इस समय पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है. कोरोना वायरस के कारण त्योहारों की रौनक पूरी तरह से उड़ गई है. कोरोना का खौफ घर-घर पहुंच गया है. त्योहारों को लेकर लोगों के चेहरों पर उदासी है. वहीं, 26 मई को ईद का त्योहार मनाया जाएगा. 26 मई को देश में लॉकडाउन-4 लागू रहेगा. इस बार ईद पर गले मिलकर एक दूसरे को मुबारकबाद नहीं दे सकेंगे. दूर से ही मुबारकबाद देने की प्रक्रिया देखने को मिलेगी. इस बार ज्यादातर सोशल मीडिया के जरीये एक दूसरे को ईद पर मुबारकबाद दी जाएगी. जानकारों का मानना है कि पूरी दुनिया कोरोना वायरस से ग्रस्त है और ईद की खुशी यही है की हम एक दूसरे से गले न मिले, और हाथ न मिलाएं. हम अपने-अपने घरों में ही इस बार ईद की खुशी मनाएं.
इस समय देश में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है. ईद पर एक दूसरे से गले मिलने का मतलब होता है कि अगर आपकी किसी से दुश्मनी है तो उनको बुला कर गले मिलें, जिससे दिल मिल सकें. गले मिलने का मतलब है कि आपसी मतभेद दूर हो जाता है. इस वक्त किसी से दुश्मनी निभानी है तो गले मिलने के बराबर है, अगर मोहब्बत निभानी है तो दूर रहना होगा. अगर आप इस वक्त दूर से ही सलाम करते है या मुबारकबाद देते है, तो हम खुद भी बचते और दूसरों को भी बचाते हैं. ईद जिंदा करने का नाम है, ईद खुशियों का नाम है और हम यही तोहफा दे सकते हैं.
ईद की शुरुआत सुबह दिन की पहली नमाज के साथ होती है. इसके बाद पूरा परिवार कुछ मीठा खाता है. फिर नए कपड़े पहनकर ईद की नमाज पढ़ने के लिए लोग जाते हैं. ईद की नमाज पढ़ने के बाद एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते है. इस बार देश में फैल रहा कोरोना वायरस के कारण बहुत ही सावधानी बरतनें की जरूरत है. ईद का त्योहार सबको साथ लेकर चलने का संदेश देता है. ईद पर हर मुसलमान चाहे वो अमीर हो या गरीब हो सभी एक साथ नमाज पढ़ते हैं और एक दूसरे को गले लगाते हैं. जानकारों का कहना है कि ईद पर लोग अपने घरों में सिवइयां और पकवान तो जरूर बनाएं. ईद की खुशी जरूर जाहिर करें, लेकिन ना किसी से हाथ मिलाए और ना किसी के गले मिलें.