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Ganesh Puja 2020, Muhurat, Puja Vidhi, Mantra, Aarti : गणेश पूजा का सही समय क्या है, किस शुभ मुहूर्त में करें गणपति की स्थापना, जानिए पूजा विधि सहित सभी जानकारी

Ganesh Puja ka sahi samay, murthi sthapana ka shubh muhurat aur time, ganpati puja (Ganesh chaturthi 2020) Puja Vidhi, kalash sthapana, Mantra, aarti: आज गणेश चतुर्थी है. इसी दिन भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था. आज देश भर में गणेश चतुर्थी का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा. शास्त्रों के अनुसार भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी आज भगवान गणेश का उत्सव भारत के कई इलाकों में 10 दिनों तक मनाया जाएगा. आज घर-घर गणपति बप्पा पधारेंगे. आज गणेशजी को आरती, कथा, मंत्र, भजन से स्वागत किया जाएगा. भक्त गणपति को घर लाकर विराजमान करने से लेकर उनके विसर्जन को भी धूमधाम से करते हैं. आइए जानते है भगवान गणेशजी की पूजा विधि से लेकर मूर्ति स्थापना तक की पूरी नियम...

लाइव अपडेट

गणेश चतुर्थी के मौके पर नागपुर के श्री गणेश मंदिर टेकड़ी में भगवान गणेश की महाआरती की जा रही है

यहां पढ़े गणेश जी की आरती

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,

माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।

पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,

लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।

'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

यहां देखें आरती

गणेश जी का पसंद है लाल रंग

गणेशजी को लाल रंग पसंद है, इसलिए उनको लाल रंग अर्पित किया जाता है. लाल और सिंदूरी गणेश जी के प्रिय रंग हैं. मान्यता है कि गणेश जी को लाल फूल अर्पित करने से वह प्रसन्न हो जाते हैं

126 साल बाद बन रहे हैं ये संयोग

गणेश चतुर्थी पर इस बार ग्रह नक्षत्रों का विशेष संयोग बन रहा है. ज्योतिषीय गणना के अनुसार गणेश चतुर्थी पर 126 साल बाद सूर्य और मंगल अपनी-अपनी स्वराशि में स्थित हैं. जहां सूर्य अपनी सिंह राशि में है तो वहीं मंगल भी अपनी मेष राशि में बैठा है. दोनों ग्रहों का ये संयोग कुछ राशियों के लिए अत्यंत शुभ है.

गणेश जी को क्या क्या चढ़ाएं

चावल, सिंदूर, केसर, हल्दी, चन्दन, मौली और लौंग जरूर चढ़ाएं. पूजा में दूर्वा का काफी महत्व है. मान्यता है कि इसके बिना गणेश पूजा पूरी नहीं होती है. गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं. गणेश जी के पास पांच लड्डू रखकर बाकी बांट देने चाहिए.

भगवान गणेश को दुर्वा है अतिप्रिय

गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करें और उन्हें दुर्वा जरूर अर्पित करें. भगवान गणेश को दुर्वा अतिप्रिय होता है. आप नित्य भी गणेश भगवान को दुर्वा अर्पित कर सकते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दुर्वा अर्पित करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं.

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जानें पूजा विधि

स्नान करने के बाद ध्यान करके गणपति के व्रत का संकल्प लें, इसके बाद दोपहर के समय गणपति की मूर्ति या फिर उनका चित्र लाल कपड़े के ऊपर रखें. फिर गंगाजल छिड़कने के बाद भगवान गणेश का आह्वान करें. भगवान गणेश को पुष्प, सिंदूर, जनेऊ और दूर्वा (घास) चढ़ाए. इसके बाद गणपति को मोदक लड्डू चढ़ाएं, मंत्रोच्चार से उनका पूजन करें. गणेश जी की कथा पढ़ें या सुनें, गणेश चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें.

