Eid-ul-Fitr 2020: ईद कब मनाई जाती है, जानिए क्यों महत्वपूर्ण है ईद-उल-फितर
Eid-ul-Fitr 2020: What is the Significance of Eid al-Fitr, Why is Eid al Fitr important, सभी मुसलमानों को ईद का दिल से इंतजार रहता है. खास कर रमजान के बाद आने वाली ईद-उल फितर का तो थोड़ा ज्यादा ही लोग इसका इंतजार करते है, क्योंकि इस दौरान एक महीने तक रोजा रखने के बाद अल्लाह का शुक्रिया करते है.
सभी मुसलमानों को ईद का दिल से इंतजार रहता है. खास कर रमजान के बाद आने वाली ईद-उल फितर का तो थोड़ा ज्यादा ही लोग इसका इंतजार करते है, क्योंकि इस दौरान एक महीने तक रोजा रखने के बाद अल्लाह का शुक्रिया करते है. रमजान के महीने में माना जाता है कि कुरान लिखी गई थी, इसलिए पूरे महीने मुसलमान कुरान में डूब जाते हैं. ईद-उल-फितर को मीठी ईद भी कहते हैं.
हिजरी कैलेंडर के अनुसार दसवें महीने यानी कि शव्वाल के पहले दिन इस त्योहार को पूरी दुनिया में मनाया जाता है. इस्लामी कैलेंडर में ये महीना चांद देखने के साथ शुरू होता है. जब तक चांद नहीं दिखे तब तक रमजान का पाक महीना खत्म नहीं होता है. इस तरह रमजान के आखिरी दिन चांद दिखने के बाद अगले दिन ईद मनाई जाती है. अभी कई लोगों के मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर ईद क्यों मनाई जाती है? इसके पीछे की कहानी क्या है. यह जानने के लिए बहुत से लोग उत्सुक होंगे.
क्यों मनाई जाती है ईद
माना जाता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी. इस जीत की खुशी में सभी का मुंह मीठा करवाया गया था, इसी दिन को मीठी ईद या ईद-उल-फितर के रूप में मनाया जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार हिजरी संवत 2 यानी 624 ई. में पहली बार ईद-उल-फितर मनाया गया था. वहीं, बताया जाता है कि पवित्र कुरान के मुताबिक, रजमान के पाक महीने में रोजे रखने के बाद अल्लाह एक दिन अपने बंदों को इनाम देता है, जो दिन ईद का होता है. वहीं, अल्लाह के बंदे उनका शुक्रिया अदा करते हैं.
ईद का त्योहार सबको साथ लेकर चलने के लिए जाना जाता है. ईद पर हर मुसलमान एक साथ नमाज पढ़ते हैं और एक दूसरे को गले लगाते हैं. इस्लाम में जकात एक महत्वपूर्ण पहलू है. जिसमें हर मुसलमान को धन, भोजन और कपड़े के रूप में कुछ न कुछ दान करने के लिए कहा गया है. कुरान में जकात अल-फित्र को जरूरी बताया गया है. इसे रमजान के अंत में और लोगों को ईद की नमाज पर जाने से पहले दिया जाता है.
कैसे मनाई जाती है ईद
ईद की शुरुआत सुबह दिन की पहली नमाज के साथ होती है. जिसे सलात अल-फज्र भी कहते हैं. इसके बाद पूरा परिवार कुछ मीठा खाता है. वहीं, इस दौरान ईद पर खजूर खाने की परंपरा है. फिर नए कपड़ें पहन कर ईद की नमाज अदा की जाती है. इसके साथ ही सगे-संबंधियों को ईद की मुबारकबाद देते है. इस्लाम में 2 ईद मनाई जाती है, पहली मीठी ईद जिसे रमजान महीने की आखिरी रात के बाद मनायी जाती है. वहीं, दूसरी रमजान महीने के 70 दिनों के बाद मनाई जाती है, इसे बकरीद कहते हैं. बकरा ईद को कुर्बानी की ईद भी कहते हैं. मीठी ईद को ईद उल-फितर कहते हैं और बकरी ईद को ईद उल-जुहा कहते हैं.