ईद आज 25 मई को मनाई जा रही है. रविवार की रात को चांद के दीदार होने के बाद आज देश भर में ईद मनाई जा रही है. इस बार देशभर में कोरोना वायरस को लेकर लागू किया गया लॉकडाउन 04 के कारण ईद घर पर ही परिवार के साथ मनायी जाएगी. ईद रमजान के 30 रोजों के बाद चांद देखकर मनाई जाती है. ईद का मतलब होता है खुशी मनाना. इसे लोग ईद-उल-फितर भी कहते हैं.
मुस्लिमों का सबसे बड़ा त्योहार ईद इस बार 25 मई को मनायी जा रही है. इस दिन मस्जिद में जाकर नमाज अदा की गई. वहीं, इस दिन एक-दूसरे से गले मिल कर ईद की मुबारकबाद लोग दे रहे है. ईद का त्योहार भाईचारे को बढ़ावा देने वाला और बरकत के लिए दुआएं मांगने वाला है. पवित्र कुरान के मुताबिक, रजमान के पाक महीने में रोजे रखने के बाद अल्लाह इस दिन अपने बंदों को बख्सीश और इनाम देता है, इसलिए इस दिन को ईद कहते है. पूरे विश्व में ईद की खुशी पूरे धूमधाम से मनाई जा रही है
मुसलमान ईद के दिन खुदा का शुक्रिया अदा करते है कि उन्होंने महीनेभर उपावस रखने की ताकत दी. ईद पर एक खास रकम जिसे जकात कहते हैं, जो गरीबों और जरूरतमंदों के लिए निकाल दी जाती है. नमाज के बाद परिवार में सभी लोगों का फितरा दिया जाता है, जिसमें 2 किलो ऐसी चीज दी जाती है जो प्रतिदिन रखने की हो. पहली ईद उल-फितर पैगंबर मुहम्मद ने सन 624 ई. में जंग-ए-बदर के बाद मनाया था. पैगंबर हजरत मुहम्मद ने बद्र के युद्ध में विजय प्राप्त की थी. उनके विजय होने की खुशी में यह त्योहार मनाया जाता है.
इस्लाम धर्म में एक साल में दो ईद मनाई जाती है. पहली मीठी ईद जिसे रमजान महीने की आखिरी रात के बाद मनाई जाती है. दूसरी, रमजान महीने के 70 दिन बाद मनाई जाती है, इसे बकरीद कहते हैं. बकरा ईद को कुर्रबानी की ईद माना जाता है. पहली मीठी ईद, जिसे ईद उल-फितर कहा जाता है और दूसरी बकरी ईद को ईद उल-जुहा कहा जाता है.
कुरआन के अनुसार पैगंबरे इस्लाम ने कहा है कि जब ईमान रमजान के पवित्र महीने के एहतेरामों से फारिग हो जाते हैं और रोजों-नमाजों तथा उसके तमाम कामों को पूरा कर लेते हैं तो अल्लाह एक दिन अपने उक्त इबादत करने वाले बंदों को बख्शीश व इनाम से नवाजता है. इसलिए इस दिन को ‘ईद’ कहते हैं और इसी बख्शीश व इनाम के दिन को ईद-उल-फितर का नाम देते हैं.
रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है. इस पूरे माह में रोजे रखे जाते हैं. इस महीने के खत्म होते ही 10वां माह शव्वाल शुरू होता है. इस माह की पहली चांद रात ईद की चांद रात होती है. इस रात का इंतजार साल भर से किया जाता है, क्योंकि इस रात को दिखने वाले चांद से ही इस्लाम के बड़े त्योहार ईद-उल-फितर का ऐलान होता है. यह चांद ईद का पैगाम लेकर आता है, इस चांद रात को ‘अल्फा’ कहा जाता है.