Eid-ul-Fitr 2020 Date: रमजान में 30 रोजा रखने के बाद चांद देखकर ईद मनाई जाती है. भारत में ईद-उल-फितर इस बार 25 मई सोमवार के दिन मनाई जाएगी. पूरी दुनिया में मुसलमानों द्वारा ईद का पर्व रात में चांद दिखने के बाद ही मनाया जाता है. चूंकि दुनिया में जगह-जगह चांद अलग-अलग वक्त पर दिखाई देता है, इसलिए ईद मनाए जाने की तारीख भी ऊपर-नीचे हो जाती है. ईद-उल-फितर का एक ही मकसद होता है कि हर आदमी एक दूसरे को बराबर समझे और इंसानियत का पैगाम फैलाए. ईद वाले दिन लोग ईदगाह में नमाज पढ़ने के लिए जाते हैं और अल्लाह से शुक्रिया अदा करते हैं कि उन्होंने महीनेभर उपावस रखने की ताकत दी है. ईद पर एक खास रकम जिसे जकात कहते हैं जो गरीबों और जरूरतमंदों के लिए निकाल दी जाती है.
ईद वाले दिन लोग मस्जिद और ईदगाह में नमाज पढ़ने के लिए जाते हैं और अल्लाह से शुक्रिया अदा करते हैं कि उन्होंने महीनेभर उपावस रखने की ताकत दी. ईद पर एक खास रकम जिसे जकात कहते हैं जो गरीबों और जरूरतमंदों के लिए निकाल दी जाती है. नमाज के बाद परिवार में सभी लोगों का फितरा दिया जाता है. इस दिन लोग एक दूसरे से गले मिलकर ईद मुबारक बोलते हैं. इसके बाद एक साथ मिलकर खाना खाते हैं. इस दिन आपसी प्रेम व भाईचारे को अपनाने वालों पर अल्लाह की रहमत बरसती है. एक बार मीठी ईद मनाई जाती है दूसरी बार बकरीद. मीठी ईद रमजान महीने की आखिरी रात के बाद मनाई जाती है और बकरा ईद रमजान महीने के 70 दिन बाद मनाई जाती है. बकरा ईद को कुर्बानी की ईद माना जाता है.
रमजान में 30 रोजा रखने के बाद चांद देखकर ईद मनाई जाती है. इस दिन कहा जाता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र युद्ध में विजय प्राप्त की थी. उनके विजयी होने की खुशी में ईद का पर्व मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि 624 ई. में पहली बार ईद उल फितर मनाया गया था. ये पर्व रमजान का चांद डूबने और ईद का चांद नजर आने पर इस्लामिक महीने की पहली तारीख को मनायी जाती है. रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना होता है. इस पूरे माह रोजे रखे जाते हैं. इस महीने के खत्म होते ही 10वां माह शव्वाल शुरू होता है. इस्लाम में इस दिन अपनी जरूरतमंदों को दान दिया जाता है, जिसे जकात या फितरा कहा जाता है.