Ekadashi 2025: इस दिन मनाई जाएगी नए साल की पहली एकादशी, जानें पौष पुत्रदा एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त

Ekadashi 2025: सालभर में सामान्यतः 24 एकादशियां होती हैं, किंतु अधिकमास के दौरान 26 एकादशी का आयोजन किया जाता है. इसी प्रकार, संतान की प्राप्ति और सभी कष्टों को दूर करने वाली एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. इस एकादशी को वैकुंठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.

By Shaurya Punj | December 12, 2024 2:51 PM
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Ekadashi 2025: नया वर्ष 2025 कुछ ही दिनों में प्रारंभ होने वाला है. इस वर्ष कुल 24 एकादशी व्रत आयोजित होंगे, जो प्रत्येक माह में दो बार होंगे. आइए जानते हैं कि नए वर्ष 2025 की पहली एकादशी कौन सी होगी. साथ ही, हम नए वर्ष 2025 के एकादशी व्रत कैलेंडर की जानकारी भी प्राप्त करते हैं.

साल 2025 की पहली एकादशी कब है?

पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 9 जनवरी को दोपहर 12:22 बजे से प्रारंभ होगी और इसका समापन 10 जनवरी को सुबह 10:19 बजे होगा. उदयातिथि के अनुसार, पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी को आयोजित किया जाएगा. हिंदू कैलेंडर में, दिसंबर-जनवरी का महीना पौष माह के रूप में जाना जाता है. इस प्रकार, नववर्ष 2025 की पहली एकादशी पौष पुत्रदा एकादशी है, जिसे वैकुंठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.

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पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व

हिंदू धर्म में एकादशी का अत्यधिक महत्व है. यह विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना के लिए समर्पित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिन व्यक्तियों को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है, यदि वे इस व्रत का पालन करते हैं और श्रद्धा पूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, तो भगवान उनकी इच्छाओं को पूरा करते हैं. इसके अतिरिक्त, यह भी माना जाता है कि इस व्रत के पालन से सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है.

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत और पूजा विधि

पौष पुत्रदा एकादशी के दिन प्रातःकाल उठकर व्रत का संकल्प लें और शुद्ध जल से स्नान करें.

इसके बाद, भगवान विष्णु का पूजन सोलह सामग्री जैसे धूप, दीप, नैवेद्य आदि से करें और रात्रि में दीपदान करें.

साथ ही, एकादशी की रात भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन में व्यस्त रहें और श्री हरि विष्णु से अनजाने में हुई भूल या पाप के लिए क्षमा याचना करें.

अगली सुबह स्नान करके पुनः भगवान विष्णु की पूजा करें.

ब्राह्मण को भोजन कराने का भी विशेष महत्व है.

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