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Ganesh Chaturthi 2020 Date, Puja Vidhi, Muhurat : देशभर में गणपति की पूजा को लेकर उत्साह, विघ्नहर्ता से मंगलकामना कर रहे हैं भक्त…

Ganesh Chaturthi (Ganpati Puja) 2020 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Timings in India: गणेश चतुर्थी को लेकर देशभर में उत्साह का माहौल है. देश के विभिन्न जगहों में भगवान गणेश की पूजा की जा रही है. कोरोना संकट के बावजूद भक्तों का उत्साह थमने का नाम नहीं ले रहा है. कोरोना संकट में आयोजन को सीमित रखने के आदेश दिए गए हैं. इसको देखते हुए विशेष सावधानियां बरती जा रही है. दस दिनों तक चलने वाले त्योहार पर गणपति की स्थापना और उनकी पूजा-पाठ का विशेष महत्व है. यह त्योहार पूरे भारतवर्ष में पूरे हर्षोल्लास और उमंग के साथ मनाया जाता है. मान्यता है कि भाद्रपद की चतुर्थी के दिन गणेश जी का जन्म हुआ था. गणेश जी को विध्नहर्ता कहा गया है. इनकी पूजा से सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं.

लाइव अपडेट

सचिन तेंदुलकर ने की बप्पा की आरती 

मुंबई में गणेश चतुर्थी के मौके पर पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने अपने घर में विघ्नहर्ता की आरती की. इस दौरान उनके परिवार के सदस्य समेत अन्य मौजूद रहे. परिवार के अन्य सदस्यों समेत करीबियों के लिए उनके घर पर लाइव दर्शन की व्यवस्था भी की गयी थी.

मदुरै में विघ्नहर्ता से की मंगलकामना

तमिलनाडु में भी गणेश चतुर्थी पर भक्तों में उत्साह देखा जा रहा है. मदुरै के मीनाक्षी अम्मन मंदिर में भगवान गणेश की पुजारियों ने पूजा करके मंगलकामना की।

पुडुचेरी में भक्तों में दिखा उत्साह 

पुडुचेरी में गणेश चतुर्थी के अवसर पर अरूलमिगू मानाकुला विनयागर मंदिर में भगवान विघ्नहर्ता की श्रद्धालुओं ने विशेष पूजा की.

उपराष्ट्रपति ने की भगवान गणेश की पूजा

गणेश चतुर्थी के मौके पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भगवान गणपति की पूजा की. इस मौके पर उनकी पत्नी उषा नायडू भी मौजूद रहीं.

मंदिर के बाहर भक्तों ने की पूजा

असम के गुवाहाटी में भक्तों ने गणेश मंदिर के बाहर गणेश चतुर्थी के मौके पर पूजा की. बता दें कि कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए असम में 31 अगस्त तक सप्ताह के अंत में लॉकडाउन लागू करने का निर्देश दिया गया है.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने की पूजा

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर स्थित अपने आवास में गणेश चतुर्थी के मौके पर परिवार की साथ पूजा की.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने की पूजा

गणेश चतुर्थी के मौके पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुंबई स्थित अपने आवास में पूजा अर्चना की.

गणेश चतुर्थी पर घर को कोरोना थीम से सजाया

तमिलनाडु में एक महिला ने गणेश चतुर्थी के मौके पर अपने घर को कोरोना थीम पर सजाया है. उन्होंने अपने घर में भगवान गणेश की हजारों मूर्तियां रखी है. नंदिनी विग्नेश ने बताया कि उन्होंने भगवान गणेश की मूर्तियां इकट्ठा करना शुरू किया और अब उनके घर में गणेश जी की 3500 मूर्तियां हैं. इन मूर्तियों को जमा करने के लिए कई जगहों की यात्रा भी इन्होंने की है.

