं, जो व्यक्ति यहां स्थित भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग पर पूरी श्रद्धा से गंगाजल चढ़ाता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि अयोध्या के राजा भगवान श्री राम ने लंकापति रावण से युद्ध करने से पहले विजय की कामना लिए हुए इसी स्थान पर रेत का शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की साधना की थी, जिसके बाद भगवान शिव यहां ज्योति रूप में प्रकट हुए.

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग भोलेनाथ की अपार भक्त रही घुष्मा की भक्ति का प्रतीक है, इस शिवलिंग का नाम घृष्णेश्वर पड़ा था. धार्मिक मान्यता है कि घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए बिना 12 ज्योतिर्लिंग की यात्रा संपन्न नहीं होती है. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग पूर्वमुखी है,सर्व प्रथन स्वंय सूर्यदेव इनकी आराधना करते हैं. कलियुग में इस ज्योतिर्लिंग के स्मरण मात्र से रोगों, दोष, दुख से मुक्ति मिल जाती है.

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