Eid-ul-Fitr 2020: ईद का त्योहार इस्लाम धर्म में भाईचारे का संदेश देता है. लेकिन इस बार कोरोना संकट के चलते सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ध्यान रखना होगा. रमजान का पाक महीना खत्म होने के बाद ईद का त्योहार मनाया जाता है. ईद की तारीख चांद के अनुसार तय की जाती है. वैसे इस बार ईद-उल-फितर 25 मई को मनाए जाने की उम्मीद है. इस ईद को मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग अपने घरों में मीठे पकवान खासतौर पर सेंवईं बनाते हैं. इसके बाद सभी लोग एक साथ बैठकर खाते है और एक दूसरे के साथ गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते है. इस बार कोरोना वायरस के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है, इसलिए इस बार दूर से ही मुबारकबाद देना होगा.
पवित्र कुरान के मुताबिक, रजमान के पाक महीने में रोजे रखने के बाद अल्लाह इस दिन अपने बंदों को बख्शीश और इनाम देते हैं. इसीलिए इस दिन को ईद कहते हैं. मुसलमान ईद में खुदा का शुक्रिया अदा करते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि खुदा ने महीने भर के उपवास रखने की ताकत दी. रमजान महीने में रोजे रखना फर्ज माना गया है. ऐसा इसलिए, ताकि इंसान को भूख-प्यास का अहसास हो सके और वह लालच से दूर होकर सही राह पर चले. मीठी ईद के ढाई महीने के बाद ईद-उल-अजहा आती है. इस दिन को जिसे बकरीद और ईज-ए-कुर्बानी भी कहा जाता है. इस दिन नियमों का पालन करते हुए कुर्बानी दी जाती है. इस ईद की शुरुआत हजरत इब्राबिम से हुई थी.
इब्राहीम अलैय सलाम एक पैगंबर गुजरे हैं, जिन्हें ख्वाब में अल्लाह का हुक्म हुआ कि वे अपने प्यारे बेटे इस्माईल को अल्लाह की राह में कुर्बान कर दें. इसके बाद अल्लाह के हुक्म को पूरा किया और अल्लाह को राजी करने की नीयत से अपने लख्ते जिगर इस्माईल अलैय सलाम की कुर्बानी देने को तैयार हो गए. अल्लाह रहीमो करीम है और वह तो दिल के हाल जानता है. जैसे ही इब्राहीम अलैय सलाम छुरी लेकर अपने बेटे को कुर्बान करने लगे.
इसके बाद फरिश्तों के सरदार जिब्रील अमीन ने बिजली की तेजी से इस्माईल अलैय सलाम को छुरी के नीचे से हटाकर उनकी जगह एक मेमने को रख दिया. इस तरह इब्राहीम अलैय सलाम के हाथों मेमने के जिब्हा होने के साथ पहली कुर्बानी हुई. इसके बाद जिब्रील अमीन ने इब्राहीम अलैय सलाम को खुशखबरी सुनाई कि अल्लाह ने आपकी कुर्बानी कुबूल कर ली है और अल्लाह आपकी कुर्बानी से राजी है.