कर्नाटक में गणेश चतुर्थी के मौके पर गणेश पूजा

कर्नाटक के बेंगालुरू में स्थित श्री सत्य गणपति मंदिर में श्रद्धालुओं ने गणेश चतुर्थी के मौके पर पूजा की

दिल्ली में गणेश चतुर्थी के मौके पर कनॉट प्लेस के गणेश मंदिर में भगवान गणेश की पूजा-आरती

महाराष्ट्र गणेश चतुर्थी के मौके पर नागपुर के श्री गणेश मंदिर टेकड़ी में भगवान गणेश की महाआरती की करें यहां दर्शन 

यहां पढ़े  गणेश जी की आरती

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,

माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।

पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,

लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।

'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

यहां देखें आरती

गणेश जी का पसंद है लाल रंग

गणेशजी को लाल रंग पसंद है, इसलिए उनको लाल रंग अर्पित किया जाता है. लाल और सिंदूरी गणेश जी के प्रिय रंग हैं. मान्यता है कि गणेश जी को लाल फूल अर्पित करने से वह प्रसन्न हो जाते हैं

मूर्ति स्थापना के बाद इन बातों का रखें ध्यान

गणेश चतुर्थी के दिन गणेशोत्सव में भगवान गणेशजी की 10 दिन के लिए स्थापना करके उनकी पूजा अर्चना की जाती है. शास्त्रों के अनुसार, श्रीगणेश की प्रतिमा की 10 दिनों तक पूजा करने के बाद उसका विसर्जन करते हैं. कहा जाता है कि गणेश जी को घर पर स्थापित करने के बाद से विसर्जन करने तक उनका पूरा ख्याल रखा जाता है और उन्हें अकेला भी नहीं छोड़ा जाता.

गणेश जी को क्या क्या चढ़ाएं

चावल, सिंदूर, केसर, हल्दी, चन्दन, मौली और लौंग जरूर चढ़ाएं. पूजा में दूर्वा का काफी महत्व है. मान्यता है कि इसके बिना गणेश पूजा पूरी नहीं होती है. गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं. गणेश जी के पास पांच लड्डू रखकर बाकी बांट देने चाहिए.

भगवान गणेश को दुर्वा है अतिप्रिय

गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करें और उन्हें दुर्वा जरूर अर्पित करें. भगवान गणेश को दुर्वा अतिप्रिय होता है. आप नित्य भी गणेश भगवान को दुर्वा अर्पित कर सकते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दुर्वा अर्पित करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं.

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जानें पूजा विधि

स्नान करने के बाद ध्यान करके गणपति के व्रत का संकल्प लें, इसके बाद दोपहर के समय गणपति की मूर्ति या फिर उनका चित्र लाल कपड़े के ऊपर रखें. फिर गंगाजल छिड़कने के बाद भगवान गणेश का आह्वान करें. भगवान गणेश को पुष्प, सिंदूर, जनेऊ और दूर्वा (घास) चढ़ाए. इसके बाद गणपति को मोदक लड्डू चढ़ाएं, मंत्रोच्चार से उनका पूजन करें. गणेश जी की कथा पढ़ें या सुनें, गणेश चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें.

गणेश मंत्र : Ganesh Mantra

पूजा के समय इन मंत्रों का जाप करें और प्रसाद के रूप में मोदक और लड्डू वितरित करें.

- ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें.

- ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा

- ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।।

- गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:

- ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश

- ग्लौम गणपति, ऋदि्ध पति। मेरे दूर करो क्लेश।।

भगवान गणेश जी से क्षमा-प्रार्थना मंत्र

गणेशपूजने कर्म यत् न्यूनमधिकम कृतम।

तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्न अस्तु गणपति सदा मम।।

आप अपने घर पर गणपति का विधि विधान से स्थापना करें और 10 दिन तक उनकी आराधना करें, इसके बाद विसर्जन के दिन विधि पूर्वक हर्षोल्लास के साथ गण​पति को विदा करें.

श्री गणेश स्थापना मंत्र

अस्य प्राण प्रतिषठन्तु अस्य प्राणा: क्षरंतु च।

श्री गणपते त्वम सुप्रतिष्ठ वरदे भवेताम।।

विघ्नहर्ता श्री गणेश की 10 दिनों तक पूजा एवं आरती के बाद परिक्रमा करें और क्षमा मांगें कि पूजा में हुई कमी और भूल को माफ करें.

भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना की विधि

गणेश चतुर्थी के दिन दोपहर में गणेश मूर्ति की स्थापना की जानी चाहिए. मूर्ति स्थापना के लिए सबसे पहले एक लाल वस्त्र चौकी पर बिछाएं. फिर उस लाल वस्त्र पर अक्षत छिड़कें और उसके ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित करें. इसके बाद गणेश भगवान को स्नान कराएं. रिद्धि-सिद्धि के रूप में प्रतिमा के दोनों ओर एक-एक सुपारी भी रखें, इसके बाद भगवान गणेश जी की अराधना करें.

गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त

सुबह 11 बजकर 07 मिनट से दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक

दूसरा शाम 4 बजकर 23 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक

रात में 9 बजकर 12 मिनट से 11 बजकर 23 मिनट तक

वर्जित चंद्रदर्शन का समय 8 बजकर 47 मिनट से रात 9 बजकर 22 मिनट तक

चतुर्थी तिथि आरंभ 21 अगस्त की रात 11 बजकर 02 मिनट से

चतुर्थी तिथि समाप्त 22 अगस्त की रात 7 बजकर 56 मिनट तक

माता-पिता की सात बार परिक्रमा कर नापा पूरा संसार

मान्यता है कि एक बार सभी देवता मुसीबत में थे. ऐसे में सभी भगवान शिव के शरण में गये. भगवान शिव के साथ उनके दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय भी बैठे हुए थे. देवताओं की परेशानी सुनने के बाद भगवान शिव ने दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय में से कौन देवताओं की मदद करेगा पूछा. इस पर दोनों तैयार हो गये. ऐसे में भगवान शिव ने दोनों भाइयों के बीच प्रतियोगिता आयोजित की. दोनों भाई में जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करेगा उसे देवताओं की मदद करने की अनुमति दी जायेगी. पिता के निर्देश के बाद कार्तिकेय अपनी सवारी मोर लेकर पृथ्वी की परिक्रमा करने निकल पड़े. जबकि भगवान गणेश अपनी सवारी मूषक के साथ पृथ्वी की परिक्रमा करने की सोचने लगे. भगवान गणेश ने पृथ्वी की परिक्रमा के लिए पिता शिव और माता पर्वती के नजदीक आकर सात बार परिक्रमा किया और अपना स्थान ग्रहण कर लिया. पृथ्वी की परिक्रमा कर लौटे कार्तिकेय ने खुद को विजेता बताया, जबकि गणेश जी ने माता-पिता को ही पूरा संसार माना.

गजमुख को सेवक और मित्र बना लिये भगवान गणेश

असुरों के राजा गजमुख की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने वरदान दे दिया कि वह किसी शस्त्र से नहीं मारा जायेगा. इसका दुरुपयोग करते हुए राजा गजमुख देवी-देवताओं पर भी आक्रमण करने लगे. परेशान देवता भगवान शिव के पास पहुंचे, तब उन्होंने गजमुख से युद्ध करने गणेश को भेजा. भगवान गणेश बिना किसी शस्त्र लिये राजा गजमुख से भीड़ गये. गजमुख की पीठ पर कूदकर बैठ गये. जीवनभर के लिए मूषक बना दिया. और अपने वाहन के रूप में रख लिया. वहीं राजा गजमुख हमेशा के लिए भगवान गणेश के सेवक और मित्र बन गये.

गणेश चतुर्थी पूजन विधि (Ganesh Chaturthi Pujan Vidhi)

- सबसे पहले स्नानादि कर पवित्र हो जाएं.

- जिस स्थल पर प्रतिमा विराजमान करनी है, उस जगह की साफ-सफाई कर लें.

- इसके बाद गंगाजल डाल कर पवित्र करें.

- भगवान गणेश की प्रतिमा को चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर विराजमान करें.

- धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं.

- ध्यान रखें कि जब तक गणेश जी आपके घर में रहेंगे तब तक अखंड दीपक जलाकर रखें.

- गणेश जी के मस्तक पर कुमकुम का तिलक लगाएं.

- फिर चावल, दुर्वा घास और पुष्प अर्पित करें.

- गणेश जी का स्मरण कर गणेश स्तुति और गणेश चालीसा का पाठ करें.

- इसके बाद ॐ गं गणपते नमः का जप करें.

- भगवान गणेश की आरती करें.

- आरती के बाद गणेश जी को फल या मिठाई आदि का भोग लगाएं.

- संभव हो तो मोदक का भोग जरूर लगाएं.

- भगवान गणेश को मोदक प्रिय हैं.

- रात्रि जागरण करें.

- गणेश जी को जब तक अपने घर में रखें, उन्हें अकेला न छोड़ें.

- कोई न कोई व्यक्ति हर समय गणेश जी की प्रतिमा के पास रहे.

गोबर गणेश देते है मनचाहा वरदान

गणपति बप्पा के चमत्कार की कई कहानियां है. उनके कई रुप भी है. मध्यप्रदेश के महेश्वर में बप्पा का एक ऐसा रूप है जिसे गोबर गणेश के नाम से पुकारा जाता है. यहां गजानन की गोबर की मूर्ति है. जो हजारों साल पुरानी है, मान्यता है कि यहां नारियल चढ़ाकर भक्त बप्पा की पूजा करनेवाले को बप्पा मनचाहा वरदान देते है.

जब गणेश जी से नाराज हुए परशुराम...

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शंकर और माता पार्वती अपने कक्ष में आराम कर रहे थे. उन्होंने किसी को भी अंदर आने के लिए नहीं कहा था. द्वारपाल के रूप में भगवान गणेश तैनात थे. इसी बीच भगवान शिव से मुलाकात करने के लिए परशुराम जी पहुंचे. लेकिन, भगवान गणेश ने उन्हें भगवान शिव से मुलाकात करने की मंजूरी नहीं दी. इससे नाराज होकर परशुराम ने फरसे से गणेश जी का एक दांत तोड़ दिया. हालांकि, सच्चाई पता चलने पर उन्हें काफी दुख भी हुआ. इस घटना के बाद भगवान गणेश एकदंत के नाम से भी पूजे जाने लगें.

चतुर्थी तिथि को गणेश की उत्पत्ति

भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं. भगवान गणेश अपने भक्तों के संकट हर लेते हैं. श्रद्धा और विश्वास के साथ कोई भी व्यक्ति गणेश जी की आराधना और पूजा करता है तो उसकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है. गणेश चतुर्थी हर वर्ष भाद्रपद मास को शुक्ल चतुर्थी को मनाई जाती है. मान्यता है कि चतुर्थी तिथि को ही विघ्नों का नाश करने वाले और ऋद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की उत्पत्ति हुई थी. भगवान गणेश भक्तों की पुकार तुरंत सुनते हैं और मनचाहा वरदान भी देते हैं.

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गणेश जी के गजानन बनने की कहानी

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार माता पार्वती स्नान के लिए गयीं. उन्होंने द्वार पर गणेश जी को बिठा दिया. माता पार्वती ने गणेश जी को बिना उनकी इजाजत के किसी को भी अंदर नहीं आने देने को कहा था. इसी दौरान भगवान शिव पहुंचे और अंदर जाने की कोशिश करने लगें. जब गणेश जी ने उन्हें रोका तो क्रोधित होकर भगवान शिव ने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया. जब माता पार्वती बाहर निकलीं तो यह देखकर व्याकुल हो उठीं. उन्होंने भगवान शिव से गणेश जी को बचाने के लिए कहा. भगवान शिव ने गणेश जी को हाथी का सिर लगा दिया. इस तरह भगवान गणेश गजानन के नाम से भी पूजे जानें लगे.

गणेश भगवान को प्रिय है मोदक 

गणपति की स्थापना करते समय कुछ जरूरी बातों का सबसे ज्यादा ध्यान रखनी चाहिए. गणेश जी की मूर्ति का मुंह पूर्व की दिशा की तरफ होनी चाहिए. गणेश जी की पूजा शुरू करने से पहले संकल्प लेना होता है. इसके बाद भगवान गणेश का आह्वान किया जाता है. इसके बाद भगवान गणेश के मंत्रों के उच्चारण के साथ मूर्ति की स्थापना की जाती है. भगवान गणेश को धूप, दीप, फूल, फल, मोदक, वस्त्र, अर्पित किए जाते हैं. इसके बाद भगवान गणेश की आरती उतारी जाती है. प्रसाद में मोदक जरूर रखें. भगवान गणेश को मोदक काफी प्रिय है.

क्या होता है मोदक का मतलब ?

पुराणों में मोदक का वर्णन मिलता है. मोदक का अर्थ खुशी होता है और भगवान श्रीगणेश हमेशा खुश रहा करते थे. इसी वजह से उन्हें गणेश चतुर्थी पर मोदक का भोग लगाया जाता है. भगवान गणेश को ज्ञान का देवता भी माना जाता है और मोदक को भी ज्ञान का प्रतीक माना जाता है. इस वजह से भी उन्हें मोदक का भोग लगाया जाता है.

गणेश चतुर्थी पर भूलकर भी ना देखें चांद

गणेश चतुर्थी के दिन गणेशोत्सव में भगवान गणेशजी की 10 दिन के लिए स्थापना करके उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. कुछ राज्यों में गणेशोत्सव तीन दिन तक ही चलता है. बाद में प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है. गणेश चतुर्थी को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं. एक मान्यता यह है कि इस दिन चंद्रमा का दर्शन करने से पाप लगता है. मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति इस दिन चंद्रमा के दर्शन कर लेता है उस पर झूठा आरोप लगता है.

आपको क्यों नहीं देखना चाहिए चांद?

मान्यताओं के अनुसार जब भगवान गणेश को हाथी का सिर लगाया गया तो उन्होंने पृथ्वी की सबसे पहले परिक्रमा की और प्रथम पूज्य कहलाए. सभी देवताओं ने उनकी वंदना की, लेकिन अपने रूप के घमंड में चांद उन पर हंसने लगा. इससे गणेशजी ने गुस्से में आकर चंद्रमा को काले होने का श्राप दिया. चंद्रमा को गलती का अहसास हुआ, उसने गणेश जी से माफी मांगी. प्रसन्न होकर गणेशजी ने कहा कि जैसे-जैसे सूर्य की किरणें उन पर पड़ेंगी, चमक लौट आएगी.

चांद देखने पर करें इस मंत्र का जाप

गणेश चतुर्थी के दिन चांद को क्यों नहीं देखना चाहिए इसके बारे में आप जान गए. इसके बावजूद अगर आपने इस दिन गलती से चांद देख लिया तो घबराए नहीं. आपको इस दौरान एक खास मंत्र का जाप कर लेना चाहिए. ये मंत्र है-

सिंह: प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हत:,

सुकुमार मा रोदीस्तव ह्येष:स्यमन्तक:।

भगवान गणेशजी की भोग सामग्री

गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक यानी कि जब तक भगवान गणेशजी घर में रहते हैं तब तक उनका मेहमान की तरह ध्‍यान रखा जाता है. गणपति को दिन भर में 3 बार भोग लगाना अनिवार्य होता है. वैसे गणपति को मोदक अति प्रिय होते हैं. इसलिए इसका भोग लगाना चाहिए. लेकिन आप चाहें तो गणेश जी को बेसन के लड्डू का भी भोग लगा सकते हैं.

भगवान गणेशजी की पूजन सामग्री

गणेश जी की पूजा के लिए गणेश प्रतिमा, जल कलश, पंचामृत, लाल कपड़ा, रोली, अक्षत यानी साबुत चावल, कलावा, जनेऊ, इलाइची, नारियल, चांदी का वर्क, सुपारी, लौंग पंचमेवा, घी, कपूर, पूजा के लिए चौकी, लाल कपड़ा और गंगाजल इत्यादि चीजों को इकट्ठा कर लें.

इस तरह करें भगवान गणपति की पूजा

गणेश भगवान की प्रतिमा की स्‍थापना के बाद गणेश जी को सिंदूर लगाएं. गणपति की मूर्ति के पास तांबे या चांदी के कलश में जल भरकर रख लें. उस कलश को गणपति के दांई ओर रखें और उन्हें चांदी का वर्क लगाएं, इसके उपरान्त उन्हें जनेऊ, लाल पुष्‍प, दूब, मोदक, नारियल आदि सामग्री अर्पित करें. आखिरी में उनकी आरती उतारें और भोग लगाएं.

भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना की विधि

गणेश चतुर्थी के दिन दोपहर में गणेश मूर्ति की स्थापना की जानी चाहिए. मूर्ति स्थापना के लिए सबसे पहले एक लाल वस्त्र चौकी पर बिछाएं. फिर उस लाल वस्त्र पर अक्षत छिड़कें और उसके ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित करें. इसके बाद गणेश भगवान को स्नान कराएं. रिद्धि-सिद्धि के रूप में प्रतिमा के दोनों ओर एक-एक सुपारी भी रखें, इसके बाद भगवान गणेश जी की अराधना करें.

पूर्व दिशा की ओर रखें मूर्ति का मुंह

गणपति की स्थापना यदि आप करते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि मूर्ति का मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए. गणेश पूजा शुरू करने से पहले संकल्प लेना अनिवार्य होता है, इसके बाद भगवान गणेश का आह्वान करें. इसके बाद गणपति की मंत्रों के उच्चारण के बाद स्थापना करें. भगवान गणेश को धूप, दीप, वस्त्र, फूल, फल, मोदक अर्पित किए जाते हैं. इसके बाद भगवान गणेश की आरती उतारी जाती है.

गणपति स्थापना के लिए विशेष मुहूर्त

इस बार 21 अगस्त यानि आज 11 बजे सुबह से चुतुर्थी तिथि शुरू हो गई है और 22 अगस्त कल 7 बजकर 57 मिनट शाम तक चुतुर्थी तिथि रहेगी. इसमें राहुकाल को हटाकर आप गणपति की स्थापना करने का काम कर सकते हैं. पूजन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक है. विशेष मुहूर्त सुबह 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. पूजन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 45 मिनट है. विशेष मुहूर्त सुबह 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक है.

कब से शुरू होगी गणेश चतुर्थी तिथि

कल गणेश पूजा है. आज रात में ही गणेश चतुर्थी तिथि शुरू हो जाएगी. आज 21 अगस्त दिन शुक्रवार की रात 11 बजकर 02 मिनट से गणेश चतुर्थी तिथि लग जाएगी और यह 22 अगस्त दिन शनिवार की शाम 07 बजकर 57 मिनट तक रहेगी. ऐसा माना जाता है कि गणेश जी का जन्म दोपहर के समय में हुआ था, इसलिए इनकी पूजा दोपहर के समय की जाती है. इस बार 22 अगस्त के दिन भगवान गणपति की पूजा के लिए दोपहर में 02 घंटे 36 मिनट का शुभ समय है. इस साल आप दिन में 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 01 बजकर 42 मिनट के बीच विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा कर सकते हैं.

गणेश चतुर्थी पूजा का है विशेष महत्व

विघ्नहर्ता श्रीगणेश के जन्मोत्सव के रूप में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि सभी देवों में प्रथम पूजनीय गणेश जी की उत्पत्ति इसी शुभ मौके पर हुई थी. गणेश चतुर्थी के दिन भक्त गणपति बप्पा को अपने घर लाते हैं और उन्हें स्थापित करते हैं. इसके बाद भक्त गणेश जी का विशेष आशीर्वाद पाने के लिए गणेश चतुर्थी पर पूजा अर्चना करते हैं. इस दौरान 10 दिन तक भगवान गणेश जी की सेवा की जाती हैं और उनसे जीवन में सुख समृद्धि और कामयाबी की कामना करते हैं. गणेश चतुर्थी के ग्यारहवें दिन भक्त उन्हें विसर्जित करते हैं और अगले बरस जल्दी आने की प्रार्थना करते हैं. गणपति बप्पा का आशीर्वाद मिलने से जीवन की कठिनाइयां दूर हो जाती हैं.

जानिए गणपति पूजन का शुभ मुहूर्त

गणेश पूजा मुहूर्त 22 अगस्त की मध्याह्न में सुबह 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक है

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ 21 अगस्त की रात 11 बजकर 02 मिनट पर

चतुर्थी तिथि समाप्त 22 अगस्त शाम 07 बजकर 57 मिनट तक

मूर्ति विसर्जन 1 सितंबर को किया जाएगा.

22 अगस्त 2020 को चन्द्रोदय का समय रात 9 बजकर 8 मिनट पर है

इस तरह से करें प्रतिमा की स्थापना

कल गणेश चतुर्थी है. इस दिन सुबह स्नान, नित्य कर्म से निवृत होकर गणेश जी की प्रतिमा बनानी चाहिए. प्रतिमा सोने, तांबे, मिट्टी, या गाय के गोबर आदि से बनानी चाहिए. एक कोरे कलश को लेकर उसमें जल भरकर उसमें सुपारी डालें और उसे कोरे कपड़े से बांधना चाहिए, इसके बाद चौकी स्थापित करें और उस पर कलश के साथ गणपति की प्रतिमा स्थापित करें.

विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा विधि

भगवान गणेश जी की प्रतिमा पर सिंदूर, केसर, हल्दी, चन्दन,मौली आदि चढ़ाकर मंत्रोचार के साथ उनका पूजन करे. गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं. गणेश प्रतिमा के पास पांच लड्डू रखकर बाकी ब्राह्मणों और गरीबों में बांट देना चाहिए. ध्यान रहे गणेश जी की पूजा मध्याह्न यानि दोपहर के समय करनी चाहिए.

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