Falgun Amavasya 2024: सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत अधिक महत्व होता है. अमावस्या तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है, इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने का विधान है. पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष का 15वां दिन अमावस्या कहलाता है, इस दिन आसमान में चांद नहीं दिखाई देता है. अमावस्या के दिन पितृ तर्पण, श्राद्ध और शिव की पूजा के लिए बहुत अच्छा माना जाता है, इसलिए इसे पूर्वजों या पितरों का दिन भी कहा जाता है. फाल्गुन अमावस्या बहुत खास होती है, क्योंकि इससे एक दिन पहले महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. धार्मिक मान्यता है फाल्गुन अमावस्या पर देवताओं का निवास संगम तट पर होता है, इस दिन गंगा स्नान-दान करने से जीवन से तमाम तरह के दोष दूर होते हैं और उसे सुख-समृद्धि और सोभाग्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं साल 2024 में फाल्गुन अमावस्या की डेट, स्नान-दान मुहूर्त और महत्व.
फाल्गुन अमावस्या 2024 डेट और शुभ मुहूर्त
फाल्गुन अमावस्या 10 मार्च 2024 दिन रविवार को है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं उस दिन अमावस्या तिथि होती है, इस दिन सूर्य-चंद्र और शनि तीनों कुंभ राशि में विराजमान होंगे. पंचांग के अनुसार फाल्गुन अमावस्या 9 मार्च 2024 को शाम 06 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 10 मार्च 2024 को दोपहर 02 बजकर 29 मिनट पर इसका समापन होगा.
क्यों लगता है पितृदोष
- परिजनों का विधिवत अंतिम संस्कार या श्राद्ध नहीं होना.
- अकाल मृत्यु होना और पितरों का अपमान करना.
- मांगलिक कार्यों में पितरों को याद नहीं करना.
- पीपल, नीम या बरगद के पेड़ को काटना या कटवाना.
- कुंडली में सूर्य और राहु की युति जब नवम भाव में होती है तो पितृ दोष का निर्माण होता है.
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जीवन बर्बाद कर देता है पितृ दोष
- पितृ दोष से पीड़ित परिवार कभी पनप नहीं पाता है.
- पितृ दोष होने पर व्यक्ति को कदम कदम पर दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है.
- घर में हमेशा आर्थिक संकट बना ही रहता है.
- मेहनत करने के बावजूद उसका फल नहीं मिलता है.
- संतान संबन्धी सुख आसानी से प्राप्त नहीं होता है.
- गर्भपात या गर्भधारण में बहुत ज्यादा समस्या, कॅरियर में बार बार रुकावट आती है.
पितृ दोष होने पर करें ये उपाय
- अमावस्या के दिन किसी गरीब को भोजन कराएं.
- अमावस्या के दिन पीपल का पेड़ लगाएं और उस पेड़ की सेवा जरूर करें.
- अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त तर्पण, श्राद्ध और दान करें. इससे पितर संतुष्ट होते हैं.
- पितरों के कष्ट कम होते हैं और उनकी नाराजगी दूर होती है.
- संपूर्ण गीता पढ़ना संभव नहीं तो सातवें अध्याय का पाठ जरूर करें.
- पीपल को मीठा जल दें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं.