Sankashti Chaturthi 2024: एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि और चंद्रमा को अर्घ्य देने का सही समय
Ekadanta Sankashti Chaturthi 2024: एकदंत संकष्टी चुतुर्थी व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता है. आइए जानते है
Sankashti Chaturthi 2024: आज ज्येष्ठ मास की चतुर्थी तिथि है. ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को एकदंत संकष्टी चतुर्थी कहते हैं, इस दिन व्रत रखकर विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा अर्चना करते हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं. धार्मिक मान्यता है कि एकदंत संकष्टी चुतुर्थी व्रत बिना चंद्रमा को अर्घ्य दिए बिना पूर्ण नहीं हो सकता है. एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है और पाताल की भद्रा है. आइए जानते हैं कि एकदंत संकष्टी चतुर्थी कब है? पूजा का मुहूर्त और चंद्र अर्घ्य का समय क्या है?
आज है एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2024?
पंचांग के अनुसार, आज 26 मई 2024 दिन रविवार को शाम 05 बजकर 45 मिनट पर ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी की शुरुआत होगी. यह तिथि 27 मई सोमवार को शाम 04 बजकर 31 मिनट पर खत्म होगी. चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय का महत्व है. ज्येष्ठ संकष्टी चतुर्थी व्रत 26 मई रविवार को रखा जाएगा क्योंकि चतुर्थी का चंद्रोदय उस दिन ही है, 27 मई को चंद्रोदय चतुर्थी तिथि के बाद पंचमी में हो रहा है.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2024 पूजा मुहूर्त
आप 26 मई को एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखते हैं तो आप गणेश जी की पूजा सूर्योदय के बाद कर सकते हैं. क्योंकि 05 बजकर 18 मिनट से 10 बजकर 38 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग बना हुआ है. इसके अलावा उस समय साध्य योग भी बना होगा. सर्वार्थ सिद्धि योग में आप जो कार्य करते हैं, वह सफल सिद्ध होता है.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2024 अर्घ्य समय
संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का विधान है. 26 मई को चंद्रोदय रात 09:39 पर होगा. इस समय पर आप चंद्रमा को अर्घ्य दे सकते हैं.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
- एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें.
- पूजा घर में ईशान कोण में चौकी पर लाल-पीला कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश जी को विराजित करें.
- पूजा और व्रत का संकल्प लें और गणेश जी को पुष्प से जल अर्पित करें.
- अब फूल-माला, दूर्वा की 11 या 21 गांठें भगवान को चढ़ाएं.
- अब सिंदूर-अक्षत लगाकर, मोदक, फल चढ़ाएं.
- जल चढ़ाकर घी का दीपक और धूप प्रज्वलित करें.
- भगवान गणेश का ध्यान लगाएं.
- गणेश जी की आरती गाएं और ‘गणेश चालीसा’ का पाठ करें.
- चंद्र देव के दर्शन के बाद अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी का महत्व
संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखकर गणेश जी की पूजा करने से सभी कष्ट और संकट दूर होते हैं. भगवान गणेश के आशीर्वाद से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जीवन में शुभता बढ़ती है और कार्य बिना बाधा के पूर्ण होते हैं. गणेश जी के आशीर्वाद से कार्यों में सफलता मिलती है.