इस दिन मनाई जाएगी द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी, जानें मुहूर्त व पूजा-विधि

Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025: फाल्गुन मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान गणेश के द्विजप्रिय रूप की विशेष पूजा और अर्चना की जाती है. इस व्रत के पालन से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की समस्त बाधाएं समाप्त हो जाती हैं.

By Shaurya Punj | February 15, 2025 7:10 AM

Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है. यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने परिवार और संतान के सुखद जीवन की कामना के लिए करती हैं. इस व्रत का पालन करना बहुत शुभ माना जाता है. इसे करने से संकटों से छुटकारा मिलता है और गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. आइए इस व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और इसके महत्व के बारे में जानते हैं.

कब है द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी

उदया तिथि के अनुसार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत 16 फरवरी को आयोजित किया जाएगा.

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द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त

  • द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 16 फरवरी 2025 को रविवार के दिन रखा जाएगा
  • चतुर्थी तिथि की शुरुआत- 15 फरवरी 2025, रात 11 बजकर 52 मिनट पर
  • चतुर्थी तिथि का समापन- 17 फरवरी 2025, रात 2 बजकर 15 मिनट पर
  • चंद्रोदय का समय- 16 फरवरी, रात 9 बजकर 51 मिनट तक

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

  • प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें.
  • पूजा स्थल को साफ-सुथरा करें और एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं.
  • श्री गणेश यंत्र को गंगाजल से शुद्ध करें और उसे चौकी पर स्थापित करें.
  • यंत्र के चारों ओर फूल और दूर्वा अर्पित करें.
  • धूप, दीप और नैवेद्य तैयार करें.
  • सर्वप्रथम गणेश जी का ध्यान करें और उन्हें प्रणाम करें.
  • इसके बाद श्री गणेश यंत्र की पूजा आरंभ करें.
  • यंत्र पर गंगाजल छिड़कें और उसे पंचामृत से स्नान कराएं.
  • यंत्र को चंदन, कुमकुम और अक्षत अर्पित करें.
  • यंत्र के समक्ष धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें.
  • गणेश मंत्रों का जाप करें. आप “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप कर सकते हैं.
  • गणेश चालीसा का पाठ करें.
  • अंत में गणेश जी की आरती करें और उन्हें प्रणाम करें.

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