गणेश जी की पूजा में पढ़ें ये मंत्र : Ganesh Mantra

पार्वतीनन्दनं शम्भोरानन्दपरिवर्धनम् । भक्तानन्दकरं नित्यं मयूरेशं नमाम्यहम् ॥

क्या है इसका भावार्थ : जो देवी पार्वती को पुत्र रूप से आनन्द प्रदान करते हैं और भगवान् शंकर का भी आनन्द बढ़ाते हैं, उन भक्तानन्दवर्धन मयूरेश गणेश को मैं नित्य नमस्कार करता हूं..

गणेश जी की पूजा में पढ़ें ये मंत्र : Ganesh Mantra

ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें।

ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा

ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।।

गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:

ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश

ग्लौम गणपति, ऋदि्ध पति। मेरे दूर करो क्लेश।।

Ganesh Chaturthi 2020 Puja Vidhi, Aarti : जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा..., इस आरती के बिना पूजा मानी जाती है अधूरी, यहां देखें Video

गणेश उत्सव भाद्रपद चतुर्थी से चतुर्दशी तक चलता है

गणेश उत्सव भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतुर्दशी तक यानी दस दिनों तक चलता है, इसके बाद चतुर्दशी को इनका विसर्जन किया जाता है. हिंदू धर्म में भगवान गणेश को अत्यंत ही पूजनीय माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, गणेश जी का नाम किसी भी कार्य के लिए पहले पूज्य है, इसलिए इन्हें 'प्रथमपूज्य' भी कहते हैं. वह गणों के स्वामी भी हैं, इसलिए उनका एक नाम गणपति भी है. इसके अलावा हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं.

भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त

इस बार 21 अगस्त यानि आज 11 बजे सुबह से चुतुर्थी तिथि शुरू हो गई है और 22 अगस्त कल 7 बजकर 57 मिनट शाम तक चुतुर्थी तिथि रहेगी. इसमें राहुकाल को हटाकर आप गणपति की स्थापना करने का काम कर सकते हैं. पूजन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक है. विशेष मुहूर्त सुबह 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. पूजन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 45 मिनट है. विशेष मुहूर्त सुबह 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक है.ज

जानें कैसे करें भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना

भगवान गणेश मूर्ति की स्थापना करने के लिए सबसे पहले लाल वस्त्र चौकी पर बिछाकर स्थान दें, इसके साथ ही एक कलश में जलभरकर उसके ऊपर नारियल रखकर चौकी के पास रख दें. फिर उन्हें पान, सुपारी, लड्डू, सिंदूर, दूर्वा चढ़ाएं. इसके बाद दोनों समय गणपति की आरती, चालीसा का पाठ करें. प्रसाद में लड्डू का वितरण करें.

माता-पिता की सात बार परिक्रमा कर नापा पूरा संसार

मान्यता है कि एक बार सभी देवता मुसीबत में थे. ऐसे में सभी भगवान शिव के शरण में गये. भगवान शिव के साथ उनके दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय भी बैठे हुए थे. देवताओं की परेशानी सुनने के बाद भगवान शिव ने दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय में से कौन देवताओं की मदद करेगा पूछा. इस पर दोनों तैयार हो गये. ऐसे में भगवान शिव ने दोनों भाइयों के बीच प्रतियोगिता आयोजित की. दोनों भाई में जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करेगा उसे देवताओं की मदद करने की अनुमति दी जायेगी. पिता के निर्देश के बाद कार्तिकेय अपनी सवारी मोर लेकर पृथ्वी की परिक्रमा करने निकल पड़े. जबकि भगवान गणेश अपनी सवारी मूषक के साथ पृथ्वी की परिक्रमा करने की सोचने लगे. भगवान गणेश ने पृथ्वी की परिक्रमा के लिए पिता शिव और माता पर्वती के नजदीक आकर सात बार परिक्रमा किया और अपना स्थान ग्रहण कर लिया. पृथ्वी की परिक्रमा कर लौटे कार्तिकेय ने खुद को विजेता बताया, जबकि गणेश जी ने माता-पिता को ही पूरा संसार माना.

संबंध की मर्यादा को पहचानना जरूरी

मान्यता है कि भगवान गणेश की बुद्धि और पराकाष्ठा देख तुलसी ने भगवान गणेश को विवाह का प्रस्ताव दिया था. पर भगवान गणेश ने अपनी मर्यादा समझते हुए तुलसी को विवाह के लिए मना कर दिया. इसका कारण पूछने पर भगवान गणेश ने कहा कि वह लक्ष्मी स्वरूपा हैं. और लक्ष्मी उनकी मां पार्वती की ही स्वरूप हैं. ऐसे में मां के स्वरूप से विवाह करने की अनुमति धर्म नहीं देता.

आज इस तरह से करें भगवान गणेश की पूजा

- सबसे पहले स्नानादि कर पवित्र हो जाएं.

- जिस स्थल पर प्रतिमा विराजमान करनी है, उस जगह की साफ-सफाई कर लें.

- इसके बाद गंगाजल डाल कर पवित्र करें.

- भगवान गणेश की प्रतिमा को चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर विराजमान करें.

- धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं.

- ध्यान रखें कि जब तक गणेश जी आपके घर में रहेंगे तब तक अखंड दीपक जलाकर रखें.

- गणेश जी के मस्तक पर कुमकुम का तिलक लगाएं.

- फिर चावल, दुर्वा घास और पुष्प अर्पित करें.

- गणेश जी का स्मरण कर गणेश स्तुति और गणेश चालीसा का पाठ करें.

- इसके बाद ॐ गं गणपते नमः का जप करें.

- भगवान गणेश की आरती करें.

- आरती के बाद गणेश जी को फल या मिठाई आदि का भोग लगाएं.

- संभव हो तो मोदक का भोग जरूर लगाएं.

- भगवान गणेश को मोदक प्रिय हैं.

- रात्रि जागरण करें.

- गणेश जी को जब तक अपने घर में रखें, उन्हें अकेला न छोड़ें.

- कोई न कोई व्यक्ति हर समय गणेश जी की प्रतिमा के पास रहे.

इन बातों का रखे ध्यान

गणपति की स्थापना करते समय इस बात का ध्यान रखें कि मूर्ति का मुंह पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए. गणेश पूजा शुरू करने से पहले संकल्प लेना जरूरी होता है, इसके बाद भगवान गणेश का आह्वान किया जाता है, फिर गणपति की मंत्रों के उच्चारण के बाद स्थापना की जाती है. भगवान गणेश को धूप, दीप, वस्त्र, फूल, फल, मोदक अर्पित किए जाते हैं, इसके बाद भगवान गणेश की आरती उतारी जाती है.

कई रुपों में होती है गणपति की पूजा

भगवान महादेव और मां पार्वती के पुत्र गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. इसलिए भी हर शुभ काम से पहले इनकी पूजा का विधान है. गणपति की जितनी महिमा है उतने ही उनके स्वरुप हैं. इन स्वरुपों को भगवान गणेश का अवतार भी माना जाता है. गणपति का पहला स्वरूप वक्रतुंड का है. उनका दूसरा स्वरूप एकदंत का है. तीसरा स्वरूप महोदर का है. चौथा स्वरूप गजानन का है. पांचवें लम्बोदर स्वरूप में गणेश जी की पूजा की जाती है. छठवे में गणेश का नाम विकट है. गजानन का सातवां स्वरूप विघ्नराज का है. और आठवां स्वरूप धूम्रवर्ण का है. इसे शिव का स्वरूप भी माना जाता है.

गोबर गणेश देते हैं मनचाहा फल

गणपति बप्पा के चमत्कार की कई कहानियां है. उनके कई रुप भी है. मध्यप्रदेश के महेश्वर में बप्पा का एक ऐसा रूप है जिसे गोबर गणेश के नाम से पुकारा जाता है. यहां गजानन की गोबर की मूर्ति है. जो हजारों साल पुरानी है, मान्यता है कि यहां नारियल चढ़ाकर भक्त बप्पा की पूजा करनेवाले को बप्पा मनचाहा वरदान देते है.

भगवान गणेश की इस मंत्र से होती है पूजा

वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।

निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ॥

हे हाथी के जैसे विशालकाय जिसका तेज सूर्य की सहस्त्र किरणों के समान हैं . बिना विघ्न के मेरा कार्य पूर्ण हो और सदा ही मेरे लिए शुभ हो ऐसी कामना करते है.

इस बार गणेश चतुर्थी के मौके पर बन रहा है विशेष योग

इस बार गणेश चतुर्थी के मौके पर विशेष योग बन रहा है. ऐसा योग 126 साल बाद बना है. 126 साल बाद सूर्य सिंह राशि में और मंगल मेष राशि में होने से ऐसा विशेष योग बन रहा है. इस योग में गणेश जी की पूजा करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ती होगी. दरअसल गणेशजी को सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माना जाता है. सृष्टी में प्रथम पूजा का अधिकार महादेव ने गणेश जी को ही दिया है. कोई भी शुभ कार्य करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. इससे प्रसन्न होकर गणेशजी सभी काम असान कर देते है.

किसी भी शुभ काम करने से पहले की जाती है गणेश भगवान की पूजा

इस पर्व की सबसे ज्यादा रौनक मुबंई में देखने को मिलता है. हालांकि इस बार कोरोना वायरस के कारण सार्वजनिक जगहों पर मूर्ति स्थापना नहीं किया जाएगा. हिन्दू धर्म में शास्त्रों के अनुसार किसी भी शुभ काम करने से पहले गणेश भगवान की पूजा की जाती है. इससे प्रसन्न होकर गणेशजी सभी काम असान कर देते है. आइए जानते है गणेश पूजन की सरल विधि जिससे आप भी आसानी से घर पर खुद ही कर सकते हैं.

कैसे लें गणपति पूजा का संकल्प

किसी भी पूजा की शुरुआत में पहले संकल्प लिया जाता है. पूजा से पहले अगर संकल्प ना लिया जाए तो उस पूजा का पूरा फल प्राप्त नहीं हो पाता है. मान्यता है कि संकल्प के बिना की गई पूजा का सारा फल देवराज इन्द्र को प्राप्त हो जाता है, इसीलिए दैनिक पूजा में भी पहले संकल्प लेना चाहिए. इष्टदेव और स्वयं को साक्षी मानकर संकल्प लिया जाता है. संकल्प लेते समय हाथ में जल लिया जाता है. प्रथम पूज्य श्रीगणेश को सामने रखकर संकल्प लिया जाता है, ताकि श्रीगणेश की कृपा से पूजन कर्म बिना किसी बाधा के पूर्ण हो सके. एक बार पूजन का संकल्प लेने के बाद उस पूजा को पूरा जरूर करना चाहिए. इस कर्म से हमारी संकल्प शक्ति मजबूत होती है.

गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त

सुबह 11 बजकर 07 मिनट से दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक

दूसरा शाम 4 बजकर 23 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक

रात में 9 बजकर 12 मिनट से 11 बजकर 23 मिनट तक

वर्जित चंद्रदर्शन का समय 8 बजकर 47 मिनट से रात 9 बजकर 22 मिनट तक

चतुर्थी तिथि आरंभ 21 अगस्त की रात 11 बजकर 02 मिनट से

चतुर्थी तिथि समाप्त 22 अगस्त की रात 7 बजकर 56 मिनट तक

गणेश चतुर्थी पूजा विधि

भगवान गणेश की पूजा के लिए पान, सुपारी, लड्डू, सिंदूर, दूर्वा आदि सामग्री घर ले आएं. भगवान की पूजा करें और लाल वस्त्र चौकी पर बिछाकर स्थान दें. इसके साथ ही एक कलश में जलभरकर उसके ऊपर नारियल रखकर चौकी के पास रख दें. दोनों समय गणपति की आरती, चालीसा का पाठ करें. इसके बाद प्रसाद में लड्डू का वितरण करें.

इन सामग्री से करें भगवान गणेश जी की पूजा

चावल, सिंदूर, केसर, हल्दी, चन्दन,मौली औऱ लौंग जरुर चढ़ाएं, पूजा में दूर्वा का काफी महत्व है. इसके बिना गणेश पूजा पूरी नहीं होती है. गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं. गणेश जी के पास पांच लड्डू रखकर बाकी बांट देने चाहिए.

News Posted by : Radheshyam Kushwaha